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कोमू वासियों का वसंत
2009-12-07 14:27:45

कोमू वासियों की संख्या चीनी कुल संख्या में बहुत कम है , इस जाति की कुल जन संख्या मात्र तीन हजार से अधिक है और वह मुख्यतः दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगपांना ताई जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के चिंग हुंग शहर व खान लह कांऊटी में बसी हुई है । दूरदराज क्षेत्र में स्थित होने की वजह से यहां का सार्वजनिक आधारभूत संस्थापन बहुत पिछड़े हुए थे और अधिकांश लोग अभी भी गरीब स्थिति में पड़े हुए हैं । गत वर्ष के वसंत में चीन सरकार ने कोमू वासियों की सहायता में एक विकास योजना कार्यांवित की , तब से लेकर आज तक एक साल से अधिक समय बीत गया है , कोमू वासियों के जीवन में क्या क्या बदलाव आया है ,हम आप के साथ कोमू वासियों के गांव देखने जा रहे हैं ।

क्या आप ने चीन के कोमू वासी का नाम कभी सुना होगा , मुझे यकीन है कि इस जाति का नाम पहले आप ने कभी नहीं सुना , मैं भी पहली बार इस जाति से कुछ परिचित हुई । कोमू वासियों की संख्या चीनी कुल संख्या में बहुत कम है , इस जाति की कुल जन संख्या मात्र तीन हजार से अधिक है और वह मुख्यतः दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगपांना ताई जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के चिंग हुंग शहर व खान लह कांऊटी में बसी हुई है । दूरदराज क्षेत्र में स्थित होने की वजह से यहां का सार्वजनिक आधारभूत संस्थापन बहुत पिछड़े हुए थे और अधिकांश लोग अभी भी गरीब स्थिति में पड़े हुए हैं । गत वर्ष के वसंत में चीन सरकार ने कोमू वासियों की सहायता में एक विकास योजना कार्यांवित की , तब से लेकर आज तक एक साल से अधिक समय बीत गया है , कोमू वासियों के जीवन में क्या क्या बदलाव आया है , आज के इस कार्यक्रम में हम आप के साथ कोमू वासियों के गांव देखने जा रहे हैं ।

खान लह कांऊटी के शांगयुंग कस्बे का नान छ्येन गांव कोमू वासियों का एक गांव है , इस गांव में 60 से अधिक कोमू परिवार रहते हैं । अभी आप ने जो गाना सुना है , वह स्थानीय कोमू वासियों ने गाया है , अर्थ है वे खुशहाली जीवन पर सरकार के आभारी हैं ।

नये चीन की स्थापना से पहले कोमू वासी आदाम समाज के अंतिम काल में थे , उस समय वे लाओस से सटे चीनी ऊष्णकटिबंधीय जंगल में बसे हुए थे और आदिम जीवन बिताते थे । गत सदी के 70 वाले दशक में चीन सरकार ने स्थिर जीवन बिताने देने के लिये उन्हें जंगल से खुले मैदान में स्थानांतरित किया । आज वे नये मकानों में रह गये हैं । एक साठ वर्ष से अधिक बुजुर्ग ने परिचय देते हुए कहा कि पहले हमारा गांव बहुत गरीब था , गांववासियों का जीवन अत्यंत दूभर था , कोई पक्का मकान नसीब नहीं था , लोग केवल झोपड़ियों में रहते थे । अब सरकार ने हमारे लिये नये कमान बनवा दिये हैं । ये जितने ज्यादा नये कमान गत वर्ष में सरकार की मदद में निर्मित हुए हैं ।

गत मार्च में केंद्र सरकार ने कोमू वासियों की मदद में एक योजना लागू की । खान लह कांऊटी सरकार ने यह योजना बनायी कि भावी तीन वर्षों में पक्के मकान , जल संरक्षण , बिजली सप्लाई , शिक्षा , जन जीवन गारंटी समेत 12 परियोजनाओं के निर्माण में कुल 6 करोड़ य्वान से अधिक धन राशि लगायी जायेगी , जिस से 12 स्थानीय गांवों के दो हजार दो सौ से अधिक वासियों को फायदा होगा । वर्तमान में 70 किलोमीटर से अधिक लम्बा ग्रामीण राजमार्ग निर्मित हो चुका है , करीब हजार गांववासियों के लिये पयजल का सवाल हल हुआ है । नान छ्येन गांव के प्रधान येन श्वांग ने कहा कि हम मुख्यतः गांववासियों के लिये पक्के मकान बनवाने में हाथ बटाते हैं , मकान बनवाने में हरेक परिवार को 26 से 27 हजार य्वान की भत्ता दी जाती है , पूरे गांव के मकान बनवाने में लगभग आधा साल लग गया । इस के अतिरिक्त मार्ग , जल निकासी सरंजाम और बैठक रुम बनवाने के लिये कुछ धन राशि भी जुटा देंगे ।

आज के नान छ्येन गांव में काष्ठ खंभों से निर्मित नये पक्के मकान कतारों में खड़े हुए दिखायी देते हैं , हरेक कमरा बड़ा रोशनीदार व हवादार है । हरेक परिवार में बिजली व नल के पानी का प्रयोग किया जाता है , इतना ही नहीं , अधिकतर परिवारों में टी वी सेट व टेलिफोन की सुविधाएं भी उपलब्ध हो गयी हैं , कुछ गांववासियों ने ट्रेक्टर व मोटर साइकिल भी खरीद लिये हैं । मी येन श्यांग नामक महिला युन्नान प्रांत की राजधान खुनमिंग से आयी है , चार साल से पहले उस की शादी इसी गाव के एक युवक से हुई , उस ने भावविभोर होकर कहा कि बहुत अच्छा हो गया है , पहले से बड़ा परिवर्तन हुआ है , मुझे यहां आये हुए चार साल हो गये हैं , इन चार सालों में सचमुच भारी बदलाव आया है , नये पक्के मकान बनवाये गये हैं , बिजली , पानी और मार्ग जैसे बुनियादी संस्थापन अत्यंत सुविधापूर्ण हैं , इन सब कुछ की कल्पना पहले नहीं की जा सकती ।

हर सुबह सात आठ बजे से गांव वासी अपने खेती बाड़ी का काम करने जाते हैं , खेतों में धान , मक्कई , शिमला मिर्च और सीता फल जैसी कृषि फसलें उगायी जाती हैं । इस के अलावा नये विशाल रबड़ बागान भी हैं । मी येन श्यांग से पता चला है कि उस परिवार के पास दो हैक्टर से अधिक रबड़ बागान है , दूसरी कृषि फसलों को मिलाकर उस की परिवार की सालाना आमदनी 20 हजार य्वान से अधिक है , जबकि इस गांव में उस का परिवार काफी खुशहाली की गिनती में नहीं आता ।

वर्तमान में रबड़ उद्योग के विकास से गांववासियों की आय बढ़ गयी है । स्थानीय सरकार ने इसे ध्यान में रखकर समृद्ध प्राकृतिक सन्साधनों व वातावरण स्थिति के सहारे रबड़ पेड पौधे व विशेष खाद व संबंधित तकनीक ट्रेनिंग देने में धन लगाने का फैसला लिया है । नान छ्येन गांव के प्रधान येन श्वांग ने इस का परिचय देते हुए कहा कि अब करीब 133 हैक्टर भूमि पर जो रबड़ पेड़ उगे हुए हैं , उन का अधिकांश भाग 1996 में लगाया गया है । उस समय विचार बंधन से मुक्त कुछ होशियार लोगों ने सब से पहले रबड़ पेड़ लगाये थे और बड़ा मुनाफा भी प्राप्त किया है । यह देखकर 2005 के बाद सरकार ने विशेष धन राशि अनुदित कर बड़े रक्बे पर रबड़ पेड़ उगाने में गांववासियों को प्रोत्साहन दिया । अब लगभग सभी खाली जमीन पर रबड़ पेड़ लगाये गये हैं ।

इस के साथ ही गत वर्ष से नव गांव निर्माण कार्य दल सहायता योजना को मूर्त रूप देने के लिये गांवों में तैनात हुए हैं , वे मुख्यतः गांवों को नियमों को संपूर्ण बनाने , अंतरविरोधों व विवादों को सुलझाने और कठिन परिवारों व छात्रों की मदद करने और हरियाली बनाने में हाथ बटाते हैं । परिणामस्वरुप गांववासियों की विचार धारणों में भी भारी परिवर्तन हुए हैं । मसलन वे पहले मात्र खेती बाड़ी के काम पर ज्यादा जोर देते थे , पर आज वे अपने अतिरिक्त पैसे से दूसरा व्यवसाय करने में रुचि लेते हैं । और बहुत से गांव वासी पढ़ने के लिये अपने बच्चों को आसपास के अच्छे स्कूल में भेज देते हैं , ताकि और अधिक जानकारी व तकनीक पर महारत हासिल किया जा सके । ये ला नामक कार्यकर्ता तीसरी खेप में आये कार्यदल का निर्देशक हैं । उन का कहना है

नव गांव निर्माण योजना बहुत अच्छी है , जिस से शहरों व गांवों के बीच का फासला कम हो गया है , पहले शहरों व गांवों के बीच का फासला सचमुच बड़ा था , खासकर बच्चों के लिये स्कूल जाना भी कठिन था , क्योंकि उन के पास पैसा नहीं था , अब सभी स्कूली उम्र वाले बच्चे स्कूल जाते हैं , विचार बंधन से मुक्त होने से सभी काम करने में आसान हो गया है ।

वर्तमान में यहां के अधिकतर गांववासियों को हान भाषा बोलना नहीं आता है , इस से वे बाहर के साथ आदान प्रदान करने में बाधित हो गये हैं । इस के मद्देनजर स्थानीय सरकार एक नया स्कूल निर्मित करने में लगी हुई है । गांववासी ई श्यांग युन अब दूसरे क्षेत्र के एक नार्मल स्कूल में पढ़ती है । उस की सब से बड़ी अभिलाषा है कि भविष्य में नार्मल स्कूल से स्नातक होने के बाद इसी स्कूल की अध्यापक बने , ताकि और अधिक बाल बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सके ।

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