राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। तो श्रोताओ, कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं "जन्नत" फिल्म के इस गीत से।
राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी आलम लिस्नर्स क्लब, गांव रामनगर, जिला दयोरिया यू. पी. से शाहनवाज आलम, माहताब आलम, मुमताज अहमद, मुस्ताक अहमद, मासूम अली, माहताब आलम, आयशा बानो, साजिदा बानो, आलिया नाज, शगुफ्ता नाज, निशा और शरीक। और राजा कौशर, सादिक रेडियो क्लब, अस्तुपुरा मऊनाथ भंजन से, मजहर अली अंसारी, रजिया बेगम अंसारी, अबुबकर अली अंसारी, सादिक, साजिद और सारिका।
ललिताः कार्यक्रम के बारे में हमें बहुत सी ई-मेल मिली हैं, जिन्हें भेजने वाले श्रोता हैं अतुल कुमार, अनिमेश अमृत, अभय कुमार, सुजाता कुमारी, आभा कुमारी, हर्ष शांडिल्य, मदन मिश्रा, किसलय कुमार, पंकज, सुमन कुमार, शंभु, रमेशंकर चौधरी, अनिल कुमार और मि शाकिर हुसैन। इन्हें आप की पसंद कार्यक्रम के सभी गीत बहुत अच्छे लगते हैं और ये चाहते हैं कि कार्यक्रम में हम इसी तरह नए पुराने गीतों को शामिल करते रहें। और राजबाग रेडियो श्रोता संघ, सीतामढ़ी बिहार, के सदस्यों की ई-मेल भी हमें मिली है। इन्हें भी आप की पसंद कार्यक्रम बहुत पसंद है। इन्होंने अपनी पसंद का गीत सुनने की फरमाइश भी की है।
राकेशः अतुल कुमार जी और आप के सभी साथी ई-मेल भेजने के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद। आएं, आप की पसंद का यह गीत सुनें। यह गीत है फिल्म "आप मुझे अच्छे लगने लगे"।
गीत के बोलः
हवाओं ने यह कहा
आई प्यार की यह रुत बड़ी तूफानी
तू डरना ना, ओ मेरी रानी
बदलेगा यह मौसम अरी दीवानी
हम लिखेंगे प्रेम कहानी
कभी आसान कभी मुश्किल, अजब है प्यार की राहें
गर्दिश में ही सही ये सितारे हम नशीं
ढूंढेगी कल हमें ये बहारें हम नशीं
इंतहा प्यार की रोज़ होती नहीं
प्यार वाले कभी सब्र खोते नहीं
मोहब्बत हो जाती है, मोहब्बत की जाती नहीं
यह ऐसी चीज़ है जो सब के हिस्से में नहीं आती
हवाओं ने यह कहा फिज़ाओं ने यह कहा
वो मोहब्बत ही नहीं जिस में दिल टूट जाए
दे के कुर्बानियां प्रेमी खुद मिट जाए
सोच ले जानेमन हम को मिलना है अब
आगे-पीछे नहीं, साथ चलना है अब
मोहब्बत राज है ऐसा, जो समझाया नहीं जाता
यह ऐसा गीत है जो हर साज पे गाया नहीं जाता
हवाओं ने यह कहा, फिजाओं ने यह कहा
राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश हमारे इन श्रोताओं ने भी की थी गढ़नौलखा लालगंज बिहार से राज किशोर चौहान, धीरज कुमार चौहान, पूनम कुमारी चौहान और बड़क चौहान।
ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से या हमारी वेइबसाइट के जरिए अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।
राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग चाइना रेडियो इंटरनेशनस, पहली मंजिस, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।
ललिताः और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनस, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021। यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।
राकेशः इलाहाबाद के हमारे श्रोता रवि श्रीवास्तव जी ने भी एक ई-मेल भेजी है। इन की शिकायत है कि हमने उन का पत्र कार्यक्रम में शामिल नहीं किया। रवि श्रवास्तव जी, हमने आप का पत्र कार्यक्रम में शामिल कर लिया है। लीजिए सुनिए "युवराज" फिल्म का यह गीत।
गीत के बोलः
हो हो हो, वु वु, हो हो हो हो, वोह वोह
आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आवाज़ का दरिया हूं
बहता हूं मैं नीली रातों में
मैं जागता रहता हूं
नींद भरी झील सी आंखों में
आवाज़ हूं मैं
आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
रात में चांदनी कभी
ऐसे गुनगुनाती है
सुन ज़रा लगता है तुम से
आवाज़ मिलाती है
मैं ख्यालों की महक हूं
गुनगुनाते साज पर
हो सके तो मिला ले
आवाज़ को ले साज पर
आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आवाज़ का दरिया हूं
बहता हूं मैं नीली रातों में
मैं जागता रहता हूं,
नींद भरी झील सी आंखों में
आवाज़ हूं मैं
होहो
कभी देखा है साहिल
जहां शाम उतरती है
कहते हैं समुंद्र से
इक परी गुज़रती है
वो रात की रानी है
सरगम पर चलती है
रे रे सा, रे सा, रे सा, रे
आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं
तू ही तो मेरी दोस्त है
आवाज़ का दरिया हूं
बहता हूं मैं नीली रातों में
मैं जागता रहता हूं,
नींद भरी झील सी आंखों में
आवाज़ हूं मैं
राकेशः इस गीत को इन श्रोताओं ने भी पसंद किया था नागदा जेक्शन, जिल्ला उज्जैन, मध्य प्रदेश के कुमारी राधा रानी खण्डेलवाल, बनारसी दास खण्डेलवाल, दिनेश खण्डेलवाल व जगदीश खण्डेलवाल। अस्तु पुरा, मऊ नाथ भंजन, उत्तर प्रदेश के उस्मान अली अंसारी, अमीना अंसारी और उस्मान रेडियो लिस्नर्स कल्ब के सभी सदस्य।