चीन के युद्धरत राज्य काल में ईसापूर्व चौथी शताब्दी के समय छिन राज्य ने राजनीकित सुधार कर अपनी शक्ति अत्याधिक बढ़ा दी थी । राजा छिन च्वोवांग के शासन काल में छिन चीन की भूमि पर स्थापित सात प्रमुख राज्यों में से सब से शक्तीशाली और समृद्ध हो गय और देश का एकीकरण करने का अभियान चलाया । इस दौरान अनेक मशहूर युद्ध हुए थे , जिन में से छांगफिंग का युद्ध काफी नामी था ।
छिन राज्य के पड़ोसी राज्य ह्यान , वी , येन और चाओ ने छिन राज्य की विस्तार नीति को विफल करने के लिए गठबंधन कायम किया , चारों राज्यों में से चाओ राज्य सब से सशक्त था और वी सब से कमजोर था । ईसापूर्व 268 में छिन राज्य ने वी राज्य पर हमला बोलने के लिए सेना भेजी और उसे अपना अधीनस्थ राज्य बनाया । इस के बाद उस ने ह्यान राज्य पर धावा बोलने सेना भेजी । ह्यान का राजा बहुत भयभित हो गया और उस ने छिन राज्य को अपने देश का शांगतांग शहर भेंट करने का निश्चय किया । लेकिन ह्यान राज्य के शांगतांग शहर के महापौर फङतिन अपने शहर को छिन को भेंट करना नहीं चाहता , उस ने शहर को चाओ राज्य को भेंट कर ह्यान और चाओ के बीच छिन के आक्रमण का मुकाबला करने का गठबंधन करवाया ।
चाओ राज्य का राजा दूरदर्शी नहीं निकला था , उस ने एक शहर के लोभ से अंतिम परिणाम पर सोच भी नहीं की और शांगतांग को अपनी सीमा में शामिल किया । उस की इस हरकत से छिन राज्य बहुत क्रोधित हो उठा । ईसापूर्व 261 में छिन राजा ने सेनापति वांगछ्यान को सेना ले कर शांगतांग शहर पर चढाई करने भेजा । शांगतांग में तैनात चाओ राज्य की सेना हार कर छांगफिंग नाम के स्थान तक हट गई । छिन सेना को रोकने के लिए चाओ राजा ने अपने वृद्ध सेनापति ल्यानपो को छांगफिंग में चाओ सेना का कमान करने भेजा ।
चाओ सेना की मुख्य टुकड़ी ने छांगफिंग पर छिन सेना के साथ कई बार युद्ध किये , लेकिन वह विजयी नहीं हुई और काफी हताहती भी हुई । वस्तुगत स्थिति पर गौर कर चाओ सेना की सेनापति ल्यानपो ने अपनी अच्छी भू स्थिति के सहारे मजबूत मोर्चा बना कर छिन सेना के हमले को रोकने की प्रतिरक्षा नीति अपनायी । इस रणनीति का रंग आया , छिन सेना के हमलों को वहीं रोका गया और दोनों सेनाओं में लम्बे समय बराबर मुकाबले की स्थिति बनी ।
युद्ध के इस प्रकार के गतिरोध को भंग करने के लिए छिन राज्य ने चाओ राज्य के शासक वर्ग में फुट डालने की चाल चली । उस ने बड़ी रकम के धनदौलत से चाओ राजा के नजदीकी मंत्री को खरीद लिया , जिस ने चाओ राजा और सेनापति ल्यानपो के संबंधों को तोड़ने की साजिश में यह अफवाह फैला कि ल्यानपो छिन सेना को आत्मसमर्पण के लिए उस पर हमला नहीं बोलता है , छिन सेना सब से ज्यादा चाओ राज्य के सेनापति चाओ क्वो से डरती है । युद्ध की स्थाति से अज्ञात चाओ राजा को विश्वास हुआ था कि ल्यानपो डर के मारे दुश्मन पर हमला नहीं करता है , इसलिए उस ने उसे पद से हटा कर चाओ क्वो को सेनापति के लिए नियुक्त किया ।
वास्तव में चाओक्वो ने कभी युद्ध में भाग नहीं किया था ,उसे असली युद्ध पर कोई अनुभव भी नहीं था , पर वह युद्ध कला पर खोखली बातें बहुत पसंद करता था । छांगफिंग पहुंच कर उस ने ल्यानपो की प्रतिरक्षा की रणनीति छोड़ कर दुश्मन पर बलदल धावा बोलने और अंतिम जीत हार तय करने की रणनीति अपनायी ।
छिन राजय चाओ सेना में फुट का बीज डालने में सफल हुआ , उस ने वांगछ्यान की जगह अपने अनुभवी और वीर जनरल पाईछी को सेनापति नियुक्त किया और इस बदलाव को चाओ सेना के प्रति गोपनीय भी रखा , ताकि चाओ सेना चेत न जाए।
चाओ सेना के सेनापति चाओ क्वो की युद्ध का अनुभव नहीं होने और अपने पर घमंड होने की कमजोरी से लाभ उठा कर छिन सेनापित पाईछी ने दुश्मन को भ्रम में डालकर उसे घेर लेने की नीति लागू की ।
ईसापूर्व 260 में चाओ क्वो ने अपनी सेना को छिन सेना पर बड़े पैमाने वाला हमला बोलने का आदेश दिया । दोनों सेनाओं में कुछ समय युद्ध चलने के बाद छिन सेना हार के स्वांग में पीछे हटने लगी । चाओक्वो ने स्थिति की असलियत का जायज नहीं कर तुरंत छिन सेना का पीछा करने का निश्चय किया । इस तरह चाओ सेना छिन सेना द्वारा पूर्व योजना के अनुसार रचे गए युद्धब्युह में फंस पड़ी , उसे छिन सेना की मुख्य टुकड़ी के जम कर मुकाबले का सामना करना पड़ा । इसी बीच बगल में घात में तैनात छिन सेना की टुकड़ियों ने दोनों तरफ से चाओ सेना के बीच पैठ कर उसे टुकड़ों में विभाजित कर दिया और एक एक को घेर लिया ।
कड़ी घेराबंदी में फंस पड़े चाओक्वो ने खुद चाओ सेना की तगड़ी टुकड़ी का नेतत्व कर घेराबंदी तोड़ने की अंतिम कोशिश की , किन्तु छिन सेना की तीरों की अंधाधुंध वर्षा में वह खुद मारा गया । सेनापति के मरने पर चाओ सेना का हौसला पस्त हो गया और सभी ने आत्मसमर्पण किया । छिन सेना ने छांगफिंग पर हुए घमासान युद्ध में अंतिम विजय पायी ।
छांगफिंग का युद्ध चीन के युद्ध इतिहास में दुश्मन को घेराबंदी में डाल कर खत्म करने की एक शानदार प्राचीन युद्ध मिसाल है और चो राज्य की सेना की हार की सबक भी चीन के इतिहास में नकारात्मक मिसाल के रूप में याद की जाती है ।