एक दिन , एक शेरनी अपने तीन बच्चों को लिए अपनी माता छयोई से मिलने माइका लौटी । दोस्तो , आप समझते होंगे कि यह छयोई जरूर कोई बूढ़ी शेरनी हो , अगर आप ऐसा समझे , तो आप को गलतफहमी हुई है । दरअसल यह छयोई एक युवा लड़की थी , बड़े ताज्जुब की बात है ना ।
कहानी तो यो थी कि छयोई छोटी उम्र में ही जानवरों के बारे में जानकारी पाने के शौकीन थी , विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी होने के बाद वह अपनी जन्म भूमि --यूरोप से अफ्रीका की घनी जगल आई । वहां उस ने बड़ी संख्या में जानवर पाले और उन की देखभाल करती थी । जब कोई जानवर बड़ा हो गया , तो उसे जंगल में स्वतंत्र छोड़ा जाता था ।
जब छयोई ने सुना कि जंगल में एक खूंख्वार शेर है , अनेक मनुष्य इस खतरनाक जानवर के शिकार हो गए । तो उसे इस शेर में बड़ी कौतुहल हुई । उस ने शेर का पता लगाने और उस पर अनुसंधान करने की ठान ली ।
छयोई कुछ खाना और एक पिस्तोल लिए चल निकली । न जाने कितना लम्बा रास्ता तय करने के बाद अंत में वह एक घनी जंगल में प्रवेश कर गई और वहां उस खूंख्वार शेर से मुलाकात हुई । शेर एक विशाल पेड़ की ओट में छिपे चारों ओर घूर रहा था और बड़ी चौकसी में था । उस की नजर छयोई पर पड़ते ही वह एक हुंकार के साथ उछल गया और छयोई पर टूट पड़ा , इस नाजुक घड़ी पर छयोई को आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना पड़ा । टांए --टांए आवाज के साथ शेर लड़खड़ा कर जमीन पर खेत हो गया ।
इसी समय छयोई ने पाया कि पेड़ के पीछे तीन नवजात शेर के बच्चे थे । गोली की आवाज से वे बुरी तरह सहम हो गए और मासूम आंखों से छयोई की ओर देख रहे थे ।
ओह , ऐसी बात थी , छयोई अब समझ गई कि उस शेरनी ने अपने बच्चों की रक्षा के लिए उस पर हमला बोला था । उसे बहुत पछताछ हुई और तीनों शेर के बच्चों पर दया भी आई । उस ने सोचा कि अब ये शेर के बच्चे अनाथ बन गए , मां से वंचित ये बच्चे कैसे जी सकते , सो वह तीनों शेर के बच्चों को पालने की सोच से उन्हें घर ले आई ।
छयोई ने थोड़े बड़े हुए दो शेर के बच्चों को चिड़ियाघर को सौंपा और छोटे शेर को अपने पास रखा । वह शेर के बच्चे को अपनी बेटी समझ कर पालने लगी ।
एक वर्ष बीत चुका था , छोटा शेर बड़ी शेरनी बन गई । जब छयोई पास पड़ोसी की किस भी जगह जाती थी , तो शेरनी भी उस के साथ साथ जाती थी ।वह छयोई से जुदाई कभी नहीं चाहती , मानो बच्चा मां से अलग होना नहीं चाहता हो । छयोई के पड़ोसी शेरनी को आते देख कर बहुत डरते थे , बाल -बच्चे तो डर से रो पड़ते थे और बैल-बकरी भी भय से कांपते थे । गांव वासियों ने छयोई से अनुरोध किया कि आप फिर अपनी इस बेटी के साथ हमारे यहां न आए , तो बड़ा तोबा होगा ।
अब क्या करूंगी , सोच विचार कर छयोई ने शेरनी को जंगल में छोड़ने की निश्चय किया । बिदाई के दिन छयोई ने शेरनी के भोजन के लिए विशेष रूप से कुछ मांस पकाया । शेरनी को गंजल में स्वतंत्र छोड़ते वक्त छयोई ने उस से कहाः तुम बड़ी हो गई है , तुझे अपनी जन्म भूमि लौटना चाहिए , अब जाओ , घर वापस जा । शेरनी बड़ी अनिच्छा से मुड़ मुड़ कर घनी जंगल में चली गई ।
एक वर्ष फिर बीता । शेरनी अपने तीन नन्हें नन्हें बच्चों को लिए माइके वापस धमकी , उन की वापसी देख कर छयोई खुशी से खिल गई । अपनी शेर बेटी और तीन पोतों के स्वागत में छयोई ने विशेष तौर पर ऊंट का गोश्त पका कर खिलाया ।
शेरनी माइके में एक रात ठहरी , दूसरे दिन वह अपनी मां से बिदा ले कर फिर जंगल में लौटी । जाते जाते उस ने तीन बच्चों को दादी के यहां छोड़ रखा ।