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मनोहर य्येन आन
2010-01-04 11:04:46

उत्तर पश्चिम चीन स्थित य्येन आन शहर का स्थान चीन में अत्यंत असाधारण है , वह चीनी क्रांति के हिंडोरा के नाम से विश्वविख्यात है । सन 1935 से 1948 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने य्येन आन शहर को आधार बनाकर चीनी क्रांति की विजय प्राप्त कर ली , जिस से य्येन आन शहर में 350 से अधिक क्रांतिकारी स्मृति स्थल छोड़े गये , मसलन चाओ य्वान व यांग च्या लिंग , जहां तत्काल में स्वर्गीय माओ त्से तुंग व चओ एन लाई रहते थे , जैसे स्थल आज भी बेहद चर्चित हैं ।

य्येनआन शहर के केंद्र स्थित पाओथा पर्वत य्येन आन शहर का प्रतीकात्मक निर्माण माना जाता है , पर्यटक य्येन आन के दौरे पर यहां का भ्रमण करने अवश्य ही जाते हैं । यह नौ मंजिला पगोडा थांग राजवंश में निर्मित हुआ था , उस की ऊंचाई 44 मीटर है , पगोडे की छत पर चढ़कर सारे शहर का भू दृश्य साफ साफ देखा जा सकता है । पगोडे के पास मिंग राजवंश काल में निर्मित लौहा घंटा रखा हुआ है , जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी का मुख्यालय यहां पर था , तो इसी घंटे के माध्यम से समय व खतरे की चेतावनी दी जाती थी ।

चऔ य्वान य्येनआन शहर के अंगिनत क्रांतिकारी स्मृति स्थलों में से एक है और उत्तर पश्चिम य्येनआन शहर से 8 किलोमीटर दूर है । यहां पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सचिवालय का छोटा हाल , स्वर्गीय माओ त्से तुंग , चओ एन लाई , ल्यू श्याओ छी और चू त्ह आदि नेताओं के पुराने निवास स्थान पाये जाते हैं । गाईड चू श्याओ च्वान ने इस का परिचय देते हुए कहा

अक्तूबर 1943 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी का सचिवालय यांग चा लिंग से चऔ य्वान में स्थानांतरित हुआ , स्वर्गीय माओ त्सेतुंग , चओ एनलाई , ल्यू शाओ छी , चू त्ह और रन पी शह ये पांच महा सचिव भी यहां रहने लगे थे । इन स्थलों में माऔ त्सेतुंग का पुराना निवास स्थान सब से ज्यादा पर्यटकों को मोहित कर लेता है ।

शरद में चओ य्वान का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत शांतिमय व दर्शनीय है , मुलायम धूप तले पर्यटक बड़े चाव से घूमते हुए दिखाई देते हैं । सिनच्यांग वेगुर स्वायत्त प्रदेश से आयी पर्यटक यांग ली च्युन अपने परिजनों का फोटो खीचने में व्यस्त हैं । उन का कहना है

येनआन हमारा क्रांतिकारी तीर्थ स्थल है , मेरा यहां घूमने का मन बना हुआ है , आज मेरी यह तमन्ना पूरी हो गयी । पुराने निवास स्थानों में हम कल्पना कर सकते हैं कि चीनी क्रांतिकारी नेता विजय पाने के लिये किस तरह दिन रात एक करके काम करते थे ।

येनआन शहर की ह्वांग लिंग कांऊटी में पृथ्वी पर प्रथम समाधि के नाम से नामी ह्वांगती कब्रस्तान चीनी राष्ट्र के पूर्वज ह्वांगती का कब्रस्थान है । ह्वांगती चीनी आदिम समाज के अंतिम काल का एक महान कबिलाई नेता था और चीनी राष्ट्रीय संभ्यता का संस्थापक भी था । ह्वांगती कब्रस्तान का निर्माण सब से पहले छिन राजलवंश में हुआ था, तब से लेकर अब तक उस की मरम्मत व विस्तार कई बार किया गया । वर्तमान में ह्वांगती कब्रस्तान मुख्यतः समाधि व श्वान य्वान मंदिर दोनों भागों में बटा हुआ है । श्वान य्वान मंदिर क्षेत्र के पूजापाठ प्रागण में हर वर्ष पूर्वजों की पूजा के लिये दो बार विशाल प्रार्थना आजोयन किये जाते हैं । जबकि समाधि क्षेत्र में मुख्यतः ह्वांगती की समाधि देखी जाती है । ह्वांगती कब्रस्तान पर्यटन क्षेत्र के गाइड चांग छी ने कहा

समाधि का पैमाना ज्यादा बड़ा तो नहीं है , देखने में बहुत सादा लगता है , उस की ऊंचाई 3.6 मीटर है और उस का कुल क्षेत्रफल 200 वर्गमीटर बड़ा है । जब कोई भी पर्यटक पूर्वजों की पूजा के लिये यहां आता है , तो वह अवश्य ही इस समाधि का एक चक्कर लगा देता है , अर्थ है कि पांच हजार वर्ष पुराने इतिहास का सिंहावलोकन कर पूर्वजों के कारनामों की याद करते हैं ।

ध्यान देने योग्य की बात यह है कि पुराना सिप्रिस पेड़ ह्वांगती कब्रस्तान के कार्डों में से एक है । ह्वांगती कब्रस्थान में अब 83 हजार सिप्रिस पेड़ उगे हुए हैं , जिन में तीस हजार से अधिक पेड़ हजार वर्ष पुराने हैं । श्वांग य्वान मंदिर क्षेत्र में एक सिप्रिस पेड़ का इतिहास कोई पांच हजार पुराना हो गया है । ह्वांगती कब्रस्तान पर्यटन स्थल के गाइड चांग छी ने पेडों की ओर इशारा करते हुए कहा

उधर देखिये , उस भीमकाय पेड़ का इतिहास आज से कोई पांच हजार वर्ष पुराना है , कहा जाता है वह खुद ह्वांगती ने उगाया था , 1998 में चीन में चुनिंदा दुर्लभ सौ प्राचीन पेडों में उस का नम्बर प्रथम स्थान पर आता है। वह चीनी राष्ट्र के पांच हजार वर्ष पुराने इतिहास का जीवित जीविश्म म साक्षी माना जाता है ।

हू खो यानी केटली मुंह झरना चीनी पीली नदी पर सब से प्रसिद्ध झरना है , वह भी येनआन शहर की ई छ्वान कांऊटी में अवस्थित है । पीली नदी यहां से होकर आगे बह जाती है , यहां की नदी के दोनों किनारों पर सीधी खड़ी चट्टान खड़ी हुई दिखाई देती है , नदी का मुंह एक संकरी केटली का मुंह जान पड़ता है , इसलिये उसे हू खो यानी केटली मुह झरना पुकारा जाता है । इस झरने की चौड़ाई 50 मीटर और गहराई भी 50 मीटर है , झरने का सब से विशाल पैमाना तीस हजार वर्गमीटर है । वह चीन में क्वेचओ प्रांत के ह्वांग क्वो शू झरने के बाद दूसरा झरना जाना जाता है ।

इस के अलावा हू खो झरने में चार प्राकृतिक भू दृश्य देखने लायक हैं । गाइड चांग यू ने इस की चर्चा में कहा

पानी में धुआं का मतलब है कि जब पानी के तेज बहाव नदी के दोनों किनारों की चट्टानों से टक्कर मारकर नीचे गिरते हैं , तो पानी का फुहारा देखने में धुआं मालूम पड़ता है , यह फुहारा यदि पर्यटकों पर पड़ता है , तो मालूम पड़ता है कि छिटपुट वर्षा हो रही हो , साफसुथरे मौसम में पाना के इस फुहारे से इंद्रधनुष नजर आते हैं ।

पेइचिंग से आये पर्यटक श्री त्वान हू खो झरने को कैमरे बंद करने में व्यस्त है , दो साल पहले वह हू खो झरने को देखने आया , अब फिर एक बार यह झरना देखने आया ।

उन्हों ने कहा कि यहां पर पर्यटक सर्वप्रथम हृदय से इस चमत्कृत हू खो झरने को महसूस करते हैं , फिर कैमरे से उस की सुंदर तस्वीर उतारने की जीतोड़कर कोशिश करते हैं । हू खो झरने का इंद्रधनुष पीली नदी के प्राचीन इतिहास ही नहीं , बल्कि चीनी आध्यात्मिक भावना अभिव्यक्त करता है , साथ ही वह चीन के उत्थान की अभिव्यक्ति भी है । आज मेरी किस्मत बहुत अच्छी है कि मैं ने यहां पर सुंदर इंद्रधनुष देख लिया है ।

क्रांतिकारी तीर्थ स्थल होने के नाते येन आन चीन सरकार द्वारा घोषित प्रथम खेप के प्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक शहरों में से भी है । येनआन की विशेष छवि पर्यटकों को हमेशा मोह लेती रही है ।

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