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पंडाओं की जन्मभूमि का दौरा
2010-02-22 08:53:40

जैसा कि आप जानते हैं कि चीन में पंडाओं की संख्या सब से ज्यादा पायी जाती है और पंडे को चीनी राष्ट्रीय निधि माना जाता है । जबकि दक्षिण पश्चिम चीन के सछ्वान प्रांत में जंगली पंडाओं की संख्या समूचे चीन के तीन चौथाई से अधिक है , यह स्थल पंडाओं का सब से पसंदीदा रहने वाला स्थल भी है । इसे ध्यान में रखकर सछ्वान प्रांत ने अनेक पंडा संरक्षित अड्डे स्थापित किये हैं और मानवकृत रुप से अधिक पंडाओं का जन्म दिया गया है । सछ्वान प्रांत की राजधानी छंग तू शहर के पंडा जनन अनुसंधान अड्डा पंडों पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने में दक्ष ही नहीं ,बल्कि वहां पर बड़ी तादाद में पंडा भी देशी विदेशी पर्यटकों को मोहित कर लेते हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को पंडाओं के इसी विहार का दौरा करने ले चलते हैं और साथ मिलकर इन प्यारे मोटे दुर्लभ जानवरों को आंखें भरकर देखते हैं ।

सर्दियों में छंग तू शहर का मौसम काफी ठंडा लगता है , पर पर्यटक ठंडे मौसम की परवाह न कर पंडा वैज्ञानिक अनुसंधान प्रतिष्ठान में बड़े उत्साहपूर्ण दिखाई देते हैं । छुट्टी के दिन सुबह पर्यटक अनुसंधान प्रतिष्ठान के गेट के पास दसेक मीटर लम्बी लाइन में खड़े हुए इंतजार करते हुए नजर आते हैं । उन में अधिकतर स्थानीय वासी संपरिवार के साथ यहां आते हैं , कुछ बाहर से आये पर्यटक भी है , हां जी , प्राईमरी व मीडिल स्कुलों व विश्वविद्यालयों के छात्रों की संख्य़ा भी कम नहीं है । सछवान प्रांत के एक विश्वविद्यालय के कई छात्र लाइन में खड़े होकर बड़ी प्रसन्नता से बातचीत करते दीखते हैं ।

एक छात्र ने कहा कि सुना जाता है कि पंडा तभी बाहर निकल जाता है , जबकि उस का मनोभाव बढ़िया हो , मुझे उम्मीद है कि आज वे ज्यादा खुश होकर बाहर निकल आयेंगे , ताकि हमें और ज्यादा पंडा देखने को मिलें।

दूसरे छात्र का कहना है कि मुझे बड़ी चिन्ता है कि कहीं हमारे अंदर जाने पर उस की नीन्द न आये । मैं उसे बांस खाते हुए देखना चाहता हूं ।

तीसरे छात्र ने अपनी जिज्ञासा व्यक्त करते हुए कहा कि मैं उसे नाचते कूदते हुए देखना चाहता हूं । चौथे छात्र ने कहा कि मैं उसे छूने को उत्सूक हूं , पर यह असम्भव है ।

अनुसंधान अड्डे के अंदर प्रवेश करते हुए घने लहलहाते बांस जंगल नजर आते हैं । क्योंकि यह अनुसंधान अड्डा एक पहाड़ी क्षेत्र में अवस्थि है , इसलिये देखने में यह अड्डा एक विशाल पहाड़ी पार्क जान पड़ता है । इस विशाल पार्क में पंडा के लिये अंगिनत निवास स्थान स्थापित हुए हैं । छंगतू पंडा जन्न अनुसंधान अड्डे के गाईड ह्वांग च्ये ने परिचय देते हुए कहा कि पंडा स्थिर रुप से किसी निवास स्थान में ठहरना ज्यादा पसंद नहीं करते , उन के लिये अकसर निवास स्थान स्थानांतरित करना जरूरी है । अतः अनुसंधान अड्डे कर्मचारी नियमित रुप से उन का निवास स्थान बदल करते हैं , साथ ही उन के निवास स्थानों पर उन्हें खुशामद करने के लिये विविधतापूर्ण मनोरंजन संस्थापन भी बदल जाते हैं ।

गाईड ह्वांग ने कहा कि यदि उन्हें ज्यादा समय तक एक संकरे निवास स्थान में बिठायेंगे , तो वे आसाधारण कार्यवाही करते हैं , इसलिये अनुसंधान अड्डे के पालक नियमित रुप से उन्हें निवास स्थान बदलते हैं , ताकि उन्हें नये निवास स्थान में ताजा लग सके । इतना ही नहीं , पालक निवास स्थानों में उन के लिये कुछ काष्ठ ढांचे , झूरा , बोल जैसे संस्थापनों का इंतजाम करते हैं , ताकि वे यहां ठहरते ठहरते न ऊब जाये ।

हालांकि अब बाहर बहुत ठंड लगती है , पर पंडा लगभग सभी निवास स्थानों के बाहर दिखायी देते हैं , कुछ धीरे धीरे पेड़ पर चढ़ते हुए नजर आते हैं , कुछ तो एक दूसरे के गले लगाते हुए खेलते हैं , देखने में बड़े प्यारे लगते हैं । यह दृश्य देखकर कुछ पर्यटकों ने पूछा कि इतने ठंडे मौसम में पंडा को जरी सी ठंड क्यों नहीं लगती और बाहर ठहरना ज्यादा पसंद क्यों है । गाईड ह्वांग ने इस की चर्चा करते हुए कहा उन्हें ठंडा मौसम ज्यादा पसंद है , क्योंकि जंगल में वे समुद्र की सतह से 1500 से 3400 मीटर की ऊंचाई पर उगे बांस जंगल में रहते आये हैं , ऐसे क्षेत्रों का सालाना तापमान 20 डिग्री सेलसियल के नीचे है , उस के शरीर पर मोटे बाल रुईदार कोट जितना गर्म है , और तो और उस के शरीर में पसीना नहीं आता है , इसलिये उसे सर्दी नहीं लगती , यहां तक कि वे कड़ाके की सर्दियों में भी खाने की खोज के लिय़े बाहर जाते हैं।

पंडों पर मोहित बहुत से पर्यटकों का मानना है कि पंडा इसीलिये मोटा होता है , क्योंकि उसे खाने व सोने का बड़ा शौक है । यह बिलकुल सही है , इसी पंडा जनन अनुसंधान केंद्र में यह दृश्य आसानी से देखने को मिलता है । यहां पर मोटे पंडे जमीन पर लेटकर ढेर सारे बासों को अपने पूरे शरीर को ओढ़ देते हैं , फिर बड़े लगन से अपना पसंदीदा भोजन करने में मजा लेते हैं। गाईड ह्वांग च्ये ने इस का परिचय देते हुए कहा कि पंडों को हर रोज खाने या खाने की खोज करने में 16 घंटे से अधिक समय लगता है , जबकि अन्य 8 घंटे सोने में लग जाते हैं । तो फिर आप यह पूछ सकते हैं कि पंडों को खाने में इतना अधिक समय क्यों लगता है , आखिर वे दिन में कितना ज्यादा बांस खाते हैं । गाईड ह्वांगच्ये ने पंडा प्रतिदिन लगभग बीस से तीस किलो बांस खाता है , पर इतने ज्यादा बांसों के 17 प्रतिशत का ग्रहण शरीर में किया जाता है , बाकी दसेक से ज्यादा किलो बांस मेल के रुप में बाहर निकाले जाते हैं , इसलिये उसे और ज्यादा पोष्टि प्राप्त करने के लिये बेरोकटोक रूप से बांस खाने की सख्त जरूरत पड़ती है ।

गाईड ह्वांग च्ये ने कहा कि असल में पंडा एक बहुत होशियार जानवर है , वह अच्छी तरह जानता है कि कौन सा बांस सब से स्वादिष्ट है और बांस की कौन सी कड़ी ज्यादा ताजा है । इसलिये पालक उस के लिये हर रोज 50 किलो से अधिक बांस तैयार करते हैं , ताकि वह खाते समय बांसों का छांट कांट कर सके ।

मानवकृत रुप से पंडे का पालन पोषण करना इसी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख कार्यों में से एक भी है । विशेष जरूरत के मद्देनजर नन्हे पंडा पालने वाला कक्ष नहीं खुलता , पर्यटक मात्र खिड़कियों से उन्हें देख सकते हैं । गाईड ह्वांग च्ये ने कहा कि इधर कई माहों में पर्यटक बहुत ज्यादा दिखाई देते हैं , क्योंकि गत सितम्बर में दो प्यारे नन्हे पंडाओं का जन्म हुआ , ये दोनों नन्हे पंडा अब पालने वाले कक्ष में हैं , पालक उन की विशेष देखभाल करते हैं । यह खबर पाते ही बहुत से ज्यादा पर्यटक देश के कोने कोने से यहां आते हैं ।

हूपेह प्रांत से आयी पर्यटक सुश्री चांग मान ने कहा कि उस ने बहुत से शहरों के चिडिया घरों में वयस्क पंडों को देख लिया है , पर इतना छोटा नन्हा पंडा पहली बार देखा , ये छोटे नन्हे पंडा बहुत प्यारे लगते हैं । साथ ही यहां पर पंडों के लिये बड़ी अनुकूल स्थिति भी तैयार हो गयी है , इस से यहां के पंडा देखने में ज्यादा चंचल भी लगते हैं ।

हम ने पहले चिडिया घर में जिन पंडों को देखा था , पर वे यहां के पंडा जितना प्यारे चंचल नहीं हैं । इस बार मुझे अभी अभी जन्मे नन्हे पंडा देखने को मिला है , यह बड़े सौभाग्य की बात है । यहां पर पंडों की अच्छी तरह देखभाल की जाती है , पंडा भी बड़ा प्यारा है ।

अमरीकी पर्यटक जोर्डन मार्यमा इस विशाल पंडा अनुसंधान केंद्र मे पूरे दिन ठहरे , उन्हों ने कुल 20 से अधिक पंडों को देखा है , बड़े संतुष्ट नजर आते हैं ।

बड़ा पंडा बेहद सुंदर हैं, मुझे बड़ी खुशी हुई है कि चीन में पंडों की अच्छी तरह देखभाल की जाती है। आज मैं ने पहली बार अपनी आंखों से 20 से अधिक पंडों को देख लिया है , बड़े प्यारे लगते हैं ।

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