उत्तर चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के व्यापक घास मैदान में मंगोल जाति सघन रूप से आबाद है। उन्हें नृत्य करना व गीत गाना पसंद है, जिससे उनकी जातीय विशेषता वाली संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। आज के इस कार्यक्रम में हम आप को मंगोल जाति के संगीतकार व गायक श्री चु ची चुंग द्वारा रचित व गाए गए मंगोल जातीय गीतों का परिचय देंगे।
गीत 1 सपने जैसा सुंदर घास मैदान
सबसे पहले कृप्या सुनिए श्री चु ची चुंग द्वारा प्रस्तुत मैं घास मैदान के लिए गीत गाता हूं शीर्षक एल्बम का एक गीत, जिस का नाम है-- सपने जैसा सुंदर घास मैदान। इस गीत की लय लहरदार है, गीत में घास मैदान की गायक की याद की अभिव्यक्ति हुई है।
गीत के बोल हैं:
घास मैदान का आकाश इतना नीला है
आकाश में बादल इतने सफेद हैं
घास मैदान में हवा इतनी हल्की है
और झील में पानी सुंदर लड़की की आंखों जैसा पारदर्शी और स्वच्छ है
सपने जैसा सुंदर घास मैदान
बहुत साफ है
श्री चु ची चुंग लम्बे समय से चीन के लोकगीतों का प्रसार-प्रचार करते आ रहे हैं। उन्होंने पिछली शताब्दी के 8वें दशक में चीन के केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय में शिक्षा हासिल करके चीन के केंद्रीय जन रेडियो में काम शुरु किया। काम करने के कारण वे अक्सर चीन के विभिन्न क्षेत्रों में जा कर लोकगीतों व संगीत का संग्रह करते रहे हैं। वर्तमान में वे चीन के लोक कलाकार संघ के लोकगीत की समिति के अध्यक्ष हैं।
इस के अलावा श्री चु ची चुंग लोकगीत भी रचते हैं। अब तक उन्होंने लगभग एक सौ गीत रचे हैं, जिनमें प्रसिद्ध गायक थेन्गर द्वारा गाया गया मैं घास मैदान से आया हूं शीर्षक गीत और शुए लिए गायन दल द्वारा गाया गया मातृभूमि शीर्षक गीत शामिल है। उन्होंने कहा कि वे 20 साल से भी अधिक समय पहले से घासमैदान से बाहर चले गए, इसलिए मातृभूमि की याद करते समय घास मैदान के लिए गीत गाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि कई साल से मैं लोकगीतों पर काम कर रहा हूं। मैं घास मैदान के लिए गीत गाता हूं शीर्षक नई एल्बम के जरिए इन लोकगीतों के संग्रह का काम आगे बढेगा।
गीत 2 मातृभूमि, मेरे सपने में घास मैदान
कृ्प्या सुनिए श्री चु ची चुंग द्वारा रचित व गाया गया यह गीत, जिस का र्शीषक है-- मातृभूमि, मेरे सपने में घास मैदान।
गीत के बोल हैं:
कई सालों की मुश्किल के बाद
मैं अपने सपने में घास मैदान में वापस लौटूंगा
घास मैदान की रात में आकाश में चंद्रमा सुंदर है
मेरी मां के सुंदर चेहरा जैसा
पुराना समय बीतने के बाद
मैं अपने सपने में घास मैदान में वापस लौटूंगा
घास मैदान की रात में चंद्रमा सुंदर है
मेरे पिता जैसे मुझे अपनी आंखों से देख रहे हों
श्री चु ची चुंग का चन्म चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के खर्चिन घास मैदान में हुआ है। बचपन से ही उन की मां घास मैदान में प्रचलित लोकगीत गाती आ रही हैं और उन के पिता को जातीय परंपरागत कला पसंद है। मंगोल जाति की कला में चु ची चुंग ने बहुत सी बातें सीखी हैं।
मैं घास मैदान के लिए गीत गाता हूं शीर्षक नई एल्बम की चर्चा करते हुए श्री चु ची चुंग ने कहा कि मेरी आशा है कि इस एल्बम से अपने दिल में वे बचपन व घास मैदान की याद कर सकेंगे। खर्चिन घास मैदान में कलाकार व लोककला बहुल वातावरण में वे बड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अब मैं पेइचिंग में रहता हूं, हर रात पेइचिंग में या अन्य शहरों में जब लोग सुनते हैं कि मैं भीतरी मंगोलिया से आया हूं तो वे मेरे गीत सुनना चाहते हैं। गीत गाते समय घास मैदान की छवि मेरी कल्पना में उभर आती है और मेरे दिल में अपनी मातृभूमि की याद ताज़ा हो जाती है।
दोस्तो, अब कृप्या सुनिए श्री चु ची चुंग द्वारा रचित व गाया गया यह गीत, जिस का र्शीषक है --मेरी जन्मभूमि खर्चिन। इस गीत को सुनते समय लोगों को यह महसूस होता है कि वे घास मैदान में घूम रहे हैं।
गीत के बोल हैं:
मेरी जन्मभूमि खर्चिन घास मैदान है
वहां नीले-नीले आकाश में सफेद-सफेद बादल हैं
मैदान की छटा हरी-हरी है
मेरी जन्मभूमि खर्चिन घास मैदान है
शीलामूलुन नदी का नीला पानी आकाश जैसा है
मैं घास मैदान के लिए गीत गाता हूं शीर्षक नई एल्बम में श्री चु ची चुंग ने मंगोल जाति के विशेष वाद्ययंत्रों का उपयोग किया है, जिससे मंगोल जाति के गीतों की विशेष शैली की अभिव्यक्त हुई है।
मैं घास मैदान के लिए गीत गाता हूं शीर्षक नई एल्बम का पिछले साल भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर विमोचन हुआ। यह एल्बम श्री चु ची चुंग द्वारा अपनी जन्मभूमि को दिया गया एक उपहार है। उन की आशा है कि इस एल्बम में घास मैदान से आए मंगोल जाति के लोगों की अपनी जन्मभूमि की याद व प्रशंसा की अभिव्यक्ति हुई है। (वनिता)