यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है । श्रोताओं को पवन की नमस्ते। विदेशी दोस्तों की निगाहों में चीन कार्यक्रम सुनने के लिए आप का स्वागत। श्रोता दोस्तो, फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री, फ्रांस के सांसद जीन राफ्फरिन चीनी लोगों का अच्छा दोस्त है। सन् 2003 में सार्स फैलते समय उन्होंने फ्रांस के प्रधानमंत्री की हैसियत से चीन की यात्रा की। प्रधानमंत्री के पद से निवर्तमान होने के बाद वे चीन और फ्रांस के बीच आदान प्रदान मजबूत करने के लिए विभिन्न मदद दी। अच्छा, अब लीजिए, सुनिए, फ्रांस में तैनात सी.आर.आई की संवाददाता डेंग यीन फिंग द्वारा दिया गया फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री राफ्फारिन का एक साक्षात्कार।
इस वर्ष नए चीन की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है। यह चीन और फ्रांस के बीच कुटनीतिक संबंध स्थापित किया जाने की 45वीं वर्षगांठ भी है। इन के अलावा मुझे मालूम है कि यह चीन की खुलेपन व रूपांतरण नीति लागू की जाने की 30वीं वर्षगांठ है। इन सालों में चीन के अर्थतंत्र व समाज तेजी से विकास हुए। सन् 1976 में मैं ने पहली बार चीन की यात्रा की।मैं ने अपनी आंखों से चीन के विकास को देखा है। मुझे विश्वास है कि भविष्य में चीन भी तेजी से विकास हो सकेगा।
चीन की पहली यात्रा करने के बाद श्री जीन राफ्फारिन चीन पर ध्यान देने लगे। चीन की स्थिति पर अध्ययन करने के बाद वे चीन के समाज व अर्थतंत्र को अच्छी तरह जानते हैं। उन के विचार में चीन विकास के रास्ते पर शुरु होने वाला एक महा देश है। चीन विश्व के साथ सहयोग करने की कोशिश करता रहा। दुनिया के अन्य देशों को भी चीन के साथ सहयोग मजबूत करना चाहिए। श्री जीन राफ्फारिन ने यह कहा
सन् 1975 में चीन के जी.डी.पी दुनिया के कुल जी.डी.पी के 0.5 प्रतिशत है। लेकिन अब इस संख्या 5 प्रतिशत बन गयी। चीन में हर वर्ष 2 करोड़ जन संख्या बढ़ी। 3 सालों में चीन में नयी जन संख्या फ्रांस की कुल जन संख्या का बराबर है। हमें इस बड़े देश के साथ संपर्क व सहयोग मजबूत करना चाहिए।
इन सालों में चीन और फ्रांस, चीन यूरोप के बीच आदान प्रदान मजबूत होते रहे। पश्चिमी मीडिया भी चीन के बारे में ध्यान देने लगे। लेकिन फ्रांस के बहुसंख्यक आम लोगों के मन में चीन की स्थिति स्पष्ठ नहीं है। उन के मन में चीन की स्थिति पर संदेह होती है। इस वजस से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध के विकास को भी कुप्रभाव दिया गया। इस समस्या पर श्री जीन राफ्फारिन ने यह कहा
चीन दुनिया में सब से महत्वपूर्ण देशों में से एक बन रहा है। लेकिन विश्व में चीन की स्थिति पर कुछ गलतफहमी होती हैं। चीन पर कुछ गलत टिप्पणी दी जाती है। यूरोपीय लोगों को चीन के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। उन्हें चीन में जाकर अपनी आंखों से चीन की स्थिति को देखना चाहिए।
फ्रांस के राजनीतिक जगत में चीन का परिचय देने के लिए श्री जीन राफ्फारिन अकसर चीनी दूतावास के अधिकारी, चीनी विशेषज्ञों व छात्रों को फ्रांस के संसद में जाने का निमंत्रण दिया। जिस से चीनी लोग फ्रांस के सांसद के साथ वार्ता करने का मौका प्राप्त कर सकते हैं। वे भी अनेक बार फ्रांस के सांसदों के प्रतिनिधि मंडल के प्रधान बनकर चीन की यात्रा करते थे। सन् 2006 वे फ्रांस के भविष्य व नवाचार कोष के अध्यक्ष बन गए। इस के बाद वे हर साल में चीन के बारे में एक विषय संगोष्ठी संगठित करते थे।
मैं ने कुछ लोगों को संगठित करने से चीन की स्थिति का परिचय दिया। वे भी चीन की समस्याओं पर दिलचस्प हैं। हम विभिन्न दृष्टि से चीन का अध्ययन करते हैं। हम हमारे संगोष्ठी में फ्रांस, यूरोपीय संघ, भारत और अमरीका की ओर से चीन की समस्याओं पर विचार विमर्श करते हैं।
बहुत व्यक्तियों को इन संगोष्ठी से आकर्षित किया गया। संगोष्ठी में भाग लेने वाले की संख्या हर साल के लिए बढ़ती रही। जिन में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को भी शामिल है। इस वर्ष के संगोष्ठी में विश्व वित्तीय संकट और चीन अमरीका दोनों देशों का भूमिका संगोष्ठी का विषय बनाया गया। श्री जीन राफ्फारिन ने संगोष्ठी में भाषण देते हुए कहा कि विश्व वित्तीय संकट को दूर करने के लिए विभिन्न देशों को सहयोग मजबूत करना चाहिए। जिस से विभिन्न देशों को पहले एक दूसरे को विश्वास करना चाहिए। सिर्फ इस आधार पर विभिन्न पक्षों के बीच वार्ता मजबूत हो सकेगी। श्री जीन राफ्फारिन के फ्रांस के प्रधानमंत्री का पद संभालते समय चीन फ्रांस के बीच संस्कृति साल की गतिविधि संगठित की गयी। जिस में बहुत उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुयीं। सन् 2003 से सन् 2005 तक चीन और फ्रांस के बीच आयोजित की गयी द्विपक्षीय गतिविधियों में दोनों देशों के जनता के बीच दोस्ती आगे बढ़ायी गयी। श्री राफ्फारिन ने जिस से भी प्रेरण प्राप्त किया। उन्होंने यह कहा
द्विपक्षीय गतिविधियों में राजनीतिक आदान प्रदान करने के अलावा व्यापार सहयोग व लोक आदान प्रदान भी मजबूत करना चाहिए। उद्दाहरण के लिए हमें व्यापार सहयोग, विश्वविद्यालय के बीच आदान प्रदान, ज्यादा सांस्कृतिक आदान प्रदान और खेल सहयोग भी संगठित करना चाहिए। विभिन्न स्तरीय मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान करने से दोनों देशों की दोस्ती आगे बढ़ायी जा सकेगी।
अच्छा श्रोता दोस्तो, विदेशी दोस्तों की निगाहों में चीन कार्यक्रम आज यहीं समाप्त होता है । अब पवन को आज्ञा दें, नमस्कार ।
(पवन)