कृपया सुनिए चीन के थाईवान के काओशुंग शहर के ली क्वो संगीत दल द्वारा पेश किया गया म्येनमार का एक संगीत, जिसका शीर्षक है---समुद्री चील। इर्रावाद्दे नदी म्येनमार की सबसे बड़ी नदी है और एशिया की प्रसिद्घ नदियों में से भी एक है। रोज शाम को जब सूरज डूबता है तब नदी में पानी का बहाव धीमा हो जाता है,मछुआरों के गीतों की मधुर आवाज़ फिज़ा में गूंजने लगती है और ऊपर आकाश में बहुत सी समुद्री चीलें धीरे-धीरे चक्कर काटती हुईं उड़ती हैं। संगीत में इस सुंदर दृश्य का वर्णन किया गया है,साथ ही आज़ादी की भावना व अपनी जन्भूमि के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति भी इस गीत में हुई है।
थाईवान के काओशुंग शहर का ली क्वो संगीत दल 1989 में स्थापित हुआ, जो दक्षिण थाईवान का पहला पेशेवर संगीत दल है। संगीत दल का लक्ष्य है चीन की परंपरागत कला का प्रचार-प्रसार करना, तथा सांस्कृतिक निर्माण आगे बढाना। संगीत दल द्वारा प्रस्तुत संगीत में परंपरागत व आधुनिक शैली का मिलन हुआ है और इस में चीन के लोकगीतों की परंपरा व आधुनिक संगीत की विशेषताओं का मिलाजुला रुप दिखाई पड़ता है। वर्तमान में इस संगीत दल में 50 से अधिक पेशेवर कलाकार हैं। बड़े पैमाने वाले संगीत के अलावा यह संगीत दल की कुछ छोटी वाद्यंमडलियां लोकगीत भी पेश करती हैं या लोकगीतों, नाटकों व नृत्यों में संगीत देती हैं। इस संगीत दल द्वारा प्रस्तुत बहुक्षेत्रीय संगीत को अधिकाधिक युवाओं ने पसंद किया है।
संगीत 2 पैरों में घुंघरु बांधे हुए नृत्य करना
अब कृपया सुनिए थाईवान के काओशुंग शहर के ली क्वो संगीत दल द्वारा प्रस्तुत बंगलादेश का संगीत, जिसका शीर्षक है-- पैरों में घुंघरु बांधे हुए नृत्य करना। यह गीत आम तौर पर नृत्य करते समय गाया जाता है। पतझड़ में अच्छी फसल मनाने के लिए बंगलादेश के युवा बालों में फूल लगाकर और पैरों में घुंघरु बांध कर नृत्य करते हैं। इस संगीत की खनकती हुई मधुर आवाज व युवाओं के पैरों पर बंधे घुंघरु की आवाज़ से समा बंध जाता है।
पैरों में घुंघरु बांधे हुए नृत्य करना शीर्षक संगीत में संगीत दल ने ढोलक का उपयोग किया है, जिसे चीन के सबसे प्रसिद्ध ढोलकिया आबुलिएज ने बजाया है। आबुलिएज उत्तर-पश्चिमी चीन के शिन च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश की वेवुर जाति का मशहूर ढोलकिया है। उन्होंने थाईवान के काओशुंग शहर के ली क्वो संगीत दल के साथ संगीत सभा में सहयोग किया था और (ढोलक नृत्य, एशिया, अफ्रीका व लातिन अमरीकी देशों का नृ्त्य संगीत) शीर्षक एल्बम प्रस्तुत की।
अब सुनिए थाईवान के काओशुंग शहर के ली क्वो संगीत दल द्वारा प्रस्तुत अल्जीरिया के लोकगीत के आधार पर रचा गया एक संगीत, जिसका शीर्षक है--ढमढम। दाम अफ्रीका में एक प्रकार का ढोल है, लोग अक्सर इस ढोल को बजाते हैं। यह ढोल बजाते समय ढमढम की आवाज पैदा होती है, इसलिए लोग अक्सर इसे ढमढम कहते हैं। अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में ढोल न सिर्फ एक वाद्ययंत्र है बल्कि सूचना देने का एक माध्यम भी रहा है। स्थानीय लोग ढमढम से अपनी-अपनी भावना अभिव्यकत करते हैं, सूचना देते हैं और त्योहार मनाते हैं। त्योहार में ढमढम की आवाज में लोग खुशी से अफ्रीकी नृ्त्य करते हैं। यह संगीत उत्तर अफ्रीका के हर देश में प्रचलित है। चीन के स्वर्गीय लोकगीतों के आचार्य श्री फेंग शिओ वन ने इस संगीत के आधार पर एक चीनी लोकसंगीत रचा था जिसमें चीनी विशेषता के साथ-साथ इस संगीत की शैली व विशेषता शामिल है।
1990 में थाईवान के काओशुंग शहर के ली क्वो संगीत दल ने पेइचिंग में आयोजित 11 वें ऐशियाई खल समारोह के कला दिवस में भाग लिया और इस संगीत दल ने क्रमश:अमरीका, पौलेंड, रूस व चैक आदि देशों में कार्यक्रम प्रस्तुत किया। स्थानीय लोगों को इस संगीत दल का संगीत बहुत पसंद है और उन्होंने इस की प्रशंसा भी की। 1993 से इस संगीत दल ने क्रमश:अनेक एल्बम प्रस्तुत किए।