2009-03-25 18:58:59

आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं

ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से या हमारी वेइबसाइट के जरिए अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।

राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग चाइना रेडियो इंटरनेशनस, पहली मंजिस, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।

ललिताः और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनस, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021। यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।

राकेशः इलाहाबाद के हमारे श्रोता रवि श्रीवास्तव जी ने भी एक ई-मेल भेजी है। इन की शिकायत है कि हमने उन का पत्र कार्यक्रम में शामिल नहीं किया। रवि श्रवास्तव जी, हमने आप का पत्र कार्यक्रम में शामिल कर लिया है। लीजिए सुनिए "युवराज" फिल्म का यह गीत।

गीत के बोलः

हो हो हो, वु वु, हो हो हो हो, वोह वोह

आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आवाज़ का दरिया हूं

बहता हूं मैं नीली रातों में

मैं जागता रहता हूं

नींद भरी झील सी आंखों में

आवाज़ हूं मैं

आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

रात में चांदनी कभी

ऐसे गुनगुनाती है

सुन ज़रा लगता है तुम से

आवाज़ मिलाती है

मैं ख्यालों की महक हूं

गुनगुनाते साज पर

हो सके तो मिला ले

आवाज़ को ले साज पर

आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आवाज़ का दरिया हूं

बहता हूं मैं नीली रातों में

मैं जागता रहता हूं,

नींद भरी झील सी आंखों में

आवाज़ हूं मैं

होहो

कभी देखा है साहिल

जहां शाम उतरती है

कहते हैं समुंद्र से

इक परी गुज़रती है

वो रात की रानी है

सरगम पर चलती है

रे रे सा, रे सा, रे सा, रे

आजा मैं हवाओं पे बिठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आजा मैं ख्यालों में उठा के ले चलूं

तू ही तो मेरी दोस्त है

आवाज़ का दरिया हूं

बहता हूं मैं नीली रातों में

मैं जागता रहता हूं,

नींद भरी झील सी आंखों में

आवाज़ हूं मैं

राकेशः इन श्रोताओं ने भी इस गीत को पसंद किया था नागदा जेक्शन, जिल्ला उज्जैन, मध्य प्रदेश के कुमारी राधा रानी खण्डेलवाल, बनारसी दास खण्डेलवाल, दिनेश खण्डेलवाल व जगदीश खण्डेलवाल। अस्तु पुरा, मऊ नाथ भंजन, उत्तर प्रदेश के उस्मान अली अंसारी, अमीना अंसारी और उस्मान रेडियो लिस्नर्स कल्ब के सभी सदस्य।

ललिताः कार्यक्रम के अंत में सुनिए रफी और लता की आवाज में यह गीत।

गीत के बोलः

दिन सारा गुज़ारा तोरे अँगना

अब जाने दे मुझे मोरे सजना

मेरे यार शब-ब-ख़ैर

ओ मेरे यार शब-ब-ख़ैर

आसान है जाना महफ़िल से

ओ कैसे जाओगे निकल कर दिल से

मेरे यार शब-ब-ख़ैर

ओ दिलबर दिल तो कहे तेरी राहों को रोक लूँ मैं

आई बिरहा की रात अब बतला दे क्या करूँ मैं

याद आएँगी ये बातें तुम्हारी

तड़पेगी मोहब्बत हमारी

मेरे यार शब-ब-ख़ैर

मैं धरती तू आसमाँ मेरी हस्ती पे छा गया तू

सीने के सुर्ख़ बाग़ में दिल बनके आ गया तू

अब रहने दे निगाहों में मस्ती

ओ बसा ली मैने ख़्वाबों की बस्ती

मेरे यार शब-ब-ख़ैर

ये चंचल ये हसीन रात हाय काश आज ना जाती

हर दिन के बाद रात है इक दिन तो ठहर जाती

कोईइ हमसे बिछड़ के न जाता

जीते का मज़ा आ जाता

मेरे यार शब-ब-ख़ैर

राकेशः इस गीत को पसंद किया था आप सब ने नारनौल, हरियाणा से स्टार लिस्नर्स क्लब के उमेश, राजेश, विजय, शैलेश, सरजीत, हुकुम, बंटी, बिट्टू, रमेश और कृष्ण।

ललिताः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। अगले कार्यक्रम तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

राकेशः नमस्कार।