चीनी गायिका य्वी शू छिन लोकगीत क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध हैं । पहले सुनिए उन का गाया एक गीत, नाम है"प्रेमी की याद "। यह उत्तरी चीन के शान शी प्रांत का एक लोकगीत है । इस प्रेम गीत में प्रेमिका के दूर रह रहे अपने प्रेमी को याद करने की बात व्यक्त हुई है। य्वू शू छिन की भावना ने इस गीत को और आकर्षक बना दिया है।
यह है चीनी गायिका य्वू शू छिन का गाया शान शी प्रांत का लोकगीत "प्रेमी की याद "।
चीनी गायिका य्वू शू छिन का जन्म वर्ष 1962 में उत्तरी चीन के शान शी प्रांत में हुआ। उन के माता पिता कलाकार हैं। अपने माता पिता के असर में बचपन से ही य्वी शू छिन को संगीत का बड़ा शौक रहा और वे अपनी संगीत प्रतिभा भी दिखाती रही हैं। वर्ष 1982 में बीस वर्ष की उम्र में य्वी शू छिन चीनी पूर्वी नृत्य गान मंडली में दाखिल हुईं। वहां य्वी शू छिन ने विशेष तौर पर चीनी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लोकगीत गाये। य्वू शू छिन ने भाषा के सवाल को हल कर मेहनत से विदेशी गीत सीखे। लगातार अभ्यास करने के बाद य्वी शू छिन ने अपनी एक विशेष गायन शैली बनायी। उन की आवाज़ बहुत सुरीली है और विभिन्न क्षेत्रों के लोकगीत गाते समय उसमें स्थानीय शैली भी दिखती है। अब सुनिए य्वी शू छिन का गाया पूर्वी चीन के ह पेई प्रांत का एक लोकगीत, नाम है"मायके के रास्ते पर"। यह एक बहुत दिलचस्प गीत है। इस में अपने नन्हे बच्चे के साथ मायके जाती नयी बहू की खुशी व जिज्ञासा व्यक्त हुई है।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
पीठ पर है मेरा नन्हा
उस के साथ मायके जा रही हूँ मैं
मायका है दूर
पहाड़ की तलहटी में
जहां मैं हुई बड़ी
मायके के रास्ते पर
चल रही हूं जल्-जल्दी
पीठ पर है मेरा नन्हा
कोई कार पास नहीं है
और घोड़ा भी नहीं
थक गयी हूं मैं
डर है मां के घर से वापस लौटने पर
नहीं देख पायेगा अपनी दादी
मेरा नन्हा
यह है गायिका य्वू शू छिन का गीत "मायके के रास्ते पर" । यह पूर्वी चीन के ह पेई प्रांत का लोकगीत है।
यह दक्षिण-पूर्वी चीन के क्वांग शी प्रांत में प्रचलित लोकगीत है । क्वांग शी प्रांत को चीनी लोकगीत का सागर माना जाता है। चीनी अल्पसंख्यक जाति को नृत्य गान बहुत पसंद है। क्वांग शी में कई अल्पसंख्यक जातियां बसी हुई हैं । इसलिए इस प्रांत में विविध लोकगीत उपलब्ध हैं । "तुम जानते हो या नहीं" एक पहाड़ी गीत है । गीत की धुन तेज़ है और मधुर भी । गीत में प्रेमी और प्रेमिका के एक-दूसरे की गहरी याद दिखती है ।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
पहाड़ है बहुत उंचा
नदी का पानी बहुत स्वच्छ
सूर्य की किरणें है चमकदार
बहुत सुनहरा है सब यहां
छोटी सा नाव चलाता
दूर से आ रहा है मेरा प्रेमी
पर क्या जानते है वह
रात को नींद नहीं आयी मुझे
अगर मैं उसे न देख पाऊं
तो करूं क्या
मेरे दिल की बातें
जानता है या नहीं
मेरा प्रेमी