चीन के एक गायन दल काली बतख गायन दल और उन के द्वारा गाए गए विदेशी गीत चीन में बहुत प्रसिद्ध है ।
कृपया सुनिए काली बतख गायन दल द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है-- लाल बेरी का फूल खिला है। यह गीत पिछली शताब्दी के पचास वाले दशक का है। चीन में हर आदमी इस गीत से परिचित है। इस गीत की लय बहुत सरल, और जीवन के जोश से भरी हुई है और काली बतख गायन दल की मधुर आवाज में यह गीत और भी जादुई हो उठा है। कोई भी इस गीत को सुन कर इसे गुनगुनाए बिना नहीं रह सकता।
इस गीत का विषय है कि प्रेम में डूबी लड़की अपने प्यार का इंतजार कर रही है और अपनी भावना को अभिव्यक्त करते हुए शर्मा रही है।
गीत के बोल हैं
मैदान में बहती छोटी नदी के किनारे लाल बेरी का फूल खिला है।
मैं सचमुच एक लड़के के साथ प्यार करती हूं,
मन में इतना ज्यादा प्यार भरा है लेकिन मुझे दुख है,
क्योंकि मैं अपने मन की छिपी बात बोल नहीं सकती हूं।
नदी के किनारे की लाल बेरी के फूल मुरझा गए हैं।
लड़की का प्यार बढ़ता जा रहा है
और वह दिन-ब-दिन उस लड़के के प्यार में डूबती जा रही है।
काली बतख गायन दल पिछली शताब्दी के आठवें दशक में स्थापित हुआ था। पहले इस दल की सदस्य तीन सुंदर लड़कियां थीं। वे चीन के केंद्रीय संगीत विद्यालय में शिक्षा खत्म करने के बाद चीन की ब्रोडकास्टिंग सिंफनी वाद्य-मंडली में शामिल हुईं। बाद में उन्होंने एक गायन दल की स्थापना की। इस गायन दल को स्थापित करने के बाद ही चीन के गीत-संगीत क्षेत्र में उन्हें स्थान मिला। इस गायन दल के सदस्यों की आवाज साफ और मधुर है, इन्होंने कई बार प्रसिद्घ गायक-गायिकाओं की एल्बमों में भी काम किया और लोगों को इन की आवाजें बहुत पसंद आईं।
वर्ष 1994 में काली बतख गायन दल ने पहली एल्बम जारी की, जिसका शीर्षक है—काली बतख। बाद में उस ने"जीवन गीत जैसा "आदि 10 से अधिक एल्बम जारी की।
अब सुनिए काली बतख गायन दल द्वारा गाया गया एक रूसी गीत, जिसका शीर्षक है—मास्को के उपनगर की एक रात।
यह एक कर्णप्रिय गीत है। गीत के पहले भाग में हवा और चंद्रमा के वर्णन से रात के शांत व सुंदर वातावरण की सृष्टि हुई है, और दूसरे भाग में प्रेमी और प्रेमिका के प्रेम का वर्णन है। काली बतख गायन दल की हल्की और साफ आवाज में यह पुराना गीत एक बार फिर नई ताजगी लेकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
काली बतख गायन दल पिछली शताब्दी के आठवें दशक में स्थापित हुआ था। पहले इस दल की सदस्य तीन सुंदर लड़कियां थीं। वर्तमान में इस गायन दल की सदस्य बदल गई है, अब इस में एक पुरानी सदस्य और दो नई सदस्य हैं। गायन दल की सदस्य बदलने के बाद पुरानी शैली कायम रखने के साथ-साथ नई सदस्य गीत गाने की नई शैली लेकर भी आई हैं।
अब सुनिए रुसी शैली का एक और गीत, जिसका शीर्षक है—काछुशा। यह सोवियत-संघ के राष्ट्रीय युद्ध के दौरान वहां फैला एक प्रसिद्घ गीत है।वास्तव में काछुशा एक लड़की का नाम है। इस गीत का विषय युद्ध में भाग लेने वाले प्रेमी और काछुशा के प्यार के बारे में है।
गीत के बोल हैं
इस समय फूल खिल गए हैं,
नदी में साफ पानी बह रहा है।
काछुशा नदी के किनारे खड़ी हुई है,
वसंत में खिली सुंदर घूप जैसा काछुशा का गीत गूंज रहा है
लड़की का गीत सूरज के साथ साथ आसमान में चल रहा है,
जो देश की सीमा पर युद्ध में भाग लेने वाले प्रेमी तक पहुंचेगा।
गीत में काछुशा ने अपने प्रेमी को शुंभकामनाएं भेजीं हैं।