मंगोल जाति की गायिका द द मा चीन की लोकप्रिय गायिका है।
31 साल की उम्र में दक्षिण चीन के एक शहर में प्रस्तुत एक कार्यक्रम में उन्होंने "सुंदर घास मैदान-मेरा घर"शीर्षक एक लोकगीत गाया, जो लोगों को बहुत पसंद आया और इस प्रकार उन की व्यापक जनता में पहचान बननी शुरु हुई। दोस्तो, अब सुनिए यह मधुर गीत-- सुंदर घास मैदान-मेरा घर।
गायिका द द मा का जन्म उत्तर चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के अलाशान जिले के एक चरवाहा परिवार में हुआ है। इस साल उन की उम्र 61 साल की हो गई है। उन के मां-पाप दोनों बहुत प्रसिद्ध स्थानीय गायक रहे हैं। विस्तृत घास मैदान और सुंदर चरागाह में बड़े होने वाली द द मा बचपन से ही गायक बनने का सपना देखती रही हैं। 1982 में द द मा पेइचिंग आईं और राष्ट्रीय जातीय संगीत-नृत्य समूह में एक गायिका बन गईं। यहां उन की गीत गाने की क्षमता धीरे-धीरे उन्नत होने लगी। आधुनिक संगीत और मंगोल जाति के संगीत के मेल से उन्होंने अपनी निजी शैली विकसित की है। जातीय विशेषता को कायम रखते हुए उन्होंने गीत-संगीत की शैली पर भी ध्यान दिया है। उन की विशेष आवाज़ लोगों को बहुत पसंद है और उन के मंगोल शैली के गीत आज चीन में बहुत प्रसिद्ध हैं।
अपने अनुभव की चर्चा करते हुए द द मा ने कहा कि चीन के सबसे अच्छे कलाकारों के साथ चीनी राष्ट्रीय जातीय संगीत-नृत्य समूह में काम करना मेरे लिए एक बड़ा मौका है। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी राष्ट्रीय जातीय संगीत-नृत्य समूह एक बड़ा घर है, यहां विभिन्न जातियों के लोग एक साथ काम करते हैं। मैं मंगोल जाति की प्रतिनिधि हूं। अगर मैं यहां हमेशा काम करना चाहती हूं, तो मुझे गीत गाने की क्षमता उन्नत करनी पड़ेगी। पेइचिंग आने के बाद मैं ज्यादा जगहें देख सकती हूं, यहां बहुत से अध्यापकों व विशेषज्ञों से सीख सकती हूं, गाना सीखने के मौके भी यहां अधिक हैं। इस प्रकार पेइचिंग आए हुए मुझे 20 साल से भी अधिक हो गए हैं और मैं अपने अध्यापकों व विशेषज्ञों के दिशा निर्देशन में धीरे-धीरे आगे बढ रही हूं।
दोस्तो, अब सुनिए गायिका द द मा द्वारा मंगोल और हान दोनों भाषाओं में गाया गया एक गीत, जिस का शीर्षक है—आकाश में हवा। यह मंगोल जाति का एक पुराना गीत है। पिछली शताब्दी के नौवें दशक में द द मा ने एक बार फिर अपनी शैली में यह गीत गाया। गीत की भाषा बहुत आसान है और लय मधुर और इस गीत में मंगोल जाति के लोगों के सक्रिय रूप से आगे बढने और उन्नति करने की भावना की अभिव्यक्ति हुई है और भविष्य के लिए उन के सपने व आशा भी इस गीत में देखे जा सकते हैं। इस गीत का परिचय देते हुए द द मा ने कहा कि यह एक पुराना गीत है, लेकिन मैंने गाने का ढंग बदल कर अपनी निजी शैली में इस मधुर गीत को एक बार फिर नयेपन से पेश किया है।
आकाश में हवा नामक इस गीत में द द मा ने गीत गाने के पारंपरिक उपाय अपनाने के बजाए आधुनिक तरीके का उपयोग करते हुए मंगोल जाति की विशेष शैली का भी उपयोग किया है। इससे यह गीत एक पुराने गीत से नया गीत बन गया है और एक आधुनिक लोकगीत का एहसास देता है। इस गीत की प्रस्तुति को विशेषज्ञों व श्रोताओं ने बहुत पसंद किया, और यह द द मा का एक विशेष गीत भी बन गया।
गीत के बोल हैं—आकाश में बादल हैं, वे धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। और जीवन में सुंदर समय भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। जीवन हमेशा नहीं रहता है, इसलिए हमें सुंदर व सुखी समय की कदर करनी चाहिए। सितारों की रोशनी से रात का आकाश सुंदर बन गया है, हमारी आशा आकाश में उड़ान भर रही है, हम अपने हाथों से अपने सपने बुनेंगे।
1998 में जब द द मा जापान में एक बड़े मंच पर कार्यक्रम पेश कर रहीं थी तब अचानक उन के हाथ व जुबान को मानो लकवा मार गया ,उन में कोई हरकत और कोई शक्ति नहीं रही। कार्यक्रम पेश करने के बाद वे बेहोश होकर गिर पड़ीं। उन का आधा शरीर नाकाम हो गया। लेकिन वे संगीत के अपने प्रेम की शक्ति के आधार पर बीमारी के साथ जूझ रही हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि एक आदमी को आगे बढते रहना चाहिए, पीछे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि आगे बढते रहने से बाद में आने वाले लोगों के लिए एक रास्ते की रचना की जा सकती है। दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है कि जहां कोई रास्ता न हो, क्योंकि कोशिश करने के बाद जीवन में कम से कम एक रास्ता तो बन ही सकता है।
9 महीनों के उपचार के बाद 1999 के अक्तूबर में द द मा एक बार फिर मंच पर गीत गाने के काबिल हो गई हैं। बीमारी के साथ लड़ने के बाद उन्हें जीवन का सही अर्थ मालूम पड़ा है और वे पहले से भी अधिक गीत गाना पसंद करने लगी हैं। उन्होंने कहा कि संगीत ही मेरा जीवन है। 2001 के अंत में द द मा ने अपनी तीसरी एल्बम—चरवाहा जारी की। एक साल के बाद उन्होंने एक और एल्बम जारी की, जिसका शीर्षक है—द द मा की लाल छतरी।
दोस्तो, अब सुनिए द द मा द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है—चरवाहा। यह गीत अश्व सिर नुमा साज में शुरु होता है, बाद में द द मा की विशेष आवाज के साथ-साथ मंगोल जाति के चरवाहों के जीवन और उन के सकारात्मक रुख की अभिव्यक्ति करता हुआ यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ है।
इस समय द द मा फिर चीन के लोकगीत के मंच पर संगीत से भरा हुआ जीवन बिखेर रही हैं। वे अक्सर हर बड़ी प्रस्तुति में भाग लेती हैं। इस साल उन्होंने पेइचिंग में एक गीत सभा का आयोजन किया, जिससे श्रोताओं को एक बार फिर इस लोकप्रिय गायिका के सुंदर गीत सुनने का सुनहरी अवसर प्राप्त हुआ है।