श्री क्वो विन जिंग के कालेज से स्नातक होने के समय चीन में पोप म्युजिक बहुत लोगप्रिय हो रहा था , श्री क्वो का पसंदीदा गंभीर विषय वाला संगीत उपेक्षित होने लगा था । लेकिन वे गंभीर विषयक म्युजिक रचने पर कायम रहे। वर्ष 1993 में उन्होंने पागल की डायरी नामक संगीत आपेरा तैयार किया, जो चीनी प्रसिद्ध लेखक लू श्यू के लेख पर आधारित है। यह संगीत आपेरा यूरोप के सब से प्रसिद्ध अभिनेता द्वारा चीनी भाषा में गाया गया और होलैंड में अपनी प्रथम प्रस्तुति में यूरोप को बहुत प्रभावित किया गया था। इस के बाद यह संगीत आपेरा विश्व के आठ देशों में विभिन्न संस्करण में रूपांतरित किया गया ,जिस की सफलता चीनी प्रवासियों समेत अन्य किसी संगीतकार को इस से पहले नहीं प्राप्त हो सकती।
इस के बाद श्री क्वो विन जिंग ने दो सालों के भीतर अपना संगीत आपेरा कवि ली पाई पूरा किया, जिस में थांग राजवंश के महान कवि ली पाई की स्छ्वान यात्रा के दौरान उन की अन्तर्भाव अभिव्यक्त किया गया। आपेरा में सिर्फ ली पाई, मदिरा, कविता और चांद चार पात्र रचे गए हैं और उन के बीच आमोद प्रमोद और परिहसी और वाद प्रतिवाद से चीन के विश्वविख्यात महान कवि ली पाई के चरित्र और आदर्श बारीकी से व्यक्त हो गए हैं । इस के बारे में श्री क्वो विन जिन ने परिचय देते हुए कहाः
अगर मैं ली पाई होऊं, तो चांद नारी तथा मदिरा दोस्त का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन वास्तव में इस आपेरा में ली पाई एकल पात्र है, बाकि शराब, चांद व कविता सिर्फ ली पाई के जीवन का एक भाग है, जो जीवन के प्रति उन के रूख और उदारता का प्रतिनिधित्व करता है।
यह आपेरा चीनी भाषा में प्रस्तुत किया गया और अमरीकी अंतर्राष्ट्रीय ओपेरा केंद्र द्वारा बनाया गया है। इस आपेरा को पश्चिमी ओपेरा जतग व कुछ विदेशी म्युजिक उत्सव में बड़ा ध्यानाकर्षण बनाया गया। उन के विचार में यह संगीत आपेरा संभवतः आपेरा दुनिया का क्लासिक आपेरा बन जाएगा।
श्री क्वो विन जिंग वर्तमान में चीनी केंद्रीय म्युजिक कालेज के संगीत विभाग के प्रोफेसर हैं। इधर वर्षों में उन की रचनाएं दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में प्रस्तुत की जाती हैं। बहुत अहम अंतर्राष्ट्रीय कला दिवस व ओपेरा थिएटरों में उन की रचनाएं पेस की गयी हैं। श्री क्वो विन जिंग के विचार में एक कलाकार के रूप में हृदय की स्वतंत्रता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। संगीत रचते समय वे सिर्फ अपनी भावना पर ध्यान देते हैं। उन्होंने कहाः
मैं आसपास की स्थिति को ध्यान नहीं देता हूं। मुझे विश्वास है कि वास्तव में अधिकांश लोग ऐसा करते हैं जो अपने ही काम में एकाग्र रहते हैं।
उन्होंने कहा कि संगीत रचते समय बंधन से मुक्त होना सब से महत्वपूर्ण है। वे कभी नहीं सोचते हैं कि उन की रचना लोगों की रूचि से मेल खाएगी या नहीं। वे अपनी पसंद के अनुसार संगीत रचते हैं।(रूपा)