2008-01-10 16:35:06

किसान नाटककार ह छिंग-ख्वे

चीनी परंपरागत वसंतोत्सव की पूर्वसंध्या पर सीसीटीवी या चीनी केंद्रीय टी.वी स्टेशन देश के करोड़ों दर्शकों को मिलन समारोह संबंधी एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाता है। पिछले 20 से अधिक वर्षों से यह कार्यक्रम पूरे चीनियों के लिए एक नियमित आयोजन हो गया है,जिस से देश के ही नहीं,विदेशों में बसे चीनी भी अत्यंत गहरे रुप से प्रभावित हैं। इस कार्यक्रम में सिर्फ उन कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है,जिन की अभिनय-क्षमता सशक्त है और ख्याति सर्वमान्य है। इस साल इस कार्यक्रम के हास्य-संवाद और लघु-नाटक खंड का प्रबंध ह छिंग-ख्वे नामक एक किसान नाटककार ने किया।

श्री ह छिंग-ख्वे 57 वर्ष के हैं और एक साधारण किसान हैं। वे देखने में इतने गंभीर हैं कि मानों हास्य का उन से कोई रिश्ता ही न हो। पर 20 वर्षों से भी अधिक समय के प्रयासों के बाद वह एक सफल हास्य-लेखक बन गए हैं। उन की प्रस्तुतियों को देखते हुए बहुत कम लोग ऐसे हो सकते हैं जो अपने को हंसते-हंसते लोट-पोट होने से रोक सकें। उन की रचनाओं के सब के सब विषय ग्रामीण-जीवन पर आधारित हैं और इन्हें रचने की प्रेरणा उन्हें ग्रामीण जीवन के यथार्थ अनुभवों से मिलती हैं। उन की कृतियां लोगों को हंसाने के साथ-साथ कुछ न कुछ सिखाती भी हैं। ग्रामीण-क्षेत्र के प्रति अपनी भावना की चर्चा करते हुए उन्हों ने कहा :

"चीन एक बड़ा कृषि-प्रधान देश है।किसानों को अनेक क्षेत्रों में मदद की जरूरत है।वहां की अतिरिक्त श्रमशक्ति को जीवन का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। इस के लिए सरकार ने लघु कस्बे बनाने और रोजगार के अवसर तैयार करने जैसे कदम उठाए हैं। मैं अपनी कृतियों के जरिए किसानों में आधुनिक कृषि के प्रति नए विचार जगाना चाहता हूं,ताकि वे अपने जीवन-स्तर को ऊंचा उठाने का रास्ता ढूंढ सकें। संक्षेप में,मेरी आशा है कि व्यापक रुप से किसान मेरी प्रस्तुतियां देखकर अपने पुराने विचार बदलकर आधुनिक दृष्टि कायम कर खुशहाल हों।"

श्री ह छिंग-ख्वे पूर्वोत्तर-चीन के एक किसान परिवार में जन्मे थे।बचपन में स्कूल में पढने का मौका मिला तो था,लेकिन ज्यादा समय अपने पिता जी के साथ मछलियां पकड़ने बाहर जाते रहे। बड़े होने के बाद वह एक सैनिक बने।सेना से सेवानिवृत होने के पश्चात उन्होंने साग-सब्जियों की सौदागरी की। पूर्वोत्तर-चीन में जाड़े का मौसम लम्बा होने के कारण साल भर में केवल एक बार फसल काटी जाती है या कहें कि एक साल में अल्पसमय ही खेतीबारी के अनुकूल होता है औऱ अधिकांश समय अवकाश का रहता है।अवकाश का इतना ज्यादा समय कैसे बिताया जाए ? उस समय ग्रामीण-जीवन शहरी-जीवन जैसा विविध नहीं था और वहां मनोरंजन के साधन नहीं के बराबर थे। जीवन को सार्थक बनाने के लिए श्री ह छिंग-ख्वे ने कथा लिखने का अभ्यास शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें स्थानीय लोक अभियन कला "अररनच्वान "से लगाव हो गया।

"अररनच्वान "पूर्वोत्तर-चीन की एक विशेष अभिनय कला है,जो वास्तव में हान जातीय संस्कृति व मानचू जातीय संस्कृति का संगम है,जिस की स्थानीय विशेषता है और शैली परदेशी है। इस अभिनय-कला के तहत एक अभिनेता और एक अभिनेत्री नाचगान करते हुए संवादों के माध्यम से एक कहानी सुनाते हैं। हास्य-नाटक से मिलती-जुलती यह अभिनय-कला स्थानीय लोगों में काफी लोकप्रिय है। श्री ह छिंगख्वे ने सेना में काम करते हुए ,खेतीबारी करते हुए और साग-सब्जियों की सौदागरी करने के दौरान भी इस कला को सीखने की कोशिशें कीं। 1970 में उन्होंने इस कला में माहिर कुछ कलाकारों के साथ अभिनय शुरू किया। इस तरह अभिनय करते-करते 5 साल बीत गए। इस दौरान वे लगातार अनुभव अर्जित कर इस कला के एक विशेषज्ञ बन गए।

पूर्वोत्तर-चीन की स्थानीय संस्कृति के प्रति श्री ह छिंग-ख्वे की गहरी भावना रही है। उन का मानना है कि यह संस्कृति दुर्लभ रुप से मिलती है,जो हान,मानचू और मंगोल आदि बहुल जातियों की संस्कृति का संगम है। "अररनच्वान " ही इस का एकमात्र प्रतिनिधि है। पिछली सदी के 80 वाले दशक में सुप्रसिद्ध चीनी फिल्म निदेशक चांग ई-मो द्वारा बनाई गई फिल्मों से चीन की उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र की संस्कृति के प्रति लोगों की दिलचस्पी जगी। इस से प्रेरित होकर ह छिंग-ख्वे ने सोचा कि पूर्वोत्तर-चीन की स्थानीय संस्कृति की भी चूंकि अपनी विशेषताएं हैं,उस में निहित जंगली-सा अद्बुत सौंदर्य है,जिसे पूरे देश के दर्शकों तक पहुंचाया जाना चाहिए। अपने इस विचार को हकीकत में उतारने के लिए उन्होंने पूर्वोत्तर- चीन की स्थानीय संस्कृति को महत्व देने वाली बहुत सी कृतियां रची हैं।