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रहस्यमयी ई जाति का सानी गांव
2009-11-03 10:32:31

सानी गांव के लोग ई जाति की एक शाखा के लोग हैं, जो दक्षिण पश्चिमी चीन के शलीन ई जाति स्वायत प्रिफेक्चर के दा न्वो हेई नामक गांव में रहते हैं। वहां का दृश्य बहुत सुन्दर है और रीति रिवाज पुराने हैं। यहां के 99 प्रतिशत लोग सानी जाति के हैं और सानी की पारम्परिक वेशभूषा पहनते हैं और धार्मिक गतिविधियां में भाग लेते हैं।

युन्नान की राजधानी खुन मिंग से केवल 25 किलोमीटर दूर दा न्वो हेई गांव स्थित है। हालांकि वह शहर की आधुनिक सभ्यता के नजदीक है, फिर भी अभी तक पुरानी व परम्परागत ई जाति की सानी संस्कृति को बरकरार रखे हुए है।

दा न्वो हेई गांव पत्थरों के गांव के नाम से मशहूर है। यहां के मकान व सड़कें आम तौर पर पत्थरों से निर्मित हैं। चूंकि यहां पत्थरों का प्रचुर संसाधन है, इसलिए, सानी के लोगों ने 600 वर्ष पहले ही पत्थरों से मकानों का निर्माण करना शुरु कर दिया था। यह परम्परा अभी तक बरकरार है। दा न्वो हेई गांव युन्नान विश्वविद्यालय के नृःविज्ञान अनुसंधान के खेती मैदान के अनुसंधान केंद्रों में से एक है। नृःविज्ञान के विद्वान श्री छन श्वेईली यहां एक साल से ज्यादा समय तक रह चुके हैं। जबकि पिछले 10 वर्षों में उन्होंने शी लीन के सभी सानी गांवों का दौरा किया है। उन्होंने संवाददाता से कहा,

इस गांव की विशेषता है कि बाहर से देखा जाए तो वह पत्थर का एक मकान है। कारण यह है कि इस गांव के आसपास में पत्थर संसाधन बहुत हैं। पत्थरों के इन मकानों का निर्माण करने के लिए किसानों के पास अनेक जानकारी है। मकान के बाहर पत्थर हैं , जबकि बीच में लकड़ी लगाई है।इस के अलावा, यहां मकान का निर्माण करने के दिनों को चुनने, पत्थरों को चुनने एवं पेड़ों को काटने के लिए विशेष दिन रीति रिवाज के अनुसार तय किये गये हैं।

दा न्वो हेई गांव में प्रवेश करते समय हमें सुखद अनुभूति हुई । यहां ऊंचे-ऊंचे पेड़ हैं, जगह-जगह हरे- हरे बांस हैं।सानी के लोग पेड़ों की पूजा करते हैं। युवक परिवार के बाहर जा कर जीवन बिताने से पहले आम तौर पर पहाड़ पर एक पेड़ उगाते हैं और इस पेड़ का संरक्षण करते हैं।

इसी कारण सानी लोगों के गांव में आम तौर पर पेड़ों का घना जंगल है। सानी लोगों की संस्कृति में मीचीसमा नामक एक व्यक्ति ने गांव की रक्षा की। बाद में हर वर्ष लोग उन की याद में पेड़ उगाते हैं।वन्य में स्थानीय लोग अक्सर पत्थरों से एक मकान का निर्माण करते हैं, जिस में मीचीसमा की मूर्ति रखते हैं। नृविज्ञान के विद्वान छन श्वेईली ने परिचय देते हुए बताया,

आम तौर पर सानी लोगों के हर एक गांव के पास एक जंगल होता है। हर वर्ष सानी लोग जंगल में एक बार पूजा करते हैं। कुछ लोग नवम्बर माह में पूजा करते हैं, जबकि अन्य लोग जुलाई माह में पूजा करते हैं। वे लोग मीचीसमा की पूजा कर के गांव के लोगों की रक्षा की प्रार्थना करते हैं।

पुरानी परम्परागत संस्कृति दा न्वो हेई गांव में पूरी तरह बरकरार है। जबकि यहां के लोगों का जीवन अन्य स्थलों के लोगों से भिन्न नहीं है।सानी लोगों के जीवन में भी आधुनिक संस्कृति के तत्व हैं। अब यहां रहने वाले 260 से ज्यादा परिवारों के किसान मुख्यतः मकई व तम्बाकू उगाते हैं। उन की वार्षिक आमदनी 4000 से ज्यादा चीनी य्वान तक पहुंच गई है।नृविज्ञान के विद्वान छन श्वेईली ने कहा,

पहले यहां के लोग मुख्यतः मकई व जौ उगाते थे।ये उन का प्रमुख आहार है।60 शतक की शुरुआत में लोगों ने तम्बाकू उगाना शुरु किया।अब लोग आलू व गेंहू आदि भी उगाते हैं।ये उपज उन की आर्थिक आमदनी का प्रमुख स्रोत है।

अब दा न्वो हेई गांव में लगभग हर एक परिवार के पास टेलिविजन, फ्रिज़, मोबाइल फोन एवं ट्रैक्टर आदि है। सरकारी मदद से हर एक परिवार ने गैस का इस्तेमाल करना भी शुरु किया है। स्थानीय किसान वांग जडंलीन ने हमें बताया,

पहले यहां बंजर भूमि थी, जिस पर उगाया गया अनाज अच्छा नहीं था। अब उर्वरक होने से अनाज बहुत अच्छा होता है। अब गांव में किसान गैस से प्रत्यक्ष रुप से खाना पका सकते हैं। जबकि पहले लोग पहाड़ों से लकड़ी ढूंढकर खाना पकाते थे।

सानी लोग शिक्षा को बड़ा महत्व देते हैं। दा न्वो हेई गांव में बच्चों को प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद काऊंटी में पढ़ना पड़ता है।लेकिन, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में लोगों को यह चिंता है कि सानी लोग धीरे-धीरे अपनी परम्परागत संस्कृति खो रहे हैं।नृःविज्ञान छन श्वेईली के सुझाव पर दा न्वो हेई गांव में आशमा संस्कृति कक्षा शुरु की गयी है, जिस में खास तौर पर बच्चों को सानी लोगों की परम्परागत संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता है। इस विशेष कक्षा में व्यवसायिक अध्यापक नहीं है, सभी क्लास स्थानीय किसानों द्वारा पढ़ायी जाती हैं।इस वर्ष के पूर्वार्द्ध में ये कक्षाएं शुरु की गयी हैं। हर हफ्ते, छन श्वेईली बच्चों को परम्परागत कला सिखाने के लिए गांव के किसानों को बुलाते हैं। इस कक्षा के प्रति किसानों की सक्रिय प्रतिक्रया हुई है। श्री छन श्वेईली के अनुसार,

हम चाहते हैं कि छोटे बच्चे शिक्षा व्यवस्था में अपने पूर्वजों की संस्कृति को जान सकेंगे।हर एक हफ्ते की संस्कृति कक्षा में नृत्य गान समेत इतिहास, परम्परागत खेल, कहानियां व ऐतिहासिक कथाएं, राग एवं खेती भूमि में उत्पादन का ज्ञान आदि पढ़ाया जाता है।

चीन में कुछ लोगों का कहना है कि अपेक्षाकृत कम आबादी वाली जाति की संस्कृति अन्य जातियों की संस्कृति के प्रभाव में धीरे-धीरे गुम होती जाएगी। लेकिन, नृःविज्ञान के विद्वान छन श्वेईली का मानना है कि यह बड़े हद तक इस पर निर्भर है कि एक जाति अपनी भाषा व संस्कृति के प्रति कितना विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि सानी संस्कृति में एक विशेष स्थिति है कि वे लोग अपनी संस्कृति को बड़ी मान्यता देते हैं। श्री छन के अनुसार,

यदि वे खुद अपनी जाति की संस्कृति के प्रति विश्वास रखते हैं, तो बहुत कारगर होगा। सानी के लोग जातीय नृत्य-गान, भाषा एवं जातीय संस्कृति के प्रति गौरव महसूस करते हैं। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

अब सानी लोगों ने उदार रवैया अपना कर अनेक बाहरी संस्कृति को स्वीकार करना शुरु किया है।आधुनिक सभ्यता के कारण सानी लोगों के जीवन में और समृद्धि आई है। जबकि सानी लोगों के प्रयास से उन की परम्परागत संस्कृति भी अन्य संस्कृति के साथ जुड़ कर प्रसारित व विकसित हो रही है।

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