2008-05-23 15:43:34

सुर्य की किरणों के लिए स्पर्धा

सब्जी के बगीचे में काफी पहस चहल मच रहा है , वहां रूचिकर स्पर्धा हो रही थी कि कौन अधिकतम सुर्य की किरणें ले सकता है ।

आह्वा नाम का नन्ही मुर्गा को इस स्पर्धा में खासा दिलचस्पी आयी , वह बगीचे में कीड़ा पकड़ने जाया करता था , इसलिए लौकी का मित्र बन गया । उस ने अपनी मम्मी से पूछा, स्पर्धा में लौकी सुर्यमुखी और दास से जीत सकेगा कि नहीं . किन्तु मुर्गी मां भी निश्चित रूप से नहीं बता सकती ।

छोटा मुर्गा --आह्वा सुबह ही बगीचे में जा पहुंचा , वह देखना चाहता था कि स्पर्धा में आखिर कौन जीतेगा । प्रतियोगिता फाइवल में प्रवेश कर गयी , सर्वप्रथम सुर्यमुखी ने अपने मुखड़े को सुर्य की ओर कर दिया और मुस्कराते हुए छाती आगे बढ़ा कर कमर सीधा किया और ऊंचा बढ़ने की भरपूर कोशिश की , इस के साथ ही उस ने अपने पत्तों के चारों ओर फैलाया , मानो वह किरणें पकड़ने वाला वीर हो । मॉनिंग गलोरी और दाल का कमर कमजोर था , किन्तु वे दोनों भी हार नहीं मानती , दोनों ही सांप की तरह बाड़ों पर लपेटने का जी तोड़ प्रयास करती रही , उन्हें भी सुर्य की किरणों की कृपा मिल गयी । आलू कमर ऊंचा कर बढ़ने में अक्षम था , पर उस ने स्पर्धा में अपनी लतों को चारों ओर बढ़ाया , जिस से उसे भी कम किरणें नहीं मिली ।

लौकी , जोर लगाओ , छोटा मुर्गा ने लौकी का समर्थन किया ।

लौकी को बड़ी प्रेरणा प्राप्त हुई , उस ने अपने मुलायम कमर को ऊपर बढ़ाने की भरसक कोशिश की ।

जोर लगाओ , मॉनिंग गलोरी की तरह बाड़ों को लपेट कर पकड़ो ।

मैं जानता हूं , लौकी ने धैर्य के साथ जवाब दिया ।

छोटा मुर्गा ने सिर उठा कर गौर से देखा कि अचानक लौकी के पत्तों के बीच एक एक महीन व छोटे बेल निकले , उस ने हवा के झोंके की मदद से अनायास पास के बांस के ढांचे को पकड़ लिया और उस पर लपेट दिया । कई लपेट करके लौकी के बेल ने ढांचे पर मजबूती पकड़ी और वह ऊपर चढ़ भी गए । बांस के ढांचे के ऊपर लौकी के पत्ते धीरे धीरे खुल गए और हवा के हल्के झोंके के साथ लौकी के पत्ते हिलते डौलते सुर्य की किरण पकड़ते रहे ।

लौकी , तुम्हारे बेल बहुत ही काम के चीज है । छोटा मुर्गा ने सराहनीय लहजे में कहा।

 

यह बेल नहीं है , उस का नाम टेनड्रिल है यानी हमारा तंतु है । लौकी बोला ।

 

छोटा मुर्गा --आह्वा को एक बात समझ में नहीं आयी , उस ने दबी आवाज में लौकी से पूछा , तुम लोग क्यों सुर्य की किरणों के लिए स्पर्धा कर रहे है।

 

लौकी ने कहा , कयोंकि हमें पलने बढ़ने के लिए पोषकता की आवश्यकता है , हमारे पत्तों में कलोरोफील होता है , वह महज सुर्य की किरणों में काम कर सकता है और जल व कार्बन-डाईओक्सीड को मिला कर पोषतत्व बना ले सकता है ।

ओ , समझ में आया है । छोटा मुर्गा ने हां में सिर हिलाया ।