पाओ-जंग चीन के इतिहास में एक सुप्रसिद्ध ईमानदार पदाधिकारी के रुप में जाने जाते हैं।वे जिन्दगी भर साफ-सफाई,ईमानदारी,कर्तव्यपरायणता के कार्य सिद्धांतों के अनुसार कामकाज निबटाते थे।भ्रष्टाचार जैसे अपराधों के खिलाफ संघर्ष करने के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों और धनी लोगों के दबाव के बावजूद उन्होंने संबंधित मामलों की निष्पक्ष जांचकर उन का सही निबटारा किया।उन के हाथों से निबटाए गए सभी मामलों में जो लोग दोषी पाए गए,उन सब को कानून के अनुसार सज़ा दी गई और जो लोग निराधार आरोप या लांछन के शिकार पाए गए,उन सब के साथ इंसाफ किया गया। इसलिए जन-समुदाय ने उन्हें अपने ऊपर उजले आकाश की तरह माना।पिछले एक हजार साल से अधिक समय से चीनी लोग उन का बड़ा समादर करते रहे हैं और सांस्कृतिक कृतियों व लोककथाओं के जरिए उन की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं।
पाओ-जंग ईस्वी सन् 999 के सुंग राजवंश काल में जन्मे थे।बचपन से ही उन्होंने अपने अभिभावकों का सम्मान करना सीख लिया था।चीन के प्राचीन काल में अभिभावकों का सम्मान करना और उन के प्रति कर्तव्यनिष्ठा रखना अत्यंत महत्वपूर्ण नैतिक मर्यादा माना जाता था।पाओ-जंग की प्रसिद्धि इसी क्षेत्र में शुरू हुई।28 साल की आयु में वे दरबारी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए ।इस का मतलब था राजधानी में दरबारी अफसर बनने का मौका मिलना। मां-बाप के बुजुर्ग और कमजोर होने के कारण उन्होंने अपना भविष्य तय करने वाले इस सुनहरे मौके को त्याग दिया।कई वर्षो के बाद जब उन के मां-बाप इस दुनिया में नहीं रहे तब से उन के रिश्तेदारों ने उन्हें फिर से दरबारी परीक्षा में भाग लेने के लिए समझाना-बुझाना शुरू किया।उन के ज्यादा जोर देने पर पाओ-जंग ने उन की बात मान ली और अंतत: परीक्षा में पास होकर एक दरबारी अफसर बने।
आधुनिक इतिहासकारों की नजर में पाओ-जंग चीनी इतिहास में दूरदृष्टि औऱ महत्वाकांक्षा रखने वाले एक राजनीतिक,सुधारक और कानून-विशेषज्ञ थे।लेकिन जन-समुदाय में वे मुख्यत: एक साफ व ईमानदार अफसर के रूप में याद किए जाते रहे हैं। ऐसा क्यों ?
पाओ-जंग के जीवन काल में किसानों पर काफी बोझ रहता था,जिस से विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय सैनिकों और किसानों के विद्रोह होते रहते थे। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए पाओ-जंग ने राजनीतिक स्तर पर सुधार के ये विचार प्रस्तुत किये: अफसरों की पदोन्नति में प्रतिभा,सुयोग्यता और ईमानदारी पर जोर दिया जाए और दुराचारी अफसरों से किनारा किया जाए।आर्थिक क्षेत्र में सरकार के व्यय में कटौती की जाए और आम लोगों के शोषण को मिटाया जाए।सैन्य और कूटनीतिक क्षेत्र में सीमा-रक्षा के कार्य को सुधारा जाए।अफसोस की बात है कि तत्कालीन शासक के अक्षम होने के कारण पाओ-जंग के इन प्रगतिशील विचारों को अमल में नहीं लाया गया। इसलिए आम लोग केवल कुछ ठोस मामलों के निबटारे में ही उन की प्रतिभा,सुयोग्यता,हिम्मत और न्यायपूर्ण रूख को देख सकते थे।
चीनियों में पाओ-जंग का नाम लेना कानून के सख्त पालन और निस्वार्थता की याद दिलाता है। कानून का सख्त पालन करना और निस्वार्थता से मामलों से निबटना पाओ-जंग का कार्यउसूल था और उन्होंने इस क्षेत्र में आदर्श की भूमिका निभाई।दरबारी अफसर बनने के शुरू के दिनों में उन के एक संबंधी ने कोई अपराध किया।किसी जानकार व्यक्ति ने उसे अदालत के कटघरे में ला कर खड़ा कर दिया।पाओ-जंग को इस मामले के निबटारे का कार्य सौंपा गया।बारीकी से जांच-पड़ताल करने के बाद उन्होंने अपनी संबंधी को अपराधी करार देकर कानून के अनुसार सख्त सज़ा दी। इस मामले के बाद पाओ-जंग के अन्य रिश्तेदारों को उन की आड़ में कोई भी दुष्कर्म करने का विचार पालने की कभी हिम्मत नहीं हुई ।
एक बार पाओ-जंग को दक्षिण चीन के क्वांगतुंग प्रांत में कार्य संभालने के लिए भेजा गया।वहां का ज़ाओ-छिंग नगर चीन में 4 प्रमुख स्याही-प्रस्तर उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। वहां के अफसर सम्राट को उपहार देने के बहाने बड़ी मात्रा में स्थानीय मूल्यवान स्याही-प्रस्तर अपनी झोलियों में डाल लेते थे ,जबकि सम्राट को मिलने वाली इन वस्तुओं की मात्रा बहुत कम रहती थी।पाओ-जंग ने वहां जाने के बाद सम्राट को पूर्वनिश्चित मात्रा में ही स्याही-प्रस्तर देना शुरू किया और इस तरह की एक भी चीज़ को अपने पास कभी नहीं रखा।