काले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले तिब्बती कलाकार लारोंग छूंछङ ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में थांगत्वेई गांव के हस्त कलाकार प्राचीन तरीके के जरिए काले मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, इस तकनीक का इतिहास बहुत पुराना है । काली मिट्टी को इक्टठा करने में और उस से बर्तन बनाने में एक महीने का समय लगता है । सर्व प्रथम गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ से अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी इक्ट्ठा कर इससे प्रारंभिक रूप वाला कच्चा बर्तन बनाया जाता है । इस के बाद कलाकार विभिन्न प्रकार के लकड़ी साधनों से प्रारंभिक रूप वाले बर्तन को पीटते हैं, फिर बर्तन पर फूल और अन्य चित्र अंकित किए जाते हैं । उक्त काम पूरा किए जाने के बाद प्रारंभिक रूप वाले बर्तन को कक्ष में प्राकृतिक तौर पर सुखाया जाता है । इस के बाद बर्तन को स्थानीय लकड़ी से बनी आग के ऊपर रखा जाता है, इस दौरान कलाकारों के अनुभव, आग का तापमान तथा जैविक सामग्रियों का शामिल किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है । अंत में बर्तन को स्वच्छ व समतल बनाया जाता है। इस प्रकार एक सुन्दर काला मिट्टी का बर्तन बनता है।
हम ने तिब्बती हस्त कलाकार लारोंग छूंछङ से पूछा कि भविष्य में उन की क्या अभिलाषा है?तो उन्होंने आशा जताई कि वे काले मिट्टी बर्तन बनाने की तकनीक को अपने बच्चे को सिखाएंगे । लारोंग छूंछङ ने कहा:"मैं इस तकनीक को अपने बेटे को सिखाना चाहता हूँ, बेटा मेरे पोते को सिखाएगा । आशा है कि हमारी तकनीक पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रखी जाएगी।"
आंकड़ों के अनुसार थांगत्वेई गांव के 180 परिवारों में से 80 परिवार काले मिट्टी के बर्तन बनाने में कार्यरत हैं । वर्ष 2005 के जून माह में गांव में"निशी काले मिट्टी बर्तन विकास कंपनी"की स्थापना हुई जिस में प्रमुख उत्पादक स्थानीय किसान हैं । कंपनी बर्तन की बिक्री की जिम्मेदारी उठाती है । निशी काले मिट्टी के बर्तन जातीय विशेषता वाले हैं, जो देखने में सुन्दर हैं और उन का वास्तविक प्रयोग भी किया जा सकता है । इस तरह, इधर के वर्षों में शांगरिला के पर्यटन उद्योग के लगातार विकास के चलते निशी काले मिट्टी के बर्तन देशी-विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा चीज़ बन गई है ।
निशी काले मिट्टी के बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वेई ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में हर वर्ष कंपनी 20 हज़ार काले मिट्टी के बर्तन बेचती है । युन्नान प्रांत की शांगरिला कांउटी, देहछिंग कांउटी, लीच्यांग शहर, तिब्बत स्वात्त प्रदेश के मांगखांग, चोगोंग, स्छ्वान प्रांत के ताओछङ और देहरोंग आदि तिब्बती बहुल क्षेत्रों में बेचे जाने के अलावा , कंपनी बर्तनों को देश के अन्य प्रांतों, शहरों तक बेचती है । यहां तक कि कंपनी विदेश में भी इसे बेचने की कोशिश कर रही है । थांगत्वेई गांव मशहूर पर्यटन स्थल शांगरिला से तिब्बती जाति के पवित्र पहाड़ मेली बर्फीले पहाड़ तथा शांगरिला बड़ी घाटी तक के रास्ते में बसा हुआ है । इस तरह देशी-विदेशी पर्यटक यहां से गुज़रने के वक्त जरूर थांगत्वेई गांव में ठहर कर कुछ खरीदते हैं । इस की चर्चा में निशी काले मिट्टी बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वेई ने कहा:"देश में हम मुख्य तौर पर बर्तनों को पेइचिंग, क्वांगचो और हूनान आदि क्षेत्रों तक बेचते हैं । इस के साथ ही भारत और नेपाल में भी बेचते हैं ।"
कंपनी की स्थापना के पूर्व काले मिट्टी बर्तनों के उत्पादन का पैमाना छोटा था और बाज़ार में कम बिक्री होती थी । कंपनी की स्थापना के बाद ऐसी स्थिति पूरी तरह बदल गई, जिस से काले मिट्टी के बर्तन से जुड़ी संस्कृति की खोज व संरक्षण को प्रेरित किया गया और स्थानीय किसानों की आय भी बढ़ी । श्री वांगत्वेई ने जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी स्थापित की जाने के बाद थांगत्वेई गांव वासियों की आय दुगुनी हो गई है । उन का कहना है:"हमारी कंपनी की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी । गांव के 180 परिवारों के अस्सी या नब्बे परिवार इस में कार्यरत हैं । कंपनी की स्थापना के पूर्व भी गांव वासी काले मिट्टी के बर्तन बनाते थे । वे अपने आप बर्तनों को शांगरिला कांउटी में लाकर बेचते थे । दाम सस्ता था और एक साल की आय 3 हज़ार य्वान से कम थी । वर्ष 2005 में उन्होंने हमारी कंपनी में भाग लिया और हम उन के बर्तन बेचते हैं । इस तरह किसानों की आय लगातार बढ़ रही है । इस वर्ष के अप्रेल माह तक कंपनी में भाग लेने वाले हर परिवार की आय 12 हजार य्वान पहुंच गई है।"
परिचय के अनुसार वर्तमान में निशी काले मिट्टी के बर्तनों की सौ से ज्यादा किस्में हैं । प्रयोग के तरीके से कहा जाए, तो इन्हें तीन बड़ी किस्मों में बांटा जा सकता है । पहला है तिब्बती लोगों की पसंद वाले परम्परागत रोज़मर्रा की सामग्री । दूसरा है धार्मिक प्रयोग के लिए और तीसरा है आधुनिक मांग के अनुसार हस्त कलाकार द्वारा परम्परागत वस्तुओं के आधार पर बनाए गए नए किस्म वाले बर्तन । आम तौर पर अधिकांश काले मिट्टी बर्तन रोज़ाना की आवश्यक जीवन वस्तु बन गई है ।इस में बर्तन कढ़ाई, घी व चाय डालने वाला बर्तन और दुग्ध डालने वाला बर्तन आदि शामिल है।