2008-05-09 16:56:51

इंकफिस की कहानी

शार्क समुद्र का खूंख्वार राजा था , एक दिन उस ने यह आदेश जारी किया कि सभी मछलियों को उस के जन्म दिवस के अवसर पर बधाई देने के लिए भेंट देनी चाहिए ।

शार्क के आदेश को अनसुना करने की किस को हिम्मत , तो सभी मछलियों ने तोफा ले कर भेंट की । तोफा देने वालों की नामसूची देखने के बाद शार्क ने पाया कि भेंट देने के लिए सिर्फ एक इंकफिस नहीं आया , सो शार्क को बड़ा गुस्सा आ गया । उस ने तुरंत अपने सिपाही झोंगी मछली भेज कर इंकफिस को बुलवाया । शार्क ने तेवर बदल कर इंकफिस से पूछा , कहो , तुम क्यों तोफा देने नहीं आये हो ।

इंकफिस ने उस का प्रतिवाद किया , महा राजा , मैं मछली नहीं हूं , फिर क्यों तोफा दूंगा ।

शार्क ने गरज कर कहा , तुम्हारा नाम इंक फिस है , भला मछली कैसे नहीं ।

इंकफिस ने शांत स्वर में समझाया कि हां , मेरा नाम इंकफिस तो जरूर है , और मैं मछली की तरह गिल से सांस लेता हूं , किन्तु मछली की रीढ़ होती है , मेरी नहीं । मछली फिन से तैरती है, पर मैं सिर के नीचे के कीप से पानी के छिड़काव से उत्पन्न होने वाली शक्ति पर चलता हूं । मैं और मछली एक ही जाति के नहीं हैं ।

शार्क ने ठंडी हंसी के साथ कहा , ऊंह , तुम मछली नहीं हो , तो तुम क्या हो ।

इंकफिस ने जवाब में कहा , समुद्र में शुक्ति , नदी में सीप और भूमि पर घोंघा आदि मेरे रिश्तेदार हैं । शार्क ने फिर पूछा , सीप -घोंघा के शरीर पर सख्त खोल है , तुम्हारा क्यों नहीं है ।

इंकफिस ने धैर्य के साथ कहा , हमारे पूर्वजों के शरीर पर भी खोल थे , लेकिन कालांतर में उस का ह्रास होता गया और अंत में वह विकसित हो कर शरीर के बाह्य झिल्ली के अन्दर शरीर को टेक देने वाला अंग बन गया।

फिर भी मैं तुझे नहीं छोड़ दूंगा , शार्क ने भयानक रूप दिखा कर इंक फिस पर झपट गया ।

छी ---की आवाज के साथ इंकफिस के मुंह में से स्याही जैसा काला पानी छड़क निकला , इस की आड़ में वह गहरे पानी में भाग गया । शार्क को कुछ दिखाई नहीं पड़ी , हार कर उस की आंखें फुटी की फुटी रह गई ।