2009-05-26 11:33:57

चीन की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की प्रदर्शनी ने दर्शकों को आकर्षित किया

हाल ही में चीन की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की परंपरागत तकनीक व कला प्रदर्शनी पेइचिंग में आयोजित हुई। प्रदर्शनी में दो हजार से ज्यादा मूल्यवान् वस्तुएं प्रदर्शित की गयीं, और एक हजार से ज्यादा लोक कलाकारों ने घटनास्थल पर अपनी परंपरागत तकनीक व कला का प्रदर्शन किया। यह नयी चीन की स्थापना के बाद साठ वर्षों में सब से बड़ी व विविध परंपरागत तकनीक व कला प्रदर्शनी है। प्रदर्शनी का दर्शकों ने हार्दिक स्वागत किया। परंपरागत तकनीक व कला का विकास भी लोगों के लिए एक ध्यानाकर्षक मुद्दा बन गया।

चीन की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की प्रदर्शनी दो हफ्ते चली, जो चीनी संस्कृति मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो आदि दस से ज्यादा विभागों तथा पेइचिंग की स्थानीय सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गयी। इस में देश या प्रांत स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के 133 परंपरागत तकनीक व कलाएं प्रदर्शित की गयीं।

60 वर्ष की पेइचिंग नागरिक खुङ लिंग श्यू ने प्रदर्शनी में जूते की सिलाई को देखकर प्रभावित होकर कहा, जब मैं एक बच्ची थी, तो हमारे स्कूल में श्रम की कक्षा होती थी। हमने विशेष तौर पर जूते के कारखाने में जाकर जूते की सिलाई करना सीखा था। उस समय हमने छोटी , बड़ी सूई से जूते बनाये थे। इसलिये जब मैंने जूते की सिलाई देखी, तो मुझे पिछले समय की याद आ गयी। अगर इस प्रदर्शनी का आयोजन नहीं होता, तो हम आम जीवन में इसे नहीं देख सकते हैं।

श्रीमती खुङ की बेटी के विचार में जूते की सिलाई एक बहुत दूर की बात है। पर वास्तव में तीस साल पहले चीन के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के बहुत परिवारों में महिलाएं जूते की सिलाई करती थीं और सारे परिवार के जूते बनाती थीं। और जूते की सिलाई भी चीन के हजारों वर्षों के इतिहास में महिलाओं के लिए सीखने वाली एक ज़रूरी तकनीक भी मानी जाती थी। लेकिन आज के समाज में यह तकनीक शहर में खत्म हो गई है। केवल ग्रामीण क्षेत्र या अल्पसंख्यक जाति के क्षेत्र में इसे देखा जा सकता है।

और एक 50 वर्ष की उम्र वाली दर्शक सुश्री छ्वे श्यू छीन टिन बर्तन बनाने वाले कलाकारों को देखकर बहुत उत्तेजित हैं। उन के घर में टिन से बनाये गयीं मदिरा की कटोरी व सिगरेट केस हैं, उस के पिता ने दसेक वर्षों में उन का प्रयोग किया है, जो बहुत मूल्यवान् हैं। सुश्री छ्वे ने कहा कि बहुत लोग हमारे टिन बर्तनों को खरीदना चाहते हैं, लेकिन पापा ने उन्हें नहीं बेचा। आज मैंने अपनी आंखों से टिन बर्तन बनाने की कला देखी। और इस बारे में मेरी समझ और गहन हो गयी। उन्होंने कहा कि, कल मैंने रेडियो पर इस प्रदर्शनी के बारे में सुना, तो आज मैं जल्दी ही यहां आ गयी। मुझे पुराने चीन की परंपरागत वस्तुओं को देखने का बड़ा शौक है। यह प्रदर्शनी देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।(चंद्रिमा)