सिंगच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश में एक मशहूर वेवुर अल्पसंखायक जाति के स्थानीय क़ानून के जानकार और इतिहासकार हैं । पिछले 3० सालों में, उन्होनें वेवुर और मध्य एशिया व पश्चिमी एशिया के इतिहास , संकृति , धर्म, क़ानून, रीति-रिवाज, पुरातत्व आदि विषयों पर काफ़ी अध्ययन में अपना आपको समर्पित कर दिया है। अब तक उन्होंने पचास से ज़यादा शोध लेख और बहुत सारी निबंधों की रचना की है। वही हमारे आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं। आप हैं युसुफच्यांग अली इस्लामी।
60 वर्ष के अली इस्लामी जी का जन्म सिंगच्यांग के अख्सू शहर में हुआ है। उन के दादाजी एक प्रसिद्ध उलेमा हैं जो कि क़ुरान, अरबी और फ़ारसी भाषा के जानकार हैं । उन के दादा जी और पिताजी वहाँ के काफ़ी मशहूर बुनाई कारीगर थे।
1966 में जब वे मिडिल स्कूल से स्नातक हुए तो उसी समय चीन में महान सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत हो गई , जिससे दस वर्षीय घरेलू डावाडोल के नाम से भी जाना जाता है। इस घटना ने इस्लामीजी को विश्वविद्यालय जाने से वंचित कर दिया। लेकिन इसी समय उन्होनें अपने जीवन के अविस्मरणीय पलों को अनुभव किया।
वे कहते हैं, 1966 में मिडिल स्कूल से स्नातक होते समय मैं एक श्रेष्ठ विद्यार्थी था , मैं विद्यार्थियों का प्रतिनिधि बनकर , चैमन माओ ज तुंग से मिलने बीजिंग गया , उन से मेरी दो बार की मुलाकात हुई। मेरे लिए यह घटना उस समय बहुत ही अविस्मरणिया घटना थी।
मिडिल स्कूल से स्नातक होने के बाद युसुफच्यांग जी सिंगच्यांग सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हो गये। इस्लामी जी चीनी भाषा नहीं बोलने वाले एक वेवुर जाति के सैनिक ने सैन्य शिविर में बहुत ही विनम्रपूर्वक चीनी भाषा सीखी , इनकी चीनी भाषा बहुत तेज़ी से सुधरने लगी , जोकि इनके एक मामूली सैनिक से सेना अधिकारी बनने में सक्षम रहे।
वे कहते हैं, शुरू में एक मामूली सैनिक के रुप में, सैन्य शिविर की हान जाति के सैनिक दोस्तों और सैनिक अधिकारियों की मदद से चीनी भाषा सीखी। प्रारंभ में बहुत कम आता था, लेकिन बाद में समाचार पत्र पढना, पत्र लिखना, चीनी सुनना, बोलना आ गया। वहां के वेवुर जाति का एक मामूली सैनिक आखिर में सैनिक अधिकारी बन गया।
युसुफच्यांग जी को बचपन से ही कविताएँ एवं निबंध लिखने का शौक है। 1980 की शुरुआत से, उन्होंने सामाजिक विषय में शोध कार्य शुरु कर दिया। छः लोगों का परिवार काफी खुश नहीं था, फिर भी उन्होंने 2000 युआन की 500 से अधिक पुरानी ग्रंथ, इतिहास, और इससे संबंधित पुस्तकें खरिदीं, बङे लगन के साथ सामाजिक विकास के प्रश्नों पर शोध करना शुरु कर दिए, और बहुत सारे शोध पत्र भी प्रकाशित किए। इन शोध पत्रों में एक नवयुवकों के अपराध संबंधित (बच्चों की देखभाल और उनकी प्रारंभिक शिक्षा पर जोर) शोध पत्र ने वहाँ के स्थानिय लोगों पर काफी गहरा प्रभाव छो़ड़ा।
1985 में चीन की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा यानी एन पी सी ने निर्णय लिया कि आम लोगों को सामान्य क़ानूनों की जानकारी देने का काम शुरू किया जाए। युसुफच्यांग जी एक शस्त्र पुलिस के रूप में सिंगच्यांग मुख्य पुलिस और आम नागरिकों को क़ानून की जानकारी देने के लिए एक कक्षा की शुरुआत की। उन्होंने इस की भाषा रूपरेखा भी तैयार की, जोकि बहुत ही फ़ायदेमंद साबित हुआ। इस काम ने युसुफच्यांग जी को , आम लोगों में क़ानूनी ज्ञान बढ़ाने और आधुनिक एवं प्राचीन क़ानून का एक साथ शोध करने की प्रेरणा दी। यह सिंजियनयंग के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण साबित हुआ।
युसुफच्यांग जी कहते हैं, हमारे वेवुर जाति की प्राचीन क़ानून छठी शताब्दी में ही शुरू हो गयी थी। प्राचीन कालीन वेवुर अल्पसंखयक जाति का क़ानून अलिखित क़ानून था। प्राचीन काल का अलिखित क़ानून लोगों की रीति रिवाज के रूप में आम लोगों के बीच प्रचलित था, जिसका सामाजिक गठबंधन में बहुत बड़ा योगदान था। मेरी ख्वाहिश अपनी अल्पसंखायक जाति के क़ानून पर शोध करना था।
इस संकल्प के साथ युसुफच्यांग जी ने अपना अतिरिक्त समय वेवुर जाती के क़ानून के शोध में लगा दिया , जोकि पाँच वर्षों तक चला। एक मिडिल स्कूल के स्नातक के लिए यह शोध कार्य बहुत ही कठिन कार्य था। उन्होनें 11वीं शताब्दी के वेवुर जाती के दर्शनशष्तरा के ज्याँ के आधार पर बहुत सारी एतिहसिक रचनाओं को इकट्ठा किया, खुद वेवुर जाती के शास्त्रीय रचनाओं, दर्शन शष्ट्र, लोक संस्कृति, क़ानूनी सीधंत, निबंध लेखन जैसे विषय पढ़कर, उच्च माध्यमिक शिक्षा उत्तीर्ण की। काम के अलावा, यह अपना सारा समय किताब पढ़ने, लिखने में लगा दिए। उन्हीं के शब्दों में, "मैं खुद को भूल गया क़ी मैं एक प्रसन्नचित, नाचने गाने वाला वेवुर जाती का हूँ"
1993 में युसुफच्यांग जी की पहली रचना प्रकाशित हुई। उस समय, एन पी सी के थोमूर दवमेंत ने इस पुस्तक की बहुत तारीफ की और इस पुस्तक की प्रस्तावना भी लिखी। इससे युसुफच्यांग जी बहुत संतुष्ट थे। यह रचना चीनी अल्पसंख्यक जाति के प्राचीन क़ानून और सांस्कृतिक इतिहास की छोटी सी उपलब्धि थी। शिन्हुआ और चीनी न्याय समाचार पत्र के अलावा दस से ज़्यादा समाचार पत्रों ने इस रचना के बारे में लिखा और कहा के यह रचना हमारे देश के वेवुर जाती के क़ानून की पहली रचना है। यह रचना युसुफच्यांग जी के लिए बहुत ही गौरव की बात थी। उन्होंने चीनी पुलिस मुख्यालय से तीसरा पुरस्कार प्राप्त किया साथ ही एक पुलिस अधिकारी के रूप में वेवुर जाती के संकृति, सिंचियांग के क़ानून के प्रसार के लिए भी प्रशंसा प्राप्त की, साथ ही पुलिस अकादमी में दाखिला भी मिल गया।
1995 में, युसुफच्यांग जी पुलिस सेवा से सेवानिवृत होकर , सिंगच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के सरकारी आर्थिक शोध केंद्र में काम करने लगे। युसुफच्यांग जी अपनी पहली रचना से संतुष्ट नही थे, उन्होंने फिर से नया शोध क्षेत्र खोजना शुरू कर दिया। युसुफच्यांग जी कुछ विदेशी प्रसाशण संस्थान के शोध के समय पाया कि मुस्तफ़ा कैमूर, तुर्की के एक बहुत प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, जिन्हें तुर्की के पिता के नाम से जाना जाता था। इसका पता लगाने के लिए , उन्होनें फिर से बहुत सारी सामग्रियों का अध्ययन किया। 5 वर्षों के बाद उन्होंने एक पुस्तक की रचना की। इस पुस्तक ने सिंचियांग में तुर्की के राष्ट्र पिता खमूर के शैक्षिक अनुसंधान का काम शुरू किया। वर्ष 2002 तक , युसुफच्यांग जी पाँच बार तुर्की अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान कार्यक्रम में भाग लेने गये। इस ने चीन और तुर्की दोनों देशों के नागरिक संबंध और भाईचारा को बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया।
युसुफच्यांग जी आगे कहते हैं , एक सामान्य सिपाही से सेना अधिकारी, फिर एक साहित्यकार बनने में, खुद की मेहनत के अलावा उनके देश ने भी उन्हें बहुत सारी सुविधा प्रदान की है। कहते हैं, "इस साल मैं सेवानिवृत होने वाला हूँ, लेकिन आदमी सेवानिवृत हो सकता है , लेकिन कलम नही रुक सकती है।"
क्योंकि मन में अभी 6 पुस्तकें और प्रकाशित करने की योजना है। उन के अनुसार, मैं सेवानिवृत होने के बाद काम करना बंद नही करूँगा, किताब लिखना जारी रखूँगा, क्योंकि अभी और भी कई पुस्तकें लिखने और प्रकाशित करने की योजना है। भविष्य में अनवरत रूप से नये शोध की दिशाओं की खोज जारी रखूँगा, नये दिशाओं में शोध करूँगा।(विकास)