2009-03-17 18:01:18

चीनी गायक थू होंग कांग के गीत

थू होंग कांग नामक गायक चीन में मशहूर है । वह चीनी पोप संगीत के साथ परवान चढ़े है । गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक से ही वह चीनी संगीत मंच पर सक्रिय रहे , थू होंग कांग ने अपने बुलंद आवाज़ और पेइचिंग ऑपेरा की गायन शैली में गाए गीतों से चीनी संगीत मंच में अपनी अलग पहचान बनायी है । कुछ समय पूर्व थू होंग कांग ने अपना नया एलबम "मेरा प्यार"जारी किया, जिस में थू होंग कांग ने अपनी पुरानी शैली बदल कर फैशनेबुल प्रेम गीत प्रस्तुत किए ।

" रानी से वीर राजा की बिदाई "

गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है 

मैं तेज़ हवा में खड़ा हूँ

आशा है कि वह मेरे दिल के दर्द को दूर भगा देगी

आकाश की ओर निहारता हूँ

बादल चतुर्दिशा में उमड़ रहा है

हाथ में तलवार पकड़े

वीर जैसा खड़ा हूँ मैं

जिंदगी में कितने आई ,

मैं सिर्फ़ तुम्हें प्यार करता हूँ

मेरे दिल में सब से अच्छी हो तुम

सुख में हो या दुख में

स्वर्ग में हो या नर्क में

तुम मेरे साथ रही हो

तुम्हारा प्रेम मुझे साहस देता

मेरे दिल में सब से अच्छी हो तुम ।

चीनी गायक थू होंग कांग द्वारा गाया गया " रानी से वीर राजा की बिदाई " नामक गीत में आज से कोई दो हज़ार वर्षों पहले एक वीर राजा और उस की रानी के बीच गहरा प्यार अभिव्यक्त हुआ । चीन के इतिहास में श्यांग यू नामक वीर राजा और उस के विरोधी ल्यू बांग के बीच युद्ध हुआ , श्यांग यू बहुत शक्तिशाली और बहादुर था और ल्यू बांग थोड़ा सा कमज़ोर । लेकिन अंत में शक्तिशाली श्यांग यू को अपने घमंड के कारण हार खानी पड़ी । वह वुच्यांग नदि के किनारे तक भागा और आत्महत्या करने की इच्छा आयी । इस दुखांत वक्त वीर राजा श्यांग यू ने अपनी प्रिय रानी से विदा ली । थी होंग कांग के गीत " रानी से वीर राजा की बिदाई" में इसी क्षण में वीर राजा श्यांग यू का अन्तर्भाव अभिव्यक्त हुआ । गीत में दोनों प्रेयसियों में गहरा अनुराग का वर्णन किया गया । हालांकि अंत में वीर राजा श्यांग यू की मृत्यु हुई, लेकिन उस का अपनी रानी के प्रति गहरा प्यार हज़ारों वर्षों से चीनी लोगों के जुबान पर रहा । चीनी गायक थू होंग कांग ने अपनी विशेषता वाली आवाज़ से वीर राजा श्यांग यू के तहे दिल की भावना अभिव्यक्त की ।

थू होंग कांग का जन्म राजधानी पेइचिंग में हुआ । 11 वर्ष की उम्र में उस ने चीनी ऑपेरा कोलेज में दाखिला पाया , और पेइचिंग ओपेरा सीखने लगा । वर्ष 1985 में उस ने श्रेष्ठ विद्यार्थी के रूप में चीनी ऑपेरा कालेज से स्नातक हुआ , लेकिन वह एक पेइचिंग ऑपेरा का अभिनेता नहीं बना , बल्कि चीनी रेलवे कला मंडली में दाखिला हुआ, और एक गायक बन गया ।

थू होंग कांग के माता पीता दोनों अभिनेता अभिनेत्री हैं । अपने मां पाब के प्रभाव में बचपन से ही थू होंग कांग को संगीत के प्रति बड़ा शौक आया था , और वह गीत गाना सब से पसंद करता था । चीनी ऑपेरा कालेज में सात सालों तक पढ़ने का जीवन थू होंग कांग के लिए सब से अविस्मर्णीय है , जिस से उस के गायन जीवन पर भारी प्रभाव पड़ा । थू होंग कांग ने कहा

"मैं ने चीनी ऑपेरा कालेज में बहुत कुछ सीखा था , अब मैं इसे बड़ा मुल्यवान समझता हूँ । वहां से स्नातक होने के समय हमें "सेनापति और मंत्री की दोस्ती"नामक पेइचिंग ऑपेरा प्रस्तुत करना था । इस ऑपेरा से मुझे मानवी भावना महसूस हुई । मेरा विचार है कि ऑपेरा मंच पर काम करने वालों के प्रति ऑपेरा से अलग चीज़ों को महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है । चीनी ऑपेरा कालेज में सात सालों की पढ़ाई में मैं ने बहुत सी ऐसी भावना महसूस की , और ये सात साल मेरे जीवन में सब से अविस्मर्णीय है।"

संगीत क्षेत्र में प्रवेश के शूरू में थू होंग कांग अपनी क्षमता से चीनी पोप म्युज़िक मंच में उभरा । पहले वह चीनी लोकगीत तथा चीन के थाईवान व हांगकांग के मशहूर गायकों के गीत गाने से देश में मशहूर हुआ , और विभिन्न किस्मों की संगीत प्रतियोगिताओं में पुरस्कार हासिल हुआ । वर्ष 1991 में थू होंग कांग संगीत मंच से विदा लेकर अमरीका में व्यापार करने चला गया । पांच वर्ष बाद यानी वर्ष 1996 में वह " रानी से वीर राजा की बिदाई" नामक गीत को ले कर चीनी संगीत मंच में वापस लौटा , इस वीरता की भावना से भरपूर गीत का तत्कालीन चीनी संगीत मंच पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा और विभिन्न जगतों तथा दर्शकों की खूब प्रशंसा मिली।

थू होंग कांग "रानी से वीर राजा की बिदाई" नामग गीत के कारण शीघ्र ही समूचे चीन में एक बार फिर मशहूर हुआ । इस के बाद वह एक साल में एक गीत , दो सालों में एक एलबम जारी करने की गति से अपने कैरियर का विकास करने लगा, और उस ने क्रमशः "चीनी कूंगफ़ू","मौर दक्षिण पूर्व की ओर उड़ा", तथा "देशभक्ति" आदि चीनी परम्परागत संस्कृति पर सिलसिलवार संगीत रचनाएं बनायी । उस की बुलंद आवाज़ , जोशपूर्ण शैली तथा पुरूषत्व से हज़ारों दर्शकों का दिल जीता । आगे आप सुनिए ,थू होंग कांग द्वारा गाया गया "चीनी कूंगफ़ू"नामक गीत।

गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है

सोने में घनु की मुद्रा ,

खड़े हुए चीड़ जैसा अचल हो

बैठे बैठे अटल घंटी समान ,

चलते हुए हवा जैसी वेग बढो ।

श्याओ लिन वुतांग का चीनी कूंगफ़ू

वीरता के साथ दिखा दिव्य भाव,

विश्व की पूर्व में खड़े चीनी लोग

आश्चर्यजनक है चीनी कूंगफ़ू ।