इधर के दिनों में चीन के नेटीजनों ने भारतीय डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस को सौ साल तक चीन को सबसे अधिक सहायता देने वाले अंतर्राष्ट्रीय मित्रों में से एक चुना। डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की छोटी बहन आदि परिजन उन की ओर से पुरस्कार लेने के लिए पेइचिंग पहुंचे। उन्होंने आशा प्रकट की कि चीन व भारत के बीच मैत्री निरंतर आगे बढेगी और दोनों देशों के बीच संबंधों का विकास जारी रहेगा।
1938 के अगस्त में चीन के खिलाफ जापान के आक्रमणकारी युद्ध के दौरान चीन को सहायता देने के लिए डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस भारतीय चिकित्सा दल के साथ चीन आए थे। 1942 में बहुत व्यस्त होने के कारण चीन में बीमारी से उन की मृत्यु हो गई। उन की याद में चीनी जनता ने न सिर्फ डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस के स्मृति-भवन का निर्माण किया बल्कि उन के नाम पर एक चिकित्सा स्कूल की स्थापना भी की।
डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की छोटी बहनें सुश्री मनोरमा एस कोटनिस व वत्सला कोटनिस ने संवाददाताओं के साथ इन्टरव्यू में कहा कि डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की अनेक साल पहले मृत्यु हो, लेकिन चीनी जनता उन्हें कभी नहीं भूली है और उन की याद करती है। हमें बहुत खुशी है कि चीनी जनता डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस को प्यार करती हैं। पिछले 60 सालों में चीन ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं। भारतीय जनता चीन की ओर ध्यान देती है और उन्हें चीन के बारे में ज्यादा जानकारी मिलने की आशा है। डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की कहानी चीन भारत मैत्री का एक उदाहरण है। आशा है कि चीन व भारत के बीच मैत्री हमेशा जारी रहेगी।(वनिता)