श्री य्वान शी-खुन चीन में एक मशहूर चित्रकार और मूर्तिकार हैं।उन के बने चित्रों में चीनी चित्रकला की परंपरागत शैली और यूरोपीय चित्रकला की शैली का अनूठा संगम देखने को मिलता है।वर्ष 2000 में न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और जर्मनी के बर्लिन संग्रहालय में अलग-अलग तौर पर उन की व्यक्तिगत चित्र-प्रदर्शनियां लगायी गईं। ये प्रदर्शनियां बहुत सफल रहीं । बहुत से यूरोपीय चित्रकारों ने प्रदर्शित अद्भुत चीनी ऱाष्ट्रीय शैली वाले तैलीय चित्रों को पूर्वी तैलीय चित्र की संज्ञा दी और उन की खूब प्रशंसा की। श्री य्वान का विचार है कि कलाकारों को अपनी ख्याति पर जोर नहीं देना चाहिए, बल्कि अपनी उपलब्धियों से समाज की सेवा करनी चाहिए। ऐसा करने से ही उन की दृष्टि व्यापक हो सकती है और रचना करने के उत्साह में इजाफा हो सकता है।
अपने जीवन का आदर्श पाने के लिए श्री य्वान शी-खुन एक कलाकार के रूप में बड़े उत्साह के साथ 2008 में पेइचिंग में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय ऑलंम्पिक खेलों के तैयारी-कार्य में लग गए हैं। उन का मत है कि खेलकूद ने सच्चाई और सौंदर्य दिखाने वाले सब से प्रत्यक्ष और न्यायोचित कार्य का रूप ले लिया है। इस कार्य के विकास की कुंजी ऑलंम्पिक भावना ही है,जो खेलकूद और संस्कृति के सहयोग पर आधारित है।श्री व्यान चाहते हैं कि मूर्तियों से ऑलंम्पिक भावना का विकास किया जाए। उन का कहना है :
"2008 में पेइचिंग में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय ऑलंम्पियाड का प्रभाव पेइचिंग पर ही नहीं ,
बल्कि चीन के दूसरे क्षेत्रों यहां तक कि पूरे संसार पर भी पड़ेगा। इस खेल-समारोह के जरिए देश के व्यापक किसानों तक को भी ऑलंम्पिक आनन्द उठाने का मौका मिलेगा और ऑलंम्पिक भावना चीनी जनता के दिलों में घर कर जाएगी। इस से पूरा समाज और अधिक मैत्रीपूर्ण और स्वस्थ होगा।"
श्री य्वान ने बताया कि अब तक विश्व के 84 देशों व क्षेत्रों के 1000 से अधिक मूर्तिकारों ने हमारे नाम पत्र लिखकर पेइचिंग ऑलंम्पियाड के लिए अपनी कृतियां भेजने की तीव्र इच्छा व्यक्त की है और हमें उन की बनी कोई 2400 मूर्तियों के नमूने भी मिले हैं।ये सभी मूर्तियां ऑलंम्पिक भावना और उस की अवधारणा पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करती हैं। उन के विषय सारगर्भित हैं और डिजाइनें विविध हैं। हम ने उन में से 300 से अधिक श्रेष्ठ कृतियां चुनकर उन्हें प्रदर्शित करने की योजना बनायी है।
श्री य्वान के अनुसार ये चुनिंदा मूर्तियां सब से पहले देश के प्रमुख शहरों फिर विश्व के अनेक देशों में प्रदर्शित की जाएंगी। इस समय वह अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव का लाभ लेते हुए इन मूर्ति-प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे हैं। अब तक विदेशों के 23 शहरों ने प्रदर्शनियों के आयोजन के प्रति प्रतिक्रियाएं की हैं औऱ उन में से 11 की संबंधित संस्थाओं ने प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए आवेदन किया है। विदेशों में इन मूर्ति-प्रदर्शनियों के सफल आयोजन पर श्री य्वान को पूरा विश्वास है। उन्हों ने कहा :
"विदेशी शहरों द्वारा प्रदर्शनियों के आयोजन के लिए आवेदन किए जाने से मेरा विश्वास बहुत बढ़ गया है। इस आयोजन को अंतर्राष्ट्रीय ऑलंम्पिक कमेटी के स्थाई मानत अध्यक्ष समारांच से भूरि-भूरि प्रशंसा औऱ पेइचिंग ऑलंम्पिक आयोजक समिति से पूरा समर्थन प्राप्त हुआ है। इसलिए मुझे यकीन है कि ये मूर्ति-प्रदर्शनियां सुव्यवस्थित रूप से लगायी जाएंगी और बेहद स्वस्थ प्रभाव पैदा करेंगी।"
श्री य्वान शी-खुन ने यह भी विचार व्यक्त किया कि एक सच्चे कलाकार को ऐसा होना चाहिए,जो कला से बाहर अधिक दूरगामी महत्व के सांस्कृतिक व कल्याणकारी कार्य में भी योगदान कर सकता हो। मतलब यह है कि उन्हें अपनी प्रतिभा और सुयोग्यता का सिर्फ एक पहलु में नहीं,बल्कि समग्र दायरे में भी प्रयोग करना चाहिए।