दोस्तो,हाल ही में चीनी फिल्म 《पागल-पत्थर》ने देश के बॉक्स-आफिस पर लगातार कई सप्ताहों तक हिट रहकर रिकार्ड कायम किया।जब कि इस के निर्माण की लागत 50 लाख चीनी य्वान से भी कम है।अब तक इस फिल्म ने अपनी लागत से करीब 4 गुना अधिक मुनाफा कमाया है। इस तरह इस फिल्म के युवा निर्देशक निंग-हाऊ बहुत से फिल्मी व्यापारियों की आंखों पर चढ गए हैं ।
फिल्म《पागल-पत्थर》एक शुद्ध हास्यपूर्ण, मनोरंजक फिल्म है,जिस के सभी पात्र पुरूष हैं।इस की कहानी ऐसी है कि दक्षिण-पश्चिमी चीन के एक प्रमुख शहर छुंगछिंग में शिल्पकला की वस्तुएं बनाने वाला एक कारखाना दिवालियेपन की कगार पर है।इस कारखाने की एक पुरानी वर्कशॉप को ढहाए जाते समय उस में से एक अत्यंत मुल्यवान जेड बरामद होता है।कारखाने को दिवालियेपन से बचाने के लिए कारखाने के महानिदेशक बड़े आकार वाले इस जेड को नीलाम करने का फैसला करते हैं।दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय चोरों का एक गुट और स्थानीय चोरों का एक गुट दोनों इस जेड को प्राप्त करना चाहते हैं।वे अपने-अपने"व्यावसायिक कौशल" से इस जेड के नजदीक पहुंचने की कोशिश करते हैं।इस सिलसिले में उन्हें एक दूसरे को नाकामयाब बनाने के साथ-साथ संयुक्त रूप से इस जेड की रक्षा करने वाले एक अधिकारी से संघर्ष करना पड़ता है।अंत में खुले संघर्ष और गुप्त जोर-आजमाइश तथा असली व नकली जेडों की अदला-बदली के बाद इन दो चार-गुटों की सभी कोशिशों पर पानी फिर जाता है।
इस फिल्म की कहानी दिलचस्प है और संवाद हास्यपूर्ण हैं। अनपढ़ व्यक्ति किसी विद्वान की तरह शिष्ट शब्दों भरा वाक्य बोलता दिखाई पड़ता है,जबकि यह वाक्य सामने वाले की बात या तत्कालीन स्थिति या फिर वातावरण से मेल नहीं खा रहा है।इस के अलावा सभी संवाद स्थानीय बोली में हैं,सो सिनेमा-घर में दर्शकों के ठहाके मार कर हंसने की आवाज़ रह-रह कर सुनाई पड़ती है।हमारे संवाददाता ने इस फिल्म के निर्देशक निंग-हाऊ से पूछा कि क्या फिल्म-शूटिंग के दौरान भी अभिनेताओं को हंसते-हंसते काम बन्द करना पड़ा था? श्री निंग-हाऊ ने इस का जवाब देते हुए कहाः
"वास्तव में ऐसा नहीं है।शूटिंग-स्थल पर सब लोग गंभीर थे।हर किसी के पास हंसने का समय कहां था ? सब का मन फिल्म के विषय को अच्छी तरह समझने और दर्शकों को हंसाने के तरीके सोच-निकालने पर केंद्रित रहता था।जब आप एकाग्रता से किसी बात पर सोचते हैं,तो आप हंसना, रोना भूल जाते हैं।"
निंग-हाऊ एक सौभाग्यशाली युवा फिल्म-निर्देशक हैं।2005 में हांगकांग के मशहूर गायक और अभिनेता ल्यू त-ह्वा ने एक मनोरंजन कंपनी स्थापित कर एशियाई फिल्म-निर्देशकों की मदद के लिए एक योजना बनाई। इस योजना के तहत 6 एशियाई युवा फिल्म-निर्देशकों को फिल्म बनाने में वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है । निंग-हाऊ चीन की मुख्यभूमि से चुने गए एकमात्र फिल्म-निर्देशक थे,जिन्हें यह सहायाता मिली ।उन्हों ने इस मौके का लाभ उठाकर तीव्र स्पर्द्धा वाले फिल्मी जगत में अपनी पहचान बनाई।
निंग-हाऊ 29 साल पहले उत्तर पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत की राजधानी थाईय्वान शहर में जन्मे थे।वह चीन में इकलौती संतान वाली पहली पीढ़ी के परिवार की इकलौती संतान हैं।जूनियर स्कूल में पढने के समय ही वह कला-संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों में काफी सक्रिय थे।स्कूल में ही नहीं,स्कूल के बाहर भी इस तरह की जो गतिविधियां चलाई जाती थीं,वह उन में हिस्सा लेने की कोशिश करते थे।उन्हों ने स्कूल में शिक्षकों को बताए बिना एक संगीत वाद्य-दल भी गठित किया।इस से गुस्साए अनेक शिक्षकों ने उन्हें पसन्द नहीं किया और उन के साथ ठंडा व्यवहार किया।ऐसे में दृढ स्वभाव वाले निंग-हाऊ ने इस स्कूल को छोडकर एक विशेष ललित-कला स्कूल में दाखिला लिया ।1996 में उन्हों ने इस स्कूल की पढाई पूरी की ।उन्हों ने कहाः
"ललित-कला स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे थाईय्वान शहर की नाटक-मंडली में नौकरी मिली।लेकिन एक साल तक काम करने के बाद मुझे लगा कि वहां का काम ज्यादा महत्व का नहीं है औऱ बहुत से काम ऐसे हैं,जो किए जाने और न किए जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस वातावरण में लोगों की रचनात्कता और सक्रियता कैसे बनी रहेगी ? मैं ने काफी सोच-विचार कर अभिभावक से कहा कि मुझे आगे यहां नहीं काम करना है। मैं बाहर किसी दूसरी जगह जाऊंगा।मेरे मां-बाप की समझ में कुछ भी नहीं आया,पर उन्हों ने मुझे 2000 य्वान देकर बाहर जाने की अनुमति दे दी।"
निंग-हाउ के अभिभावक ने सोचा कि वह सिर्फ सैर-सपाटे के लिए बाहर जाएगा और पैसे खर्च करने के बाद घर वापस लौट आएगा।लेकिन उसने कहीं का भी सैर-सपाटा नहीं किया,बल्कि पेइचिंग में आकर एक कमरा किराए पर ले लिया और उस में रहकर अपने भावी जीवन और काम के बारे में सोचना शुरू किया। अपनी विशेषता के अनुसार उस ने फोटोग्राफी की तकनीक सीखी और एक साल तक विशेष रूप से फिल्मी स्टारों के लिए फोटो खींचने का काम किया।फिर औपचारिक व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए पेइचिंग फिल्म प्रतिष्ठान में दाखिला ले लिया और 3 सालों की पढाई पूरी करने के बाद उस ने फिल्मोद्योग में कदम रखा।2002 में उस की पहली फिल्म《घास-मैदान》हांगकांग के मशहूर गायक व अभिनेता ल्यू त-ह्वा की पसन्द बन गई।इस फिल्म से निर्देशक के रूप में निंग-हाऊ की प्रतिभा सामने आई।इसलिए ल्यू त-ह्वा ने निंग-हाई को एशियाई फिल्म-निर्देशकों की मदद के लिए अपनी योजना में शामिल किया।
अपनी नयी फिल्म《पागल-पत्थर》की सफलता की चर्चा करते हुए निंग-हाऊ ने कहा कि उन्हों ने फिल्म की शूटिंग के दौरान सिर्फ यह सोचा कि किस तरह इस फिल्म को ज्यादा मनोरंजक,दिलचस्प और कमाऊ बनाया जाए।फिल्म की सफलता कई पहलुओं से देखी जानी चाहिए,पर मैं ने इतनी दूर तक नहीं सोचा।उन का कहना हैः
"मैं ने चीन के थाएवान क्षेत्र के फिल्म-निर्माण की स्थिति से प्रेरित होकर फिल्म《पागल- पत्थर》बनाना तय किया।मैं समझता हूं कि थाएवान में फिल्मोद्योग परवान चढा है।इस क्षेत्र में चीन की मूख्यभूमि को उस से सीखना चाहिए।अलबत्ता फिल्म का अपना उद्योग होना चाहिए,अगर फिल्में सरकारी सहायता या अन्य उद्योगों पर निर्भर होकर ही बनाई जाती हैं,तो फिल्म-निर्माण का अच्छा समय कभी नहीं आएगा।मेरे विचार में फिल्मों को अच्छे दाम में बेचना भी निर्देशकों के लिए महत्वपूर्ण है।क्योंकि अच्छी कमाई न मिलने पर आप कैसे नयी बढिया फिल्म बना सकते हैं? "
निंग-हाऊ के अनुसार उन्हों ने चीनी फिल्मी बाजार की मांग का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद फिल्म《पागल-पत्थर》बनाई।तथ्यों से साबित है कि बाजार की मांग को महत्व देना सफल फिल्म बनाने की एक पूर्व-शर्त है।कुछ समय पहले निंग-हाऊ ने सी.ए.ए कंपनी के साथ अनुबंध किया।यह अमरीका में प्रमुख फिल्मी एजेंट कंपनियों में से एक है,जिस के सदस्यों में विश्वविख्यात फिल्म-निर्देशक आन-ली,जोन-वो और स्टेवन स्पिल्बर्ग आदि शामिल हैं।इस समय निंग-हाऊ फिल्म《लाल रेस कार》की शूटिंग में व्यस्त हैं।इस के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की पूंजी भी आकर्षित हुई है।हम ने सुना है कि यह भी एक हास्य-प्रधान फिल्म होगी।आशा है वह दर्शकों को ज्यादा आनन्द पहुंचाएगी।