2008-12-19 14:44:06

चीन के अनुभव को विश्व को देना:श्री लिन यी फ़ू

29 साल पहले उन्होंने थाईवान को छोड़कर चीनी मुख्यभूमि में सीखना शुरु किया।

21 साल पहले वे सुधार और खुलेपन के बाद अमेरिका से चीन में वापस लौटने वाले पहले अर्थतंत्र पी.एच.डी बन गए।

इधर दसियों सालों में वे चीन के नव ग्रामीण के निर्माण कार्य में शैक्षणिक समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस साल वे विश्व बैंक के इतिहास में चीन से आए पहले उप गवर्नर और विकासमान देशों से आए पहले विश्व बैंक के प्रथम अर्थशास्त्री हैं।

वे हैं चीनी विद्वान श्री लिन यी फ़ू।

वर्ष 1952, में श्री लिन यी फ़ू का चीन के थाईवान प्रांत की यी लान कांउटी में जन्म हुआ। वर्ष 1971 में वे थाईवान विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई छोड़कर सेना में शामिल हो गए। वर्ष 1978 में, श्री लिन यी फ़ू थाईवान राजनीति विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंधन संस्थान से स्नातक हुए और एम.पी.ए उपाधि प्राप्त की।

वर्ष 1979 में, 16 मई की रात को, श्री लिन यी फ़ू ने फिर एक चौंकाने वाली कार्यवाई की:उन्होंने तैरकर 2300 मीटर लम्बा थाईवान जलडमरुमध्य पार किया और अपने पैतृक घर—चीन के फ़ू च्यान प्रांत में वापस आए। उस समय श्री लिन यी फ़ू की पत्नी गर्भवती थी। पहली बार टी.वी.मीडिया को इन्टरव्यू देते समय श्री लिन यी फ़ू ने अपने निर्णय की व्याख्या की।

"चीन की पुनरेकीकरण की आशा चीनी मुख्यभूमि में पल रही है, इसलिए सिर्फ़ चीनी मुख्यभूमि में वापस लौटकर मैं चीन के विकास के लिए योगदान कर सकूंगा।"

अपने परिजनों को पत्र देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि चीनी राष्ट्र आशाजनक होगा, एक चीनी के रुप में मुझे गर्व महसूस होता है।

उन के उक्त आदर्श को लेकर पेइचिंग विश्वविद्यालय ने श्री लिन यी फ़ू को अर्थशास्त्र विभाग में अर्थशास्त्र सीखने अनुमति दी। श्री लिन यी फ़ू ने कहा कि अभी या बाद में थाईवान की वापसी साकार होगी, उस समय प्रथम कार्य है अर्थ का विकास करना जिस में ऐसे आदमी की जरूरत है जो चीनी मुख्यभूमि का अर्थ समझता हो और थाईवान का अर्थ भी समझता हो, वे ऐसे आदमी बन जाना चाहते हैं।

पेइचिंग विश्वविद्यालय में अर्थ सीखने के दौरान श्री लिन यी फ़ू ने बहुत प्रसिद्ध प्रोफ़ैसरों से पहचान की, उन के उपदेशों के तहत श्री लिन यी फ़ू को चीनी मुख्यभूमि की राजनीति व अर्थ की गहरी समझ मिली। इस प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में श्री लिन यी फ़ू के जीवन में दूसरा मोड़ आया।

वर्ष 1981 में,अमेरिकी शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ैसर, नोबेल अर्थतंत्र पुरस्कार के विजेता श्री सूल्ज़ ने पेइचिंग विश्वविद्यालय में एक भाषण दिया, श्री लिन यी फ़ू उन के अनुवादक थे। प्रोफ़ैसर सूल्ज़ ने श्री लिन यी फ़ू का शैक्षणिक व अंग्रेज़ी आधार सराहा और श्री लिन यी फ़ू के लिए एक पूरक छात्रवृत्ति का आवेदन दिया। अगले साल श्री लिन यी फ़ू शिकागो जाकर श्री सूल्ज़ के विद्यार्थी बन गए और पी-एच.डी की पढ़ाई शुरू की।

श्री लिन यी फ़ू ने इसे अपने जीवन में दूसरा विकल्प माना:

"अगर प्रोफ़ैसर ने मुझे निमंत्रण नहीं दिया होता तो मैं अध्ययन करने के लिए अमेरिका नहीं जाता और अर्थतंत्र मेरा व्यवसाय नहीं बनता।"

चार साल बाद श्री लिन यी फ़ू को पी-एच.डी की उपाधि मिली, इस के बाद उन्होंने येल विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टर का अध्ययन शुरु किया। उस समय कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों और विश्व बैंक ने उन्हें रोजगार के निमंत्रण पत्र दिए, लेकिन श्री लिन यी फ़ू ने चीन में वापस लौटने का निर्णय किया।

"मैं अमेरिका में शिक्षक बन सकता था या किसी वित्त संस्था में काम कर सकता था, लेकिन मेरा चीन में वापस लौटकर काम करने की बड़ी इच्छा थी। क्योंकि चीन का तेज़ विकास हो रहा है और चीन संक्रमण दौर में है, अगर मैं चीन के सुधार में भाग ले सकता हूं तो यह एक बहुत बड़ा अवसर है।"

वर्ष 1987 में, चीन में वापस लौटकर श्री लिन यी फ़ू चीनी राज्य परिषद के विकास अध्ययन केंद्र में काम करने लगे। वर्ष 1994 में, उन्होंने और दूसरे कई अर्थशास्त्रियों के साथ समान रुप से पेइचिंग विश्वविद्यालय के चीनी अर्थ अथ्ययन केंद्र की स्थापना की। उन का प्रमुख कार्य है चीनी केंद्रीय सरकार से अर्थ के विकास पर राजनीतिक सलाह देना और चीन के लिए प्रतिभाशाली व्यक्तियों को शिक्षित करना।

इधर कई सालों में श्री लिन यी फ़ू ने चीन के अर्थ के विकास में बहुत काम किया है और चीन के अर्थ के विकास को बढ़ाया है।

चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि के रुप में श्री लिन यी फ़ू ने देखा कि चीन के समाजवादी नव ग्रामीण के निर्माण में बड़ी उपलब्धि हुई है।

"किसान कई घटनाओं से बहुत खुश हुए हैं एक, कृषि कर को हटाया गया है। दो, अनिवार्य शिक्षा निशुल्क हो गई है। तीन, ग्रामीण में आधारिक संरचना में बहुत सुधार हुआ है। चार, सहकारी चिकित्सा का कार्यान्वयन किया जा रहा है। "

इस के अलावा, श्री लिन यी फ़ू चीन अर्थव्यवस्था के प्रगतिशील सुधार के पक्षधर हैं। पिछली शताब्दी के आठे वाले दशक में चीन के राष्ट्रीय अर्थ की कम प्रतिस्पर्द्धा शक्ति पर उन्होंने माना कि इस सवाल का समाधान करने की कुंजी है सरकार को तुलनात्मक लाभ का प्रयोग करके और एकीकरण उपाय अपना कर के अपनी ऊर्ज़ा का प्रयोग करना चाहिए, साथ न्यायसंगत प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति की स्थापना करनी चाहिए। उन की सलाह से चीन के अर्थ विकास को बड़ी सफलता मिली।

वर्ष 2008 में, विश्व बैंक के गर्वनर ने श्री लिन यी फ़ू को विश्व बैंक का वरिष्ठ उप गर्वनर एवं प्रथम अर्थशास्त्री नियुक्त किया।

श्री लिन यी फ़ू का मानना है कि यह पद मिलने का प्रमुख कारण है उन की विश्व में सब से बड़े देश—चीन से आए हुए व्यक्ति की हैसियत और विकास बढ़ाना,गरीबी खत्म करने के लक्ष्य की समझ होना:

" मेरा मानना है कि इधर के तीस सालों में चीन के विकास के अनुभव को विश्व द्वारा मान्यता दी गयी और चीन के अनुभव ने विश्व में बहुत से विद्वानों के विकास व संक्रमण के दृष्टिकोण बदले। अगर चीन द्वारा हासिल ये उपलब्धियां न होतीं तो मुझे यह अवसर नहीं मिलता।"

चीन के विकास का अनुभव लेकर श्री लिन यी फ़ू ने अपने विश्व बैंक का कार्य शुरु किया है। स्थानीय विकास की स्थिति समझने के पहले सप्ताह में वे अफ्रीका गए,उन्होंने कहा कि उन की आशा है कि वे चीन के अनुभव को दूसरी जगहों में ले जा सकेंगे।