2008-10-22 16:29:02

चीन के आलंपिक वर्ष में खेल फ़िल्में लोकप्रिय बन गयीं

पेइचिंग आलंपिक व पैरा आलंपिक के सिलसिलेवार आयोजन से वर्ष 2008 चीन का आलंपिक वर्ष बन गया। ध्यानाकर्षक आलंपिक के साथ-साथ आलंपिक फ़िल्में व खेल फ़िल्में भी पेइचिंग के सिनेमा घरों में चर्चा का विषय बन गयीं हैं। इन फ़िल्मों में दर्शक मनुष्य की खुद को दी गई चुनौती की शक्ति महसूस कर सकते हैं, और आलंपिक की भावना को समझ सकते हैं। इस लेख में हम आप को इन में से कुछ फ़िल्मों का परिचय देंगे।

《माइ माइ टी का वर्ष 2008》नामक फ़िल्म ने हमें यह बताया कि पेइचिंग आलंपिक ने उत्तर-पश्चिमी चीन के सिनच्यांङ वेवुर स्वायत्त प्रदेश के बच्चों पर कैसा प्रभाव डाला।

कहानी सिनच्यांङ के एक वेवुर जाति के गांव की है। कुछ आरामदेह बच्चों को फुटबाल खेलना पसंद है। उन में से हर व्यक्ति ने अपने को एक विश्व फुटबाल सितारे का नाम दिया। वर्ष 2008 के पेइचिंग आलंपिक के उदघाटन समारोह में भाग लेने के लिये उन्होंने हर प्रकार की कोशिश की है। कहानी बहुत दिलचस्प है, और वेवुर जाति की प्रथा व विशेषताएं भी इस में शामिल हैं। इस फ़िल्म के निर्देशक श्री शिएरजाटी याहेपू ने परिचय देते हुए कहा कि, इस फिल्म की कहानी बहुत दिलचस्प है, और अतिरंजित भी है। इस में वेवुर जाति की गहरी प्रथा व विशेषताएं हैं।

《एक आदमी का आलंपिक》नामक फ़िल्म चीन के आलंपिक इतिहास में प्रथम आदमी श्री ल्यू छांग छून की वास्तविक कहानी के आधार पर बनायी गयी है। वर्ष 1932 में चीनी अल्पदूरी दौर के प्रसिद्ध खिलाड़ी श्री ल्यू छांग छून ने तरह-तरह की मुश्किलों को हटाकर उस समय चीन की 40 करोड़ जनता की ओर से लॉसेंजिल्स आलंपिक में भाग लिया। यह पहली बार था कि चीनी जनता ने आलंपिक में भाग लिया। वर्ष 2008 में चीन ने सफलता के साथ पेइचिंग आलंपिक का आयोजन किया है। इस इतिहास को दोहराकर चीनी लोग बहुत प्रभावित हैं।

पेइचिंग में स्थित दसेक सिनेमाओं में प्रदर्शित 40 से ज्यादा खेल फ़िल्मों में और कुछ जापान, कोरिया गणराज्य, फ़्रांस व जर्मनी आदि देशों की फ़िल्में भी शामिल हैं। जर्मन फ़िल्म《चैंपियन》के मुख्य पात्र ने भी विशेष तौर पर चीन आकर दर्शकों से भेंट की। श्री हेइको हेस्से ने संवाददाता से कहा कि, वर्ष 1995 से वर्ष 2000 तक मैं जर्मन की सब से श्रेष्ठ फुटबाल टीम दोर्तमुंद में एक व्यवसायिक फुटबाल खिलाड़ी था। और फ़िल्म की कहानी भी वर्ष 1998 से वर्ष 2001 तक की है। फ़िल्म का विषय यह है कि चार युवा फुटबाल खिलाड़ी सक्रिय रूप से प्रशिक्षण करते हैं, निरंतर अपनी फुटबाल तकनीक को उन्नत करते हैं। और उनकी व्यवसायिक फुटबाल क्लब में भाग लेकर श्रेष्ठ व्यवसायिक फुटबाल खिलाड़ी बनने की तीव्र इच्छा है। लेकिन अपनी इच्छा पूरी करने का रास्ता बहुत मुश्किल है। जब आप टी.वी. पर फुटबाल प्रतियोगिता देखते हैं, तो आप ने केवल फुटबाल सितारे, उन का गौरव तथा हजारों लोगों द्वारा उन पर ध्यान देना देखा है। लेकिन आप शायद नहीं जानते कि उन की सफलता के पीछे और कोशिश करने के रास्ते पर कितने लोगों की हार छिपी है। इस फ़िल्म ने सफलता के पीछे की कहानी हमें बतायी है। हम ने एक व्यक्ति के व्यवसायिक खिलाड़ी बनने की मुश्किल देखीं। इसलिये यह एक देखने योग्य फिल्म है। यह फिल्म जीत व हार की कहानी ही है।

वास्तव में चाहे वह चीनी आलंपिक फ़िल्म हो, या विदेशी खेल फ़िल्म हो, चाहे फ़िल्म में एक व्यक्ति की कोशिश हो या एक देश के सपने को साकार करने की प्रक्रिया हो, उन सभी ने मानव की समान खेल भावना को प्रदर्शित किया है। इन फिल्मों में मानव की प्रगति को मजबूत करने की भावना की अभिव्यक्ति हुई है।(चंद्रिमा)