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चीन के राजयन कार्य के 60 साल
2009-09-22 17:02:32

आज से 60 साल पहले चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई। लेकिन नये चीन के प्रति पश्चिम दुनिया ने उसे अलगाव में डालने की नीति अपनायी। इसी के कारण नए चीन ने अपनी स्थापना के समय से ही स्वाधीनता व स्वतंत्रता की विदेश नीति बनायी। पिछले 60 सालों में चीन एक गरीब देश से बदलकर एक शक्तिशाली देश बन गया, किन्तु उस की स्वतंत्रता की विदेश नीति कभी नहीं बदली। आज सारी दुनिया मानती हैकि शांति से प्रेम करने तथा दृढ़ता के साथ कर्तव्य निभाने वाला चीन विश्व राजनीति में एक अपरिहार्य शक्ति के रूप में उभरा है ।

60 साल पूर्व, पहली अक्तूबर 1949 को नए चीन के अध्यक्ष माओ त्सेतुंग ने थ्येनआनमन मंच पर गंभीरता के साथ घोषणा की कि चीन लोक गणराज्य की केन्द्रीय जन सरकार स्थापित हो गयी है। इस घोषणा के साथ साथ पुराने चीन पर दबा सौ वर्षों का अपमानित राजयन सदा के लिए लद चुका है। लेकिन उस समय पश्चिमी देशों ने चीन के प्रति अलगाव में डालने, उस की शक्ति रोकने तथा नाकेबंदी लगाने की नीति अपनायी । ऐसी स्थिति में नए चीन ने अपने अद्मय साहस और शक्ति का परिचय कर पश्चिमी देशों के झूठारोप, तिरस्कार और दु्श्मनी का सामना करना पड़ा और स्वाधीनता व स्वतंत्रता की भावना दिखाकर नयी विदेश नीति के साथ दुनिया के सामने खड़ा हो गया।

पांच हजार वर्ष पुरानी संस्कृति व सभ्यता से अर्जित बुद्धिमता और परिवर्तनशील अन्तरराष्ट्रीय परिस्थितियों के प्रति पैनी समझदारी और विश्वास के साथ नए चीन ने अपनी स्वतंत्रता वाली विदेश नीति निश्चित करने के बाद अद्मय भावना के साथ संघर्ष किया और वैचारिक मतभेदों से निपटने की कोशिश की। अंततः मैत्री, सहयोग और आपसी लाभ वाली साझी विजय ने पहले की हालत की जगह ले ली। आज चीन और विश्व के विभिन्न देशों के बीच मैत्री गहरी और सहयोग का दायरा विशाल और आपस पर निर्भरता इतनी अधिक हो गयी है कि 60 साल पहले के कुछ पश्चिमी लोगों की भविष्यवाणी को पूरी तरह झूठ साबिक कर दिया गया है। चीनी विदेश मंत्री यांग चे छी ने कहा हैः

चीन और नवोदित बड़े देशों के बीच आपसी लाभ वाला सहयोग दिनोंदिन गहरा होता जा रहा है और अन्तरराष्ट्रीय मामलों में परस्पर समन्वयन और समर्थन लगातार बढ़ता गया है। चीन ने अधिकांश पड़ोसी देशों के साथ सीमा सवाल हल किया है और सक्रिय रूप से क्षेत्रीय सहयोग को बढावा देने की कोशिश कर रहा है और हॉट पॉइंटों पर अपनी अलग भूमिका अदा कर रहा है और पास पड़ोस देशों के साथ अच्छे पड़ोसी वाले मैत्रीपूर्ण सहयोग को गहरा बना रहा है। चीन हमेशा व्यापक विकासमान देशों के साथ एकता व सहयोग के विकास को अपनी विदेश नीति का आधार मानकर चलता है और उन के साथ परंपरागत मैत्रीपूर्ण संबंधों का और विकास कर रहा है।

पिछले 60 सालों के दौरान चीन ने 171 देशों के साथ राजनयिक संबंध कायम किए है, जबकि नए चीन की स्थापना के आरंभिक काल में सिर्फ 18 देशों ने चीन को मान्यता दी थी। पिछले 60 सालों में चीन और प्रचलित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के बीच के संबंधों में गहरा परिवर्तन आया । चीन ने 130 से अधिक अन्तर्सरकारी संगठनों में भाग लिया है और 300 से ज्यादा संधियां संपन्न की हैं। श्री यांग चे छी ने कहाः

इस से जाहिर है कि चीन ने वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय ढांचे के बाहर से इस ढांचे के अन्दर प्रवेश किया है। अब चीन वर्तमान प्रचलित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था में भागीदार, निर्माता और सुधारक बन गया है।

विश्व के सब से बड़े विकासमाल देश और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देशों के नाते चीन ने वर्षों से अपने देश के निर्माण व विकास को बेहतर बनाने के साथ साथ एक जिम्मेदाराना देश के रूप में विश्व की समृद्धि व विकास के लिए अपनी भूमिका अदा की है। हाल के कुछ वर्षों में चीन ने विश्व के करीब सभी क्षेत्रों में अपनी भूमिका अदा की है। चीन ने चीन अफ्रीका सहयोग मंच का पेइचिंग शिखर सम्मेलन बुलाया, 2008 पेइचिंग ओलंपिक आयोजित किया, आसियान के दस देशों के साथ सहयोग किया और जी आठ गुट के साथ वार्तालाप किया। सूडान के दारफूर सवाल और कोरियाई नाभिकीय सवाल को लेकर मौसम परिवर्तन व वित्तीय संकट तक चीन ने अपना रूख प्रकट किया और अच्छा काम कर दिखाया है।

चीनी विदेश मंत्री यांग चे छी ने कहाः

चीन अन्तरराष्ट्रीय मंच पर अधिकाधिक सक्रिय हो रहा है और चीन ने विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्रों में व्यापक सहयोग किया, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का समर्थन किया, विश्व वित्तीय व्यवस्था के सुधार को बढ़ावा दिया और विकासमान देशों के अभिव्यक्ति अधिकार व प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का समर्थन किया और वार्ता के जरिए अन्तरराष्ट्रीय विवादों के समाधान को प्रोत्साहित किया।

पिछले 60 सालों के बाद देश के शक्तिशाली होने तथा युग के बदलाव के कारण चीन की वैदेशिक कार्यवाहियों में भी लगातार गहरा परिवर्तन होगा। यह निश्चय है कि चीन और सारी दुनिया के बीच सहयोग और सामंजस्य और गहरा होगा।

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