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पर्यावरण संरक्षण के फोटोग्राफर कलाकार उद्योगपति लो हुंग
2010-01-04 14:25:51

चीन के 70 बड़े व मझौले शहरों में आप होलीलैंड नाम की पेस्टरी दुकान देख सकते हैं। होलीलैंड समूह चीन के पेस्टरी खाद्य पदार्थ उद्योगों में एक सबसे बड़ा उद्योग है और उसने चीन की बहुत सी जगहों में अपनी हजारों शाखाएं भी खोली हैं। इतनी बड़े उद्योग के मालिक होने पर भी लो हुंग पर्यावरण संरक्षण के एक फोटोग्राफर कलाकार भी हैं, विशेषकर अफ्रीका के प्रति उनका प्रेम अनोखा ही है। वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम उच्चायुक्त ने लो हुंग को विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान कैनीया की राजधानी में आयोजित पृथ्वी हमारा घर है नाम की एक व्यक्तिगत फोटो नुमाइश लगाने के लिए आमंत्रित किया।

जून 2001 में लो हुंग दक्षिण अफ्रीका के कैपटाउन के केरलोख राष्ट्रीय पार्क में आए, वहां के वृहदाकार प्राकृतिक दृश्यों , मानव और पशुओं के बीच अनुपम स्नेहपूर्ण मिलन की सौन्दर्य भावना ने उनपर गहरा प्रभाव डाला। एक फोटोग्राफर के रूप में लो हुंग ने अपने कैमरे को अफ्रीका के प्राकृतिक नजारों व वन्य जन्तुओं की तत्क्षण गतिविधियों को अपने कैमरे में रखने का काम शुरू कर दिया। उन्होने कहा

मैं अफ्रीका की स्नेहपूर्ण सुन्दरता को प्रदर्शित करना चाहता हूं, यह मेरे जीवन में ऐसी स्नेहपूर्ण सुन्दरता को पाने की एक लम्बी अभिलाषा रही है, यहां सचमुच दिल को छू लेने वाली सौन्दर्य भरी अनमोल झलके हैं।

अफ्रीका की प्राकृतिक सौन्दर्यता ने लो हुंग को बेहद प्रभावित किया। तब से वह अफ्रीका के नामीबीया, कैनीया, जिम्बाबवे, पोसवाना व तान्जानीया आदि दसेक देशों में अपने चिन्ह छोड़ चुके हैं। उन्होने दक्षिण पूर्वी अफ्रीका के अनेक मशहूर प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में जाकर वहां के वन्य जन्तुओं के नजदीक पहुंचकर उन्हें अपने कैमरे में बसा लिया। अफ्रीका के प्रति अपनी भावना की चर्चा करते हुए लो हुंग ने कहा

 मेरे ख्याल में, अफ्रीका विश्व का स्वर्ग है। अफ्रीका में मानव और पशु प्राकृतिक के साथ बड़े मेल मिलाप व स्नेहपूर्ण रूप से रहते हैं । अफ्रीका में आने के पहले दिन मुझे मालूम है कि मुझे अफ्रीका से प्यार होने लगा है। अफ्रीका मेरे जीवन में कभी भी पढ़कर खतम न होने वाली एक पुस्तक है। मैं इन सोन्दर्य भावनाओं को अपने कैमरे में चित्रों के रूप में अपनी मातृभूमि में ले जाना चाहता हूं, लोगों को यहां की सुन्दरता देखने को मिले और लोगों को प्रभावित करें, ताकि सभी लोग पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दें और सभी जन्तुओं की सुरक्षा कर सकें।

अफ्रीका की यात्रा के कई सालों में लो हुंग ने वहां की सुन्दरता को अपने दिल से महसूस ही नहीं बल्कि अपनी आंखो से इस सुन्दरता का नष्ट करने की हरकतों पर भी सीधी जानकारियां हासिल की हैं । लो हुंग ने माला नदी को पार करने के नाम की एक फोटो में अफ्रीकी जंगली घोड़ों, जेबरों को मासाएमाला की ओर स्थानांतरण होने के भव्य व शानदार दृश्य प्रदर्शित किये है। 2008 में वह फिर एक बार अफ्रीका आए और एक मासाएमाला जगह में पशुओं के स्थानांतरण का दृश्य देखने के लिए पहुंचे। लेकिन इस बार वह इतना शानदार व भव्य नजारा देख न सके। जल वायु परिवर्तन की वजह से मासाएमाला घास मैदान की घास पहले से इतने फलते फूलते नजर नहीं आ रहे थे, बहुत से जंगली जन्तुओं ने स्थानांतरण करना बन्द कर दिया। पर्यावरण के नष्ट होने पर लो हुंग बहुत दुखी हुए।

वास्तव में कुछ साल पहले ही लो हुंग ने पर्यावरण के नष्ट होने से जंगली पशुओं पर पड़ने वाले प्रभाव की स्थिति की गंभीरता को महसूस किया था। अपनी 2005 की यात्रा का स्मरण करते हुए उन्होने कहा

2003 और 2004 में मैं कई बार कैनीया आया। 2005 में मैंने देखा कि नाखलू झील बड़ी गंभीर रूप से प्रदूषित हो रही है। उस वक्त मैंने वहां लाखों अग्नी पक्षी के झुंड देखे थे, लेकिन 2005 और 2006 में मैंने देखा कि इस झील में कोई भी पक्षी नहीं रह गया है। पर्यावरण के इतनी बिगड़ती स्थिति को देखकर मेरे दिल को बेहद दुख हुआ। मैं जब हैलीकोप्टर से इस झील से पार कर रहा था तो मेरी आंखो में आंसो भर आए, मैं वाकई रो पड़ा। एक उद्योगपति होने के नाते, पर्यावरण की सुरक्षा करना मेरा एक फर्ज है और इस के लिए मुझे किसी हालत में अपना योगदान करना कोई एहसान की बात नहीं है।

प्राकृति व अफ्रीका के प्रति गहरे प्रेम ने लो हुंग को पर्यावरण संरक्षण में अपना कर्तव्य निभाने के लिए सक्रियशील किया और मन की सुदृढ़ता को और मजबूत किया। उन्होने अपने कैमरे से खींची अफ्रीका के प्राकृतिक नजारों व जंगली जन्तुओं की फोटों से अधिकतर चीनी लोगों को अफ्रीका की जानकारी हासिल करने में भारी मदद दी, और इन चित्रों से लोगों को जन्तुओं से प्यार करने, पर्यावरण की सुरक्षा करने की विचारधारा को उजागर करने की इच्छा को मूर्त रूप देने का निश्चय लिया। 2006 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम उच्चायुक्त के निमंत्रण पर लो हुंग ने विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान कैनीया की राजधानी में पृथ्वी हमारा घर के नाम से एक निजी फोटो नुमाइश लगायी। प्रदर्शनी की समाप्ति के बाद लो हुंग ने अपने चित्रों को निलाम कर एकत्र पैसों को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संरक्षण की परियोजना को सौंप दिया।

प्रदर्शनी ने लो हुंग को अफ्रीका समेत दुनिया के पर्यावरण संरक्षण कार्य के निश्चय को अधिक प्रागढ़ किया और उन्होने पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान करने की ठान ली। नवम्बर 2006 में लो हुंग ने कैनीया की राजधानी नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम उच्चायुक्त के साथ लो हुंग पर्यावरण संरक्षण कोष समझौता संपन्न किया और पर्यावरण संरक्षण परियोजना के लिए एक सार्थक कदम उठाया। यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में अपने व्यक्तिगत नाम से ऐसा कोष स्थापित करने का पहला मिसाल है। संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण शिक्षा के लिए लो हुंग ने पर्यावरण संरक्षण कोष से हर साल में एक बार चीनी बालक पर्यावरण संरक्षण चित्र प्रतियोगिता आयोजन करना शुरू कर दिया, ताकि युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की लोकप्रियता को बढ़ाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम उच्चायुक्त के विश्व बाल पर्यावरण संरक्षण के निदेशक अछीम स्टेनर ने इस की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा

मेरे प्रिय दोस्त लो हुंग जी, आपने हर मुश्किलों को झेलते हुए सक्रियता से दुनिया की विभिन्न जगहों में यात्रा की हैं और आज अपने देश के बाल पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल चित्र प्रतियोगिता का सफल आयोजन करते आए हैं। इस प्रतियोगिता की विचारधारा पृथ्वी के परिवर्तन को बड़ी सावधानी से नजर में रखना है, जिसका महत्व खुद के इस आयोजन से कहीं महत्वपूर्ण है।

जुलाई 2009 में लो हुंग इस प्रतियोगिता में पुरूस्कृत 16 बालकों को अफ्रीका की पर्यावरण सैर करने के लिए उन्हे अपने साथ लाए। उनकी आशा है कि इस गतिविधि के जरिए बालकों को नजदीक से जंगली जन्तुओं से संपर्क कर सीधे पर्यावरण की महत्वत्ता को महसूस करायी जा सके। उन्होने हमें बताया

मैं बच्चों को अफ्रीका में लाकर उन्हे सीधे यह अहसास दिलाना चाहता हूं कि मानव, जन्तु और प्राकृति के बीच स्नेहपूर्ण संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है। केवल नजदीक से अपनी आंखो से इन को देखने से ही उनके दिल में प्राकृति के प्रति प्रेम उजागर हो सकता है , और वे इस प्रेम को अपने मातृभूमि में लाएंगे, दूसरे बालकों को अपना अनुभव बताएंगे, इस तरह नयी पीढ़ी के बच्चे लगातार पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा को अपने जीवन का एक हिस्सा बना ले सकने में सफल रहेंगे ।

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