जैसा कि आप जानते हैं कि चालू वर्ष के जुलाई व अगस्त में सी आर आई में कार्यरत कुछ चीनी विदेशी पत्रकारों ने चीनी सीमार्वी क्षेत्रों का दौरा नामक रिपोर्टिंग अभियान में भाग लिया है , वापस लौटने के बाद उन्हों ने बहुत सी रिपोर्टें लिखी हैं और ये रिपोर्टें क्रमशः हमारे इसी कार्यक्रम में प्रस्तुत की जा रही हैं ।
जब हमारा विमान काशी हवाई अड्डे पर उतरा , तो मैं ने बड़ी खुशी के साथ अपने आप से कहा कि मैं काशी आ गया हूं । क्योंकि तुर्की के हरेक व्यक्ति ने अपने बचपन से ही काशी शहर का नाम सुन लिया है ।
काशी क्षेत्र के तीनों तरफ पर्वतों से घिरे हुए हैं , उस के उत्तर में थ्येनशान पर्वत खड़ा हुआ है , पश्चिम में पामीर पठार है और दक्षिण में कालाखुनलुंग पर्वत अवस्थित है , जबकि पूर्व में अपार विशाल ताकरामाई रेगिस्तान ही है । काशी क्षेत्र की कुल जनसंख्या कोई 38 लाख है ।
काशी शहर जाने के रास्ते में सब से पहले मुझे काशी की माता नदी के नाम से नामी तूमान नदी के दोनों किनारों पर खड़े निवास नजर आते हैं । तूमान नदी ने काशी शहर को दोनों भागों में बांट दिया है , पर पुराने शहर को कोई नष्ट नहीं किया गया , काशी का नया शहर पुराने शहर के आधार पर आधुनिक शहर के तकाजे से निर्मित हुआ है।
शहर में ठहरने का बंदोबस्त करने के बाद काशी शहर के एक सरकारी अधिकारी ने हमारे सम्मान में जातीय वास्तु शैली से युक्त एक रस्तारां में लंच खिलाया । नाना प्रकार वाले स्वादिष्ट खाना खाने के साथ साथ अचानक पीछे से सुरीला संगीत सुनाई पड़ा , सिर मोड़कर देखा कि दो संगीतकार मंच पर बैठकर संगीत बजा रहे थे ।
काशी के स्थानीय अधिकारी के साथ हम ने शहर के बहुत से क्षेत्रों का दौरा किया । पुराने काशी शहर में सड़कें ऊबड़ खाबड़ हैं , कभी संकरी दिखाई देती हैं और कभी चौड़ी नजर आती हैं । यहां तक कि मैं ने 11 वीं शताब्दी के शुरु में ह्वी हो वासियों द्वारा स्थापित कालाखां राज्यवंश काल में छोड़ी गयी शहरी दीवार के एक खण्डरह का पता लगाया । सिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश व काशी क्षेत्र ने ऐतिहासिक अवशेषों के संरक्षण में जो काम किये हैं , वे अत्यंत सराहनीय हैं । एक तरफ पुराने शहर के पास एक बिलकुत नया शहर खड़ा किया गया है , दूसरी तरफ पुराने शहर का पुराने रुपरेखा बनाये रखने पर भी नया निखार भी आने लगा है । क्योंकि काशी शहर भूकम्प की पट्टी पर स्थित है , पुराने शहर में बहुत से पुराने निर्माण वर्षाओं व हवाओं की थप्पड़ मार से टिकाऊ नहीं हैं । भूकम्प के मुकाबले के लिये काशी क्षेत्र की स्थानीय सरकार ने पुराने शहर को सुधारने के लिये एक संपूर्ण प्रस्ताव तैयार किया है । शहर वासी अपनी इच्छानुसार कोई भी पैसा खर्च न कर नये निर्मित मकान में स्थानांतरित कर सकते हैं । यदि अपने पुराने निवास स्थान को छोड़ना नहीं चाहते , तो वे सरकारी राशि की सहायता से पुराने मकानों की मरम्मत कर सकते हैं। हम ने नये मकान में रहने वाले परिवार और अपने मरम्मत करने वाले पुराने मकान के परिवार का इंटरव्यू भी लिया है ।
काशी शहर में यदि आप युसुप क्सास हाजिब व मेहमुद गेशगेरी की समाधियां देखने नहीं जाते , तो वह एक निष्ठावान मुसलीम सऊदी अरब में मक्का तीर्थ स्थल न जाने के बराबर है ।
मेहमुद गेशगेररी 11 वीं शताब्दी में सिनच्यांग कालाखां राजवंश काल में अरबी भाषा से विश्वविख्यात तुर्किश शब्दकोष संपादित करने वाले वेवुर जाति के बड़े विद्वान थे । जबकि युसुप क्सास हाजिब वेवर जाति के मशहूर कवि थे और उपदेशकारी गाथा गुतादघुबिलिक के लेखक भी थे, उन का जन्म पाकिस्तान हुआ था , बाद में सिनच्यांग के काशी में स्थानांतरित हुए । इन दोनों महान हस्तियों के प्रति आदर भाव प्रकट करने के लिये स्थानीय पत्रकार विशेष तौर पर हमें वहां देखने ले गये ।
काशी क्षेत्र में हम ने जातीय एकता के नाम से नामी नम्बर 15 नामक गांव का दौरा भी किया । सिनच्यांग के निर्माण के लिये 60 वाले दशक में यहां आये थांग क्वांग त्ह , अब वे इस गांव के प्रधान हैं , ने परिचय देते हुए कहा कि इस गांव में हान , वेवुर , ह्वी व तिब्बत जातियों के लोग एक परिवार की तरह मेलमिलापपूर्वक रहते हैं । जब कोई गांववासी मुश्किल में पड़े , तो सारे गांववासी उसे मदद देते हैं , वे इस बात पर बहुत गौरव महसूस करते हैं ।
चंद कुछ दिन के दौरे से मुझ पर गहरी छाप छोड़ी गयी है ।
मैं ने पहली बार बडे मोल्लाह हाजी जुमा ताहिर का नाम पांच जुलाई उरुमछी घटना के बारे में दिये गये उन के एक बयान में सुना था । चीन के सब से बड़े मस्जिद एटिगर मस्जिद के बड़े मोल्लाह हाजी होने के नाते जुमा ताहीर ने अपने बयान में कहा कि मुसलीम धर्म के अनुसार एक बेगुनाह व्यक्ति की हत्या पूरी मानव जाति की हत्या के बराबर है , जबकि एक व्यक्ति का बचाव समूची मानव जाति के बचाव के बराबर है , उन्हों ने व्यापक मुसलीमों से अपील की है कि वे दुराश्य लिये बदमाशों के भ्रम में न पड़े और बाहरी प्रतिक्रियावादी शक्तियों का मातृभूमि को विभाजित करने का साधन मत बने ।
जब मुझे पता चला है कि चीन के इस सब से बड़े मस्जिद का दौरा करने और बड़े मोल्लाह हाजी जुमा ताहीर से इंटरव्यु लेने का मौका मिला है ,तो मैं बहुत प्रसन्न हूं । मैं अपनी आंखों से देखूंगा कि इस शानदार ऐतिहासिक निर्माण का संरक्षा किस तरह हो पाया है । जब मैं इस मस्जिद में प्रविष्ट होकर जुमा ताहीर से मिला , तो मुझे वे अपने पुराने दोस्त लगे और बड़ी खुशी भी हुई । मुसलीम रीति रिवाज के अनुसार मैं ने उन का हाथ चूमा लिया ।
तुर्की में बड़ा मोल्लाह हाजी यह धार्मिक उपाधि नहीं है , यह सम्मानीय वेवुर धार्मिक व्यक्तियों को सम्मानीत गौरवपूर्ण उपाधि ही है ।
जुमा ताहीर ने परिचय देते हुए कहा कि त्यौहार के उपलक्ष में इस पुराने ऐतिहासिक मस्जिद में करीब 50 से 60 मुसलीम लोग नमाज पढ़ने यहां आते हैं । छै सौ साल पुराना यह एटिगर मस्जिद पहले बहुत छोटा था , फिर उस की स्थापना के दो सौ साल बाद काशी के कुछ अमीरों ने संयुक्त रुप से इस का विस्तार किया ।
69 वर्षीय जुमा ताहीर को इस एटिगर मस्जिद में काम किये हुए 50 साल हो चुके हैं । धार्मिक गतिविधियों का समर्थन करने और मस्जिद का संरक्षण करने की देश की नीतियों की चर्चा में उन्हों ने कहा कि राज्य ने हमारी धार्मिक गतिविधियों को पूर्ण सम्मान दिया है , सामान्य धार्मिक गतिविधियों को राष्ट्रीय कानूनी संरक्षण मिलता है । सिनच्यांग की मुक्ति के बाद राज्य ने हमें बड़ी भौतिक सहायता दी है , 2000 में केंद्र सरकार व स्थानीय सरकार ने भारी धनराशि अनुदित कर मस्जिद की पूर्ण रूप से मरम्मत की है।
पांच जुलाई घटना की चर्चा में जुमा ताहीर ने कहा कि पांच जुलाई घटना कुछ लोगों ने धार्मिक झंडे की आड़ में रच डाली है । वे देखने में निष्ठावान मुसलाम लगते हैं , पर वास्तव में वे मुसलीम धर्म के निचोड़ को कुछ नहीं जानते , केवल धर्म का बेजा फायदा उठाकर अपना बेशर्मी मकसद प्राप्त करना चाहते हैं । सिनच्यांग की विभिन्न जातियों की जनता की ही तरह हम मुसलीम भी उन की कुत्सित हरकतों से नफरत करते हैं । एक धार्मिक व्यक्ति होने के नाते मैं धार्मिक नाम से अपना राजनीतिक मकसद प्राप्त करने की निष्ठुर हरकतों की कड़ी निन्दा करता हूं ।