दोस्तो,चीन की मुख्यभूमि के शनशी प्रांत और थाइवान के बीच प्रांतीय स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ रहा है।हाल ही में शनशी प्रांत के दो विशेष परंपरागत गीतनृत्य-नाटकों का थाइवान में मंचन किया गया।`जीवन-शक्ति से भरपूर पीली नदी `और `एक मुश्त खट्टे बेर `नामक इन दो गीतनृत्य नाटकों ने वहां धूम मचाई और जहां-जहां भी कलाकार गए,वहां-वहां उन का खूब स्वागत किया गया।
गत जून के अंत में शनशी प्रांत का नाट्य प्रतिष्ठान और ह्वाचिन गीतनृत्य मंडली अपनी नवरचित कृति `जीवन-शक्ति से भरपूर पीली नदी `और `एक मुश्त खट्टे बेर`को लेकर थाइवान गए।वहां कोई आधे महीने तक रहने के दौरान उन्हों ने थाइपई और युनलिन आदि 5 शहरों में 14 शो किए और कोई 30 हजार दर्शकों ने उन की प्रस्तुति देखी।ऐसी स्थिति भी दिखाई दी कि दर्शकों को टिकटों के लिए दिन-रात लाइनों में खड़े होना पड़ा।स्थानीय तुंगसेन और चुंगशी जैसे प्रसिद्ध टी.वी स्टेशनों व मुख्य समाचार-पत्रों, एजेंसी फ़्रास प्रेस जैसी विदेशी न्यूज एजेंसियों ने भी इस के बारे में ढेर सारी रिपार्टें दीं।थाइवान के मुखपत्र `ल्यानह` ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि चीन की मुख्यभूमि के इन दो गीतनृत्य नाटकों ने यहां ऐसी धूम मचाई कि कोई 30 हजार थाइवानी टिकट के लिए रात भर कतार में खड़े रहे और हर बार थिएटर हाउसफुल गया।इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से थाइवानियों को चीनी संस्कृति के उद्गम स्थान—पीली नदी के किनारे स्थित शनशी प्रांत की परंपरा और रीति-रिवाजों को जानने का ,महसूस करने का मौका मिला है। हर बार कार्यक्रम की समाप्ति पर हॉल में बैठे दर्शकों ने सीटों से खड़े होकर प्रशंसा में देर तक तालियां बजाईं ।
शनशी गीतनृत्य मंडली की नेता सुश्री वांग छैन-ह्वा ने कहाः "हर बार हमारे कार्यक्रमों के प्रदर्शन के बाद जो दृश्य सामने आता था,उस से हम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।हमारे तीन बार धन्यवाद कहने पर भी दर्शकों ने तालियां बजाना बंद नहीं किया ।जब थिएटर में लाईटस ऑन हो गईं,तो दर्शकों ने मंच पर आकर हमारी तारीफ की।हर बार जब हम मेक-अप साफ करने के बाद मंच के पीछे बाहर जाते थे,तो बहुत से दर्शकों को हस्ताक्षर के लिए हमारी प्रतीक्षा करते देखते थे।"
शनशी प्रांत के संस्कृति मंत्रालय की उपप्रभारी सुश्री तो मिंग-शंग ने कहा कि शनशी के परंपरागत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने थाइवानी दर्शकों को बहुत प्रभावित किया है।यह भी कहा जा सकता है कि थाइवानियों ने चीनी राष्ट्र की परंपरा और संस्कृति पर अपनेपन की मोहर लगा कर स्वीकृति दी है। सुश्री तो ने कहाः
"थाइवानी दर्शकों के लिए सब से बड़ा आकर्षण है सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिव्यक्त चीन की मुख्यभूमि की प्रगाढ स्थानीयता,अथार्त शनशी प्रांत की विशेष संस्कृति।इन कार्यक्रमों से उन्हें बडा आध्यात्मिक आनन्द मिला है। "
शनशी प्रांत उत्तरी चीन के पीली मिट्टी वाले पठार पर बहने वाली पीली नदी के किनारे स्थित है,जो चीनी राष्ट्र की सभ्यता का एक अहम उद्गम-स्थान माना गया है।आज से कोई 2000 साल पहले के चो राजवंश काल में यहां चिन राज्य बसा था।इसलिए आज इस प्रांत को संक्षेप में चिन कहकर पुकारा जाता है।
शनशी प्रांत में सांस्कृतिक अवशेषों की भरमार है।इस में 10वीं सदी और उस के बाद के सुरक्षित प्राचीन वास्तुओं की संख्या पूरे देश में इस तरह की संख्या का 70 प्रतिशत बनती है।इस प्रांत में लोककला भी समृद्ध है।यहां के लोकगीत,स्थानीय ऑपेरा,कागज-कटाई और कसीदाकारी विश्वप्रसिद्ध हैं।इस प्रांत की व्यापारिक संस्कृति भी उल्लेखनीय है।शनशी में व्यापार की अच्छी परंपरा रही है।17वीं सदी से 19वीं सदी तक वहां के व्यापारियों ने देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका अदा की है। परिवारों में ईमानदारी की शिक्षा औऱ व्यापार में न्यायोचित स्पर्द्धा पर जोर देने की उन की विशेषता चीन की स्थानीय संस्कृति का एक लक्षण है।इन व्यापारियों के सघन आबादी वाले प्राचीन नगर फिनयाओ को सन् 1997 में विश्व सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया है।
थाइवान में शनशी के नाट्य प्रतिष्ठान और ह्वा चिन गीतनृत्य मंडली द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत`जीवन-शक्ति से भरपूर पीली नदी `नामक गीतनृत्य नाटक शनशी की विशेष स्थानीय संस्कृति को पूरी तरह दिखाता है।इस के `पीली नदी`,`यांगको नृत्य`,`ढोल के ताल पर नाचो`
और `नगारी बजाने वाला`आदि भाग शनशीवासियों के असली जीवन से उठाए गए हैं।दूसरे गीतनृत्य नाटक `एक मुश्त खट्टे बेर` में 19वीं शताब्दी के अंत से 20वीं शताब्दी के शुरू तक के दौरान शनशी के व्यापारियों की प्रेम-कहानियां सुनाई गई हैं।
शनशी वासियों की सीधी-सादी जीवन-शैली,उत्तरी चीन के अन्य क्षेत्रों के रीति-रिवाज और चीनी राष्ट्र की मेहनती,कर्मपरायण और ईमादार होने की परंपरागत संस्कृति इन दो गीतनृत्य नाटकों में पूर्णतया अभि्व्यक्त होती हैं।शनशी के नाट्य प्रतिष्ठान की कलाकार सुश्री चांग हाई-फंग के अनुसार थाइवान जलडमरूमध्य के दोनों तटों पर बसे लोगों की एक ही पैतृक संस्कृति है और इस ने मंच पर अभिनय कर रहे कलाकारों को मंच के नीचे बैठे दर्शकों के साथ घनिष्ठ रूप से जोड़ दिया है।उन्हों ने कहाः
"थाइवान में हमारे कार्यक्रमों का जितना स्वागत किया गया,उतना हमें कहीं भी देखने को नहीं मिला था।हर बार हमारे कार्यक्रमों के पटाक्षेप के बाद भी बड़ी संख्या में दर्शक हम से बिदा होना नहीं चाहते थे। उन्हों ने जो बातें कहीं,वे सुनकर हमारी आंखें भर उठीं।जो स्नेह-भावना हम ने महसूस की,उसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।"
थाइवान के क्वोमिंगतांग पार्टी के उपाध्यक्ष श्री च्यांग पिन-खुन ने प्रदर्शन देखने के बाद कलाकारों से कहा कि इस से पहले मुझे शनशी के बारे में बहुत कम जानकारी थी।आप के कार्यक्रम देखने के बाद मैं जान गया हूं कि शनशी की भी अपनी विशेष संस्कृति है बल्कि यह संस्कृति बहुत प्रगाढ़ है।ज्यादा सकारात्मक और जीवन-शक्ति से ओत-प्रोत होने के कारण यह संस्कृति बहुत लोकप्रिय है।भविष्य में थाइवान और चीन की मुख्यभूमि के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और मजबूत किया जाना चाहिए,ताकि थाइवानियों और चीन की मुख्यभूमि पर बसे लोगों के बीच संबंध अधिक घनिष्ठ हो सके।
शनशी प्रांत के संस्कृति मंत्रालय की उपप्रभारी सुश्री तो मिंग-शंग ने जानकारी दी कि इधर के चंद वर्षों में शनशी प्रांत और थाइवान के बीच ज्यादा सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ है।गत साल इस प्रांत की एक गीतनृत्य मंडली ने थाइवान में `शरद` शीर्षक एक सांस्कृतिक शो प्रस्तुत कर धूम मचाई थी।शनशी के तालवाद्य बजाने वाले कुछ विशेषज्ञ थाइवान में कक्षाएं चलाया करते हैं और अक्सर अपने थाइवानी छात्रों के साथ रिहर्सल करते हैं और प्रदर्शन भी करते हैं।इस तरह थाइवान में शनशी की लोककला समेत विशेष संस्कृति का कुछ हद तक प्रचार-प्रसार हुआ है।सुश्री तो ने यह भी कहा कि थाइवानियों को शनशी की स्थानीय संस्कृति व लोककला पसन्द है और शनशी इस संस्कृति व लोककला से परिचित थाइवानी कलाकारों के प्रशिक्षण में मदद देने को तैयार है।