एक दिन एक बुजुर्ग शिकारी अपने पुत्र के साथ शिकार करने पहाड़ पर जा रहे थे , गांव से ज्यादा दूर भी नहीं चले थे कि एक जंगली सुअर नजर आया , जो खेत में खड़ी फसलों को उखाड़ते हुए बर्बाद कर रहा था । बुजुर्ग शिकारी को फसल बर्बाद हुई देख कर बड़ा दुख लगा ।
टांए की तेज आवाज के साथ शिकारी के पुत्र ने उस जंगली सुअर पर गोली चलाई , जो सुअर के पेट पर लगी । इस से बड़ी आफत मोली गई , देखते ही देखते जंगली सुअर पागल सा हो उठा और उस के मुंह से फेन उगल गया , वह उन्मादी के साथ बुजुर्ग शिकारी पर टूट पड़ा , इस आकस्मिक प्रहार से बचने का मौका नहीं मिल पाने के कारण बुजुर्ग शिकारी जान बचाने के लिए उछल कर जंगली सुअर के पीठ पर चढ़ गया । उस ने जंगली सुअर के सिर के लम्बे लम्बे
बालों को कस कर पकड़ा । जंगली सुअर और बावला हो गया । वह जंगल की ओर दौड़ते कूदते हुए बुजुर्ग शिकारी को पीठ पर से जमीन पर पछाड़ देने की कोशिश करता रहा । इसी हालत में शिकारी का पुत्र चिंता के कारण इतना परेशान हुआ कि उसे सुझा नहीं था कि अब क्या करना चाहिए , गोली चलाने पर पिता के जख्म होने की डर है , गोली नहीं चलाए , तो जंगली सुअर से पिता को जिन्दा खाने की आशंका है ।
पुत्र इसी दुविधा में उलझा था , तो एकाएक देखा कि उस का वृद्ध पिता उलट कर सुअर के पीठ पर से कूद पड़ा और जमीन पर मुंह के बले लेटे मौत का स्वांग करने लगा । जंगली सुअर ने देखा कि बुजुर्ग शिकारी जमीन पर मृतक की भांति लेटा है , तो वह जमीन पर बैठ कर शिकारी की हरकत पर कड़ी नजर रखने लगा । ऐसी नाजुक घड़ी में यदि शिकारी जरा भी हिल डुल हुआ , तो जंगली सुअर झट से उस पर टूट कर उसे नोच नोच कर टुकड़े कर देगा ।
घंटा दो घंटा बीत गया , जंगली सुअर नहीं हटा , बुजुर्ग शिकारी ने सोचा कि इस चाल से मैं नहीं बचूंगा , सो वह सामने की एक टीले पर झटक से उछला और वहां से फिर नीचे की ओर लुढ़क जा रहा , जंगली सुअर भी उसी क्षण उठ खड़ा हो गया , इस जरा सा मौका पा कर शिकारी के पुत्र ने तुरंत उस पर गोली दागी , एक भयंकर चीख के साथ जंगली सुअर वही खेत हो गया । होशियार शिकारी ने अपनी बुद्घिमता तथा असाधारण साहस के बल पर खूंख्वार जंगली सुअर पर विजय पायी।