2009-03-18 17:29:41

जो ख्वाबों ख्यालों में सोचा नहीं था

ललिताः यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। तो श्रोताओ, कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं "जन्नत" फिल्म के इस गीत से।

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी आप सब ने आलम लिस्नर्स क्लब, गांव रामनगर, जिला दयोरिया यू. पी. से शाहनवाज आलम, माहताब आलम, मुमताज अहमद, मुस्ताक अहमद, मासूम अली, माहताब आलम, आयशा बानो, साजिदा बानो, आलिया नाज, शगुफ्ता नाज, निशा, शरीक। और राजा कौशर, सादिक रेडियो क्लब, अस्तुपुरा मऊनाथ भंजन से, मजहर अली अंसारी, रजिया बेगम अंसारी, अबुबकर अली अंसारी, सादिक, साजिद और सारिका।

ललिताः कार्यक्रम के बारे में हमें बहुत सी ई-मेल मिली हैं, जिन्हें भेजने वाले श्रोता हैं अतुल कुमार, अनिमेश अमृत, अभय कुमार, सुजाता कुमारी, आभा कुमारी, हर्ष शांडिल्य, मदन मिश्रा, किसलय कुमार, पंकज, सुमन कुमार, शंभु, रमेशंकर चौधरी, अनिल कुमार, अनिल कुमार मेहता और मि शाकिर हुसैन। इन्हें आप की पसंद कार्यक्रम के सभी गीत बहुत अच्छे लगते हैं और ये चाहते हैं कि कार्यक्रम में हम इसी तरह नए पुराने गीतों को शामिल करते रहें। और राजबाग रेडियो श्रोता संघ, सीतामढ़ी बिहार, के सदस्यों की ई-मेल भी हमें मिली है। इन्हें भी आप की पसंद कार्यक्रम बहुत पसंद है। इन्होंने अपनी पसंद का गीत सुनने की फरमाइश भी की है।

राकेशः अतुल कुमार जी और आप के सभी साथी ई-मेल भेजने के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद। आप की पसंद का यह गीत सुनें। यह गीत है फिल्म "आप मुझे अच्छे लगने लगे"।

गीत के बोलः

हवाओं ने यह कहा

आई प्यार की यह रुत बड़ी तूफानी

तू डरना ना, ओ मेरी रानी

बदलेगा यह मौसम अरी दीवानी

हम लिखेंगे प्रेम कहानी

कभी आसान कभी मुश्किल, अजब है प्यार की राहें

गर्दिश में ही सही ये सितारे हम नशीं

ढूंढेगी कल हमें ये बहारें हम नशीं

इंतहा प्यार की रोज़ होती नहीं

प्यार वाले कभी सब्र खोते नहीं

मोहब्बत हो जाती है, मोहब्बत की जाती नहीं

यह ऐसी चीज़ है जो सब के हिस्से में नहीं आती

हवाओं ने यह कहा फिज़ाओं ने यह कहा

वो मोहब्बत ही नहीं जिस में दिल टूट जाए

दे के कुर्बानियां प्रेमी खुद मिट जाए

सोच ले जानेमन हम को मिलना है अब

आगे-पीछे नहीं, साथ चलना है अब

मोहब्बत राज है ऐसा, जो समझाया नहीं जाता

यह ऐसा गीत है जो हर साज पे गाया नहीं जाता

हवाओं ने यह कहा, फिजाओं ने यह कहा

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश हमारे इन श्रोताओं ने भी की थी गढ़नौलखा लालगंज बिहार से राज किशोर चौहान, धीरज कुमार चौहान, पूनम कुमारी चौहान और बड़क चौहान।

ललिताः राकेश जी, आप को मालूम ही होगा कि फिल्म "स्लमडोग मिलिनीयर" को ऑस्कर के सर्व श्रेष्ठ फिल्म आदि के आठ पुरस्कार मिले हैं। लेकिन मैंने सुना है कि भारत में इस फिल्म पर अलग-अलग प्रतिक्रिया हुई है।

राकेशः ब्रिटेन के निर्देशक द्वारा भारत में बनाई गई इस फिल्म द्वारा ऑस्कर स्वर्ण पुरस्कार पाने पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हुई हैं। कुछ लोगों के विचार में यह फिल्म भारतीय फिल्म के इतिहास में एक मील का पत्थर है और भारत के लिए इस ने फिल्म का सब से बड़ा पुरस्कार हासिल किया है। जिन लोगों को इस फिल्म पर एतराज है, उन का कहना है कि इस में भारतीय गरीबी को दुनिया के सामने उछाल कर बेइज्जत किया गया है। और उन के विचार में यह फिल्म पश्चिमी संसार की अपेक्षाओं के अनुसार बनाई गई है। लेकिन मुझे लगता है कि ऐसी बहुत सी फिल्में पहले भी बन चुकी हैं, जिन में भारत की गरीबी दिखाई पड़ती है। इसलिए उन का एतराज कोई खास माइने नहीं रखता, जबकि भारत में सब जगह लोग इस फिल्म की सफलता पर खुश हैं। इस फिल्म की कहानी एक भारतीय ने लिखी है। इस में काम करने वाले लगभर सभी अदाकार भारतीय हैं या भारतीय मू ल के हैं, सिवाए निदेशक और कुछ अन्य लोगों के। और जिन लोगों को इस फिल्म से ऐसी कोई शिकायत नहीं है उन की आशा है कि इस फिल्म के जरिए दुनिया गरीब लोगों पर और ध्यान दे सकेगी।

ललिताः मैंने भी ऐसी प्रतिक्रिया सुनी और पढ़ी है। लेकिन खुशी की बात है कि भारत के मशहूर संगीतकार ए. आर. रहमान को ऑस्कर के दो पुरस्कार मिले, एक फिल्म के संगीत के लिए और दूसरा एक गीत के लिए।

राकेशः तो क्यों न इस बार हम अपने श्रोताओं को इस फिल्म का वह गीत एक बार फिर सुनाएं?

गीत के बोलः

जय हो

आजा आजा जिंद शामियाने के तले

आजा ज़री वाले नील आसमाने के तले

जय हो

राति-राति सच्ची मैंने जान गवाईं है

नच नच कोयलों पे रात बिताई है

अंखियों की नींद मैं फूंकों से उड़ा दूं

गिन-गिन तारे मैंने उंगलियां जलाई हैं

एह आजा आजा जिंद शामियाने के तले

आजा ज़री वाले नील आसमाने के तले

जय हो

चख ले, हां चख ले, यह रात शहद है

चखले, हां चख ले

दिल है, दिल आखिरी हद है

काला-काला काजल तेरा

कोई काला जादब है ना

आजा आजा जिंद शामियाने के तले

आजा ज़री वाले नील आसमाने के तले

जय हो

कब से हां कब से जो लब पे रुकी है

कह दे, कह दे, हां कह दे

अब आंख झकी है

ऐसी-ऐसी रोशन आंखे

रोशन दोनों हीरे हैं क्या

आजा आजा जिंद शामियाने के तले

आजा ज़री वाले नील आसमाने के तले

जय हो

राकेशः इस गीत को सुनने के लिए हमें लिखा है मऊनाथ यू. पी. से मंजर कमाल, मुन्ना अंसारी, शाहिद कलीम, मनसुर अहमद, अजमल अंसारी। और कोआथ बिहार से हाशिम आजाद, खैरुन निसा, रज़िया खातून, खाकसार अहमद और बाबू अकरम।

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