2007-12-26 10:06:23

सांस्कृतिक निर्माण से चीन के गांवों में किसानों को फायदा मिला

दोस्तो,इस शताब्दी के शुरू से अब तक चीन के बहुत से सरकारी विभागों ने संयुक्त रूप से दूरदराज गांवों तक पुस्तकें पहुनाने की गतिविधि चलाई है और बहुत से गैरसरकारी संगठनों ने भी शहरी और ग्रामीण बच्चों के बीच हाथों में हाथ मिलाओ नामक मैत्रीपूर्ण आयोजन किए हैं।

ग्रामीण बच्चों के स्वस्थ विकास और उन के सांस्कृतिक वातावरण में सुधार के लिए सन् 1995 मे चीनी सांस्कृतिक गरीब-सहायता समिति ने अन्य संस्थाओं के साथ संयुक्त रूप से ग्रीष्मकालीन किशोर शिविर का आयोजन शुरू किया।ग्रामीण बच्चे आमंत्रण पर शहर आकर शहरी बच्चों के साथ अवकाश बिताते हैं और शहरी बच्चों के घर जाकर खेलते हैं।इस गतिविधि का हाथों में हाथ मिलाओ जैसा नाम रखा गया है।इस गतिविधि से यह आशा बंधी है कि ग्रामीण बच्चे और शहरी बच्चे एक साथ स्वस्थ रूप से बढ़ेगें।

पूर्वी चीन के विकसित शहर ऊशी की यो युन नामक एक लड़की और पश्चिमी चीन के अविकसित शहर रुए चिंग के सुन यैन-फिंग नामक एक लड़के ने इस गतिविधित में भाग लिया।इस तरह वे अच्छे दोस्त बन गए हैं। उन्हों ने हमारे संवाददाता से बातचीत की।

"मेरा नाम यो युन है,मैं च्यांगसू प्रांत के ऊशी शहर से आई हूं। "

"क्या तुम दोनों पहले भी एक दूसरे से मिले थे?और कहां मिले थे? "

"आज से पहले हम दोनो एक दूसरे से दो बार मिले थे।एक बार पेइचिंग में और दूसरी बार ऊशी में।"

"क्या पहली बार मिलने में खुशी हुई थी? "

"जी हां, बहुत खुशी हुई थी।मिलने पर हम ने हाथ मिलाया। "

ग्रामीण बच्चों को इस गतिविधि से शहरी बच्चों का जीवन और बाहरी दुनिया देखने का मौका मिला है।और शहरी बच्चे इस गतिविधि से ग्रामीण बच्चों की स्थिति जान गए हैं।इस तरह उन में एक दूसरे से सीखने और एक दूसरे की मदद करने की भावना बढ गई हैं।अब तक पूरे देश में करीब 4 करोड़ बच्चे इस गतिविधि में शरीक हुए हैं।चीनी सांस्कृतिक गरीब-सहायता समिति ने शहरी बच्चों से ग्रामीण बच्चों के लिए पुस्तकें जुटाने और जेबखर्च अर्जित करने की अपील की है।

पिछले अनेक वर्षो में हाथों में हाथ मिलाओ गतिविधि ने शहरी व ग्रामीण बच्चों के बीच,

बहुसंख्यक हान जाति के बच्चों व अल्पसंख्यक जातियों के बच्चों के बीच तथा स्वस्थ बच्चों व विकलांग बच्चों के बीच समझ को बढ़ाया है।इधर के चंद वर्षों में शहरों के तेज विकास के चलते अधिकाधिक किसान नौकरियों के लिए घर छोड़ शहर आए हैं।उन मे से अधिकतर लोगों को असुविधा के कारण अपने बच्चों को गांवों में छोड़ना पड़ा है।इन बच्चों को घरो में छोड़े गये बच्चे कहकर पुकार जाता है।उन की शिक्षा और विकास की स्थिति पर समाज कड़ी नजर रखा हुआ है।इस वर्ष की हाथों में हाथ मिलाओ गतिविधि विशेष रूप से इन बच्चों के लिए आयोजित की गई है।

चीनी बाल-किशोर प्रकाशन-गृह की उप महासंपादक सुश्री लू छिंग चीन में बहुत मशहूर हैं।बाल-बच्चों के सवालों के निबटारे में उन की विशेषज्ञता है।उन के अनुसार इस साल की हाथों में हाथ मिलाओ गतिविधि ने घरों मे छोड़े गए बच्चों के मनोस्वास्थ्य पर खासा ध्यान दिया है।हमें आशा है कि इस गतिविधि से उन के लिए खुशी से बीतने का रास्ता निकाला जाएगा।श्री लु छिंग ने कहाः

"इस साल की हाथों में हाथ मिलाओ गतिविधि घरों में छोड़े गए ग्रामीण बच्चों पर केंद्रित रही।ये बच्चे गांवों में अपने दादा-दादियों के साथ रहते हैं,जबकि उन के दादा-दादियां अनपढ़ हैं,जिस से बच्चों का स्वस्थ विकास बाधित हो सकता है।आम राय है कि बच्चों की देखभाल मां-बापों को स्यंम करना चाहिए।यह बच्चों के मनोस्वास्थ्य की पूर्वशर्त है।मां-बाप से अलग रहने वाले बच्चों को ज्यादा अकेलापन से जूझना पड़ता है।ऐसे में दूसरे बच्चों की तुलना में उन के मन में ज्यादा दुख पैदा होता है। और इस तरह वे अपेक्षाकृत आसानी से मनोसमस्याओं से पीड़ित होते हैं।अकेलापन और दूख बच्चों के स्वस्थ विकास में बड़े रोड़े माने जाते हैं।इस लिए हम ने इस साल की हाथों में हाथ मिलाओ गतिविधि के मुख्य विषय को घरों में छोड़े गए ग्रामीण बच्चों पर केंद्रित रखा है।"

अभी समाप्त हुआ ग्रीष्मकालीन अवकाश घरों में छोड़े गए बड़ी संख्या में ग्रामीण बच्चों ने शहर आकर शहरी बच्चों के साथ खुशी-खुशी बिताया है और उन्हें एक साल के लिए मुफ्त रूप से `चीनी किशोर अखबार` पढ़ने की सुविधा भी मिली है।यह अखबार चीन में बाल-बच्चों के लिए एकमात्र राष्ट्रीय समाचार-पत्र है,जिस में देश के विभिन्न क्षेत्रों के बाल-बच्चों की स्थिति और उन से संबंधित आयोजनों की ढेर-सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं।

कुछ साल पहले चीन सरकार ने नए समाजवादी गांवों के निर्माण संबंधी विचार प्रस्तुत किया,जिस का केंद्र गांवों में सांस्कृतिक निर्माण है।चीन सरकार के सांस्कृतिक विकास कार्यक्रम के अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में चीन सरकार गांवों में सांस्कृतिक निर्माण के लिए बड़ा अनुदान करेगी,ताकि देश के तमाम किसान सांस्कृतिक उपलब्धियों का उपभोग कर सके।