प्रथम चरण की "चीनी राष्ट्रीय मूल्यवान ग्रंथ नामसूची" चीनी संस्कृति मंत्रालय के विशेषज्ञ दल द्वारा सालभर कोशिश करके समाप्त की गई है, जिसमें कुल 2383 ग्रंथ शामिल हैं। इन में चीनी हान जाति के शब्दों में लिखित दो हजार ग्रंथों को छोड़कर बांस व रेशम पर लिखित 117 पुस्तकें, 73 प्रस्तर ब्लाक प्रिंटिंग तथा अल्पसंख्यक जातीय अक्षरों से लिखित 111 पुस्तकें शामिल हैं। अल्पसंख्यक जातीय-भाषा की पुस्तकों में तिब्बती, मंगोलियाई और ताइ जैसी वर्तमान तक प्रचलित भाषाओं को छोड़कर शी-श्या जैसी मृत भाषाएं भी शामिल हैं। उक्त दो हजार पुराने ग्रंथों का चयन, कुल पांच हजार मूल्यवान ग्रंथों में से किया गया था, उन में एक सौ ग्रंथ हजार वर्ष पुराने हैं। "चीनी राष्ट्रीय मूल्यवान ग्रंथ नामसूची" के साथ-साथ चीन सरकार ने पचास संग्रहालय और पुस्तकालय सहित "प्रमुख पुराने ग्रंथ संरक्षण इकाई" की नामसूची भी प्रकाशित की।
चीनी राष्ट्रीय ग्रंथ संरक्षण केंद्र के प्रधान श्री जान फू रे ने कहा कि चीनी पुराने ग्रंथों की संख्या अनगिनत है। "चीनी राष्ट्रीय मूल्यवान ग्रंथ नामसूची" का प्रकाशन सभी पुराने ग्रंथों का व्यवस्थागत संरक्षण करने का आधार है। उन्हों ने कहाः
"हम ने पुराने ग्रंथों के संरक्षण पर समाज का ध्यान आकर्षित करने के लिए 'चीनी राष्ट्रीय मूल्यवान ग्रंथ नामसूची' प्रकाशित की है। हमारे पूर्वजों ने बड़ी संख्या वाले मूल्यवान ग्रंथ सुरक्षित किए थे। उन में कुछ भौतिक आकार के हैं और कुछ गैर-भौगोतिक के हैं। पुस्तकें सब भौतिक हैं, समय बीतने के चलते बहुत सी पुरानी पुस्तकें विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं। चीन सरकार ने इसीलिए 'चीनी पुरानी ग्रंथ संरक्षण योजना' बनाई है, ताकि इन मूल्यवान ग्रंथों का जीर्णोद्धार और संरक्षण किया जा सके।"
इधर दसेक सालों में चीन सरकार ने पुराने ग्रंथों के संरक्षण को अधिकाधिक तौर पर महत्व दिया है। समाज का ध्यान भी सांस्कृतिक परंपरा पर केंद्रित है। दो हजार साल पहले प्रकाशित कंफ्यूशियन ग्रंथ लून-यू और डाओ-ड-चिंग तथा इन पर आधारित पुस्तकें सब की सब लोकप्रिय हुई हैं। साथ ही अधिकाधिक अनुसंधानकर्ताओं की आंखें परंपरागत संस्कृति के अनुसंधान पर गड़ी हुई हैं।
वर्ष 2002 में ही चीनी संस्कृति मंत्रालय ने "चीनी पुरानी ग्रंथ कापी परियोजना" कायम की थी, ताकि आधुनिक तकनीकों से मूल्यवान ग्रंथों का प्रकाशन किया जा सके। पुराने ग्रंथों के अनुसंधान व संरक्षण के मशहूर विशेषज्ञ श्री ली ची जूंग चीनी पुराने ग्रंथों की प्रकाशन कमेटी के प्रधान हैं। उन्होंने संवाददाता से बातचीत के समय कहा कि चीन के अनगिनत पुराने ग्रंथ हैं, उन की संरक्षित स्थिति और मूल्य भी अलग-अलग हैं। इसलिए उन में से कुछ को चुनकर उन का पुनः जीर्णोद्धार और प्रकाशन किया जाना चाहिए। और यह काम मौजूदा शर्तों से मेल भी खाता है।
"आज तक संरक्षित पुराने ग्रंथों में इतिहास, साहित्य, अनुसंधान और कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण सभी ग्रंथ मूल्यवान माने जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार पुराने काल से अभी तक ऐसे ग्रंथों की संख्या पचास हजार से भी कम है। हम ने उन में से 1400 किस्मों का चयन किया, और थांग, य्वान, मिंग और छिंग चार राजवंशों के 770 ग्रंथ 'चीनी राष्ट्रीय मूल्यवान ग्रंथ नामसूची' में दाखिल हुए हैं। हम अपनी संतानों के लिए प्राचीन काल से आज तक संरक्षित उन ग्रंथों का संरक्षण करने के लिए यह काम कर रहे हैं।"
श्री ली चिन जूंग के अनुसार "चीनी पुरानी ग्रंथ कापी परियोजना" में शामिल हर ग्रंथ के साथ लेखकों का परिचय तथा प्रकाशन किए जाने का इतिहास भी है, जो चीनी आधुनिक विद्वानों के नवीनतम अनुसंधान उपलब्धियों पर आधारित हैं। इसलिए पुनः जीर्णोद्धार किए गए पुराने ग्रंथों का उच्च अनुसंधान मूल्य भी साबित होगा।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।