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चीन के चारों दिशाओं से आए मानवीय सहायता प्राप्त करने वाली लड़की आयनूर की कहानी
2010-02-23 08:12:39

लगभग दो महिने पहले, चीन के पूर्वी भाग में थिएन चिन शहर के विश्वविद्यालय के सत्ताईस छात्रों ने, अपने सहपाठी कजाक जाति की छात्रा आयनूर को ब्लड कैंसर से बचाने के लिए इंटरनेट के द्वारा लोगों से मदद की गुहार लगायी। इस मदद की गुहार ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और जगह-जगह से मानविय सहायता के रूप में धन आने लगा। आयनूर एक बहुत ही सुंदर नाम है, कजाक भाषा में इसका अर्थ चाँद की रोशनी है।

इस साल के 28 सितंबर को स्नातकोत्तर की परीक्षा की तैयारी कर रहे नान खाय विश्वविद्यालय की छात्रा आयनूर को हड्डी में बहुत ही असहनीय दर्द महसूस हुआ। उसकी कक्षा की मानीटर यांग वेई वेई उस पल को याद करते हुए कहते हैं, उसकी चेहरे का रंग बिल्कुल पीली हो गई थी, हिल-डुल भी नहीं पाती थी, शरीर का तापमान 39.4डिग्री हो गया था। हमलोग उस अस्पताल ले गये, डाक्टर ने देखते ही कहा कि WBC की संख्या असाधारण रूप से बढ गई है। सामान्य व्यक्ति मे इसकी संख्या दस हजार होती है लेकिन आयनूर के शरीर में इसकी संख्या पचास हजार हो गई थी।

आयनूर का दाखिला सामान्य वार्ड से आपातकालीन वार्ड के ब्लड कैंसर विभाग में कर दिया गया। अचानक इस तरह की चौंकाने वाली खबर ने आयनूर और उससे दूर चीन के पश्चिमी भाग में अलताय पठारी मैदान क्षेत्र मे जीवन व्यतीत करने वाले उसके माँ-बाप को बहुत ही कष्टदायक परिस्थिति में डाल दिया। आयनूर के शिक्षक, नान खाय विश्वविद्यालय के शिक्षक चंग फेई पेई ने परिचय देते हुए कहा कि इस तरह की बिमारी का ईलाज बहुत ही मुश्किल होता है। पहला, यह बिमारी बहुत खतरनाक होता है, अगर ईलाज नहीं हो तो तीन महिने के अंदर रोगी की जान जा सकती है। दूसरा, इस बिमारी का ईलाज बहुत खर्चिला है, एक बार में सत्तर-अस्सी हजार चीनी युवान खर्च होता है। तीसरा, इस बिमारी का इलाज भी बहुत खतरनाक है, क्योंकि इसके ईलाज में बहुत सारी जहरीली रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिससे डॉक्टर के जान को भी खतरा रहता है। चौथा, बिमारी ठीक हो जाने के बाद भी रोगी के जीवित रहने की संभावना बहुत कम होती है, लगभग 20 प्रतिशत ही रोगी के ज्यादा समय तक जीवित रहने की संभावना होती है। प्रत्यारोपण और रसायन के उपयोग से लगभग 40 प्रतिशत तक हो सकती है।

ठीक उसी समय, आयनूर के स्थिती काफी नाजुक हो गई, एक दिन के भीतर सफेद रक्त कोशिका की संख्या तेजी से बढने लगी। अगर सतत रूप से इलाज चलता रहा तो लगभग दस लाख चीनी युवान का खर्च आएगा। हजारों किलोमीटर दूर सिनचियांग से आये हुए, आयनूर के माता-पिता को जब इस खर्च के बारे में पता चला तो निराश और विवश हो गए।

इस निराशाजनक परिस्थिति में, आयनूर के दोस्तों ने अपने-अपने ब्लॉग में अपने जाननेवाले लोगों से मदद की गुहार लगाने लगे। शिक्षक की निगरानी में सभी लोग आयनूर के बिमारी के खर्च जुटानें मे मदद करने लगे। आयनूर की सहपाठी ली फेई ने कहा, चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर थिएन चीन का वातावरण काफी उल्लास और उमंग भरा होता है। लेकिन हमारे कक्षा के विद्यार्थियों में थोङा भी उल्लास नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे हमलोगों के लिए राष्ट्रीय दिवस है ही नही। हमलोगों ने मदद देने के तरिके के बारे में विचार-विमर्श करना शुरू किया जिसमें विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय के बाहर से आने वाले दान की राशि सम्मिलित थी। बाहरी दान की राशि में लोग और कुछ दूसरे विश्वविद्यालय शामिल थे। हमलोग कुछ नागरिक मामलात विभाग और चैरीटी संस्था से मदद की आशा कर रहे थे और आयनूर के गाँव सिनचियांग के लोगों से भी मदद देने की गुहार लगाने की सोच रहे थे। उस समय का यह विचार बहुत अच्छा था लेकिन हमें यह सब भ्रम ही लग रहा था। लेकिन बाद में यह साबित हो गया कि, यह विद्यार्थियों का भ्रम नहीं था, बल्कि बङे पैमाने पर मदद देने की शुरूआत थी। पाँच अक्तुबर को, नान खाय विश्वविद्यालय के अंदर और थिएन चिन शहर के सबसे व्यस्त व्यापारिक सङक पर एक साथ बहुत सारे विद्यार्थी अंग्रेजी, चीनी, वैवुअर भाषा में अनजान लोगों को आयनूर की विपदा के बारे में बताने लगे।

-----नान खाय विश्वविद्यालय की एक छात्रा, जोकि सिनचियांग से है, गंभीर बिमारी से पीङित है, उसे हमारे मदद की जरूरत है।

-----हमारी एक सहपाठी ब्लड कैंसर से पीङित है, आशा है कि आपलोग हमारी मदद करेंगे।

विद्यार्थियों की इस गुहार बहुत जल्दी ही लोगों की प्रतिक्रियाएँ मिलनी शुऱू हो गई। लोग बङे उत्साह से मदद के लिए आगे आने लगे।

आपके छोटी सी मदद से आशा है कि यह लङकी बहुत जल्द ठीक हो जाएगी।

हमें परवाह नहीं है कि तुम कहाँ से आये हो और किस मुश्किल मे हो, हमलोग अवश्य ही तुम्हारी मदद करेंगें क्योंकि पूरा चीन एक परिवार की तरह है।

आयनूर को बचाने की पहली मंजील शहर के लोगों की मदद से शुरू हो गई और इसने हमलोगों की आशा को और अधिक मजबूत बना दिया। पाँच अक्टूबर को , थिएन चिन चैरिटी कमीटी ने परिस्थिति की जानकारी के बाद, राष्ट्रीय दिवस की छुट्टी के दौरान ही, आयनूर के मदद के लिए एक बैंक अकाउंट खोला जिसमें आयनूर के मदद के लिए लोगों से पैसे देने की गुहार लगायी गई। थिएन चिन चैरिटी कमीटी की अध्यक्षा श्री मती छाओ बोली, इस बच्ची की परीक्षा परिणाम बहुत ही अव्वल है। इसने सिनचियांग से थिएन चिन के सबसे महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है, जो कि बहुत कठिन कार्य है। दुर्भाग्य की बात यह है कि, अभी इस बिमारी से ग्रस्त है और पैसे के अभाव के कारण इसकी ईलाज नहीं रूकनी चाहिए। थिएन चिन के समुचे लोग इसे अवश्य ही बचा लेंगें।

थिएन चिन चैरिटी कमीटी, मिडिया, उद्योग और कुछ उच्च शिक्षालय की मदद से मदद राशि अनवरत रूप से बढ रही है। ईलाज खर्च का प्रश्न लोगों की मदद से धिरे-धिरे आसान हो रहा है। इसके साथ-साथ, आयनूर के सफेद रक्त कोशिका के प्रत्यारोपण का काम भी चल रहा है। अगर उपयुक्त स्टेम कोशिका मिल जाती है तो आयनूर की बिमारी के ईलाज का प्रतिशत 5 प्रतिशत से बढकर 40 प्रतिशत हो जाएगा।

सिनचियांग के आयनूर और उसके माता-पिता के सामने बहुत सारी कठिनाईयाँ है। लेकिन इन कठिनाइयों के सामने आयनूर धिरे-धिरे मजबूत हो रही है, क्योंकि उसे धिरे-धिरे बहुत सारे लोगों की सहायता मिल रही है और उसे उत्साहित भी कर रही है। मै चीन के उत्तर-पश्चिमी इलाके से आयी एक बहुत ही साधारण लङकी हूँ। लेकिन मै बिमार पङने के बाद इतने सारे लोगों की सहायता पाकर अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझती हूँ।

वर्तमान में एक अलग कमरे में रह रही आयनूर अपने परीक्षा की तैयारी में लगी है, साथ ही नर्स से पिछले कमरे के दो रोगियों की हालत पूछना नहीं भूलती है। घर के लोगों का फोन आने पर मुस्कुरा कर लोगों का जबाब देती है, समाज के विभिन्न तबकों से आयनूर के लिए मदद सतत रूप से आ रही है। थिएन चिन के रेडक्रॉस सोसाईटी के खाते में आयनूर के मदद की राशी आठ लाख छयासी हजार युवान पहुँच चुकी है। आयनूर के गाँव अलताय से भी पचास हजार युवान की मदद राशी मिली है। नान खाय विश्वविद्यालय में एक गरीब छात्र को बिमारी से बचाने के लिए सहायता राशी कमिटी का गठन किया गया है जिसका उपयोग आयनूर जैसी छात्र-छात्रा को बचाने में किया जाएगा।

ग्यारह अक्टूबर को आयनूर को बचाने के बारे में सबसे नयी खबर आयी, जो कि दुख भरी भी है और आशा भरी भी। दुख की बात यह है कि चीनी स्टेट मज्जा कोष में आयनूर के उपयुक्त सफेद रक्त कोशिका नहीं मिल पाया, लेकिन खुशी की बात यह है कि अब आयनूर की हालत पहले से अच्छी है जिसके कारण उसकी ईलाज कर रहे मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि वे आयनूर के शरीर में सफेद रक्त कोशिका के प्रत्यारोपण की नई विधि ढूँढ रहे हैं। जिससे लोगों में आशा की एक नई किरण जग गई है।

इस कङाके की ठंढ में, आयनूर के कारण चीन के पूर्वी भाग के पो हाय समुद्र और उत्तर-पश्चिमी भाग के आलताय पठार के बीच प्यार का पुल गया है। जो हमें और आयनूर के दोस्तों, और लोगों को आयनूर के लिए उज्ज्वल भविष्य की कामना करने की प्रेरणा देती है।

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