मित्रो,हाल ही में चीन सरकार ने ऐसी एक परियोजना की औपचारिक शुरूआत की घोषणा की है कि 5 साल के भीतर देशभर में सुरक्षित तमाम प्राचीन पुस्तकों की संख्या,मूल्य और संरक्षण की स्थिति की आम जांच की जाएगी, इन पुस्तकों की नामसूची का विमोचन किया जाएगा,इन पुस्तकों की मरम्मत करने वाले पेशावर तकनीशियन तैयार किए जाएंगे और डिजीटलीकृत तकनीक से इन पुस्तकों को पूर्ण संरक्षण दिया जाएगा।
चीन का कलमबद्ध इतिहास कोई 4000 वर्ष पुराना है। प्राचीन काल में चीनी पुस्तकें कागज के अलावा बांस की पट्टियों और रेशमी कपड़े से भी बनती थीं।लेकिन आज जिन प्राचीन पुस्तकों का जिक्र किया जाता है,वे सिर्फ कागज से बनी हुई हैं।चीन सरकार की हालिया परियोजना के दायरे में सन् 1912 से पहले की हान भाषा और चीन की विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों की भाषाओं में लिखित सभी पुस्तकें आती है।इन पुस्तकों का अधिकांश भाग पुस्तकालयों और संग्रहालयों जैसी संस्थाओं में सुरक्षित हैं,लेकिन कुछ लोक में भी प्रचलित हैं।विशेषज्ञों का अनुमान है कि चीन में प्राचीन पुस्तकों की संख्या 3 करोड़ से भी अधिक है।लम्बे इतिहास में ये पुस्तकें या तो युद्ध के कारण क्षतिग्रस्त हो गईं हैं या मौसम के कारण कीड़े-मकोड़ों ने इन्हें नष्ट करने की कोशिश की है या फिर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल न किए जाने के कारण इन पुस्तकों का कागज़ नाजुक व पीला पड़ गया है। इसलिए इन पुस्तकों के संरक्षण की स्थिति में सुधार लाना और संबद्ध सुयोग्य व्यक्तियों का प्रशिक्षण करना फौरी कार्य बन गया है।
अभी घोषित परियोजना के तहत चीन के संबंधित विभागों ने प्राचीन पुस्तकों के संरक्षण-गृह के निर्माण और प्राचीन पुस्तकों की मरम्मत वाली तकनीकों के मापदंड तय किए हैं।चीनी संस्कृति मंत्रालय के पुस्तकालय-निर्माण मामले के जिम्मेदार व्यक्ति सुश्री ल्यू श्याओ-छिन के अनुसार ये मापदंड प्राचीन पुस्तकों के संरक्षण की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही तय किए गए हैं।उन्हों ने कहाः
"देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्राचीन पुस्तकों के संरक्षण की स्थितियों में बड़ा अन्तर मौजूद है।इस का कारण है कि शुरू से ही इस क्षेत्र में एकीकृत मापदंड और मांग नहीं रही हैं।अच्छाई और बुराई के बीच कोसों दूरी है।स्थिर तापमान और स्थिर आर्द्रता तथा कीड़े-मकोड़ों से बचाव व धूप निरोधक तकनीक अच्छी स्थितियों के निर्माण के लिए अतिआवश्यक है।बड़े पुस्तकालयों में आम तौर पर अच्छी स्थितियां उपलब्ध हैं,लेकिन छोटे पुस्तकालयों में प्राचीन पुस्तकें यों ही बिना किसी संरक्षण के साधारण पुस्तकों के साथ रखी गई हैं।"
सुश्री ल्यू श्याओ-छिन ने कहा कि प्राचीन पुस्तकों की अच्छी तरह मरम्मत के लिए उन के तय किए गए दर्जों के अनुसार केंद्र सरकार विशेष अनुदान करेगी।
प्राचीन पुस्तकों की मरम्मत करने वाले विशेषज्ञ श्री तु वई-शंग ने संवाददाता को दिए अपने साक्षात्कार में कहा कि प्राचीन पुस्तकों का संरक्षण एक बहुत लम्बा ऐतिहासिक कार्य है।बड़ी संख्या में सुरक्षित प्राचीन पुस्तकों का कई सौ वर्षों यहां तक कि हजारों वर्षों का इतिहास है।उन्हें सुरक्षित करने के कार्य में विशेषज्ञों को प्राकृतिक विपत्तियों से पहुंची क्षति से निपटने के साथ-साथ प्रदूषित वातावरण के कारण उभरी नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।श्री तु वई-शंग ने कहाः
"प्राचीन पुस्तकों के संरक्षण-कार्य की मांग काफी ऊंची है।क्योंकि उठाए जाने वाले सभी संबद्ध कदमों को पुस्तकों के स्थाई संरक्षण के हित में होना होगा।अब जलवायु का बढता प्रदूषण इस कार्य को और ज्यादा कठिन बना रहा है।ऐसे में नए वैज्ञानिक तरीके से प्राचीन पुस्तकों को संरक्षित करना फौरी कार्य बन गया है। "
इस समय चीन में पुस्तकों की मरम्मत करने वाले केवल सौ से अधिक कारीगर हैं।उन में से ज्यादातर लोगों को सुव्यवस्थित रूप से पेशावर शिक्षा नहीं मिली है।उन्हें कारीगरी उन के गुरू ने ही सिखाई है। इसलिए उन की संबंधित अवधारणा और तकनीक का नवीनीकरण ज्यादा जरूरी है।विशेषकर बुजुर्ग कारीगरों के सेवा निवृत होने के बाद उन की जगह लेने वाले युवा कारीगरों की कमी के कारण प्राचीन पुस्तकों के संरक्षण व मरम्मत का कार्य बहुत सीमित रह गया है।
इस के मद्देनजर चीन में सुरक्षित सभी प्राचीन पुस्तकों की आम जांच की परियोजना के तहत पुस्तक-मरम्मतकर्ताओं के प्रशिक्षण में तेजी लाना भी एक अहम कार्य है।चीनी राजकीय पुस्तकालय एक प्रमुख प्रशिक्षण-केंद्र बनेगा।यह पुस्तकालय चीन में प्राचीन पुस्तकों का सब से बड़ा संग्रहकर्ता है और उन का सब से बड़ा संरक्षण-केंद्र भी।इधर के कुछ वर्षों में उस ने बड़ी तादाद में मूल्यवान प्राचीन पुस्तकों की मरम्मत कर उन का संकलन और प्रकाशन किया है। इस सिलसिले में उस ने इन पुस्तकों को डिजीटलीकृत बनाने में सफल अनुभव भी प्राप्त किए हैं। इस पुस्तकालय के एक जिम्मेदार व्यक्ति श्री चांग फिंग के अनुसार प्राचीन पुस्तकों को पूरी तरह परखने की राष्ट्रीय परियोजना के अनुसार यह पुस्तकालय इन पुस्तकों का वर्गीकरण करने और कारीगरों को प्रशिक्षण देने जैसे काम संभालेगा। उन का कहना हैः
"प्राचीन पुस्तकों का वर्गीकरण करना बहुत बारीक काम है और कारीगरों को प्रशिक्षण देना उच्च तकनीकवाला व्यावसायिक कार्य है। इन दोनों कार्यों को बखूबी अंजाम देने के लिए काफी मेहनत करने की जरुरत है। इस समय हम संबंधित तैयारियों में व्यस्त हैं। "
चीनी राजकीय पुस्तकालय के विशेषज्ञों ने प्राचीन पुस्तकों की मरम्मत के लिए कई सुझाव पेश किए है,जैसे कि मरम्मत के दौरान क्षति पूरी करने के साथ-साथ पुस्तकों का पुराना रूप यथावत रखने की कोशिश की जाए,मरम्मत में प्रयोग की जाने वाली तकनीक ऐसी होनी चाहिए कि उन का आने वाली पीढ़ी के कारीगर नवीनीकरण कर सकें।विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि उन्हों ने बहुत से सालों के अनुसंधान और व्यवहार के दौरान इन कीमती ऐतिहासिक अवशेषों की मरम्मत में अपेक्षाकृत परिपक्व अनुभव अर्जित किए हैं।सो उन्हें आशा है कि प्राचीन पुस्तकों की आम जांच वाली राष्ट्रीय परियोजना देश भर के संबंधित पेशावर कार्यकर्ताओं को अनुभवों के आदान-प्रदान का मौका प्रदान करेगी।
चीनी संस्कृति मंत्रालय के पुस्तकालय-कार्य की देखरेख करने वाली अधिकारी सुश्री ल्यू श्याओ-छिन ने बताया कि इस राष्ट्रीय परियोजना का आखिरी लक्ष्य प्राचीन पुस्तकों से जुड़ी सूचनाओं का भंडार बनाना है,ताकि इन पुस्तकों की सुव्यवस्थित रक्षा की जाए और संबद्ध संरक्षण-तंत्र कायम किया जाए।उन्हों ने कहाः
"प्राचीन पुस्तकों से जुड़ी सूचनाओं का भंडार हरेक देश के लिए महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।ऐसा इसलिए क्योंकि इन में कलमबद्ध इतिहास व संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त अनुभव एवं सबक हमेशा उपयोगी रहते हैं। इन पुस्तकों के खोने का मतलब इन सभी उपयोगी चीजों को खोना है।सो हम इन पुस्तकों से जुड़ी सूचनाओं के भंडार के निर्माण में संबंधित सरकारी,गैरसरकारी और निजी संस्थाओं को लाएंगे।हांगकांग,मकाओ और थाइवान में सुरक्षित प्राचीन पुस्तकें भी भंडार में शामिल की जाएंगी।"
सुश्री ल्यू श्याओ-छिन ने यह भी कहा कि सरकार प्राचीन पुस्तकों का संग्रह करने वाले व्यक्तियों को निश्चित विभाग में पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित करती है साथ ही संबद्ध बाजार के निगरानी-कार्य को भी अधिक मजबूत करेगी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में तेजी लाएगी,ताकि विदेशों में ले जायी गईं मूल्यवान प्राचीन चीनी पुस्तकों को स्वदेश लौटाया जा सके।चीन की यह भी योजना है कि अनुकूल स्थितियों की उपलब्धता की हालत में विदेशी संग्रहालयों में सुरक्षित प्राचीन चीनी पुस्तकों को पंजीकृत किया जाएगा,ताकि ये कीमती आध्यात्मिक संपत्ति पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुरक्षित रह सके और सभ्यता के विकास में योगदान कर सके।