2009-02-10 12:48:21

चीन की परिवार नियोजन नीति

फारबिसगंज बिहार के कृष्ण मोहन यादव और उन के साथी पूछते हैं कि चीन में परिवार नियोजन का काम कैसे चल रहा है? खारियार रोड उड़िसा के हेमसागर नाईक ने भी इस से मिलता-जुलता सवाल पूछा है।

1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद के बाद के 20 सालों से भी कम समय में चीन की जनसंख्या में अप्रत्याशित तेजी से इजाफ़ा हुआ,जो राष्ट्रीय अर्थतंत्र पर एक भारी बोझ सा बन गया।इस स्थिति के देखते हुए चीन सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू करने का फैसला किया.आठ वाले दशक में चीन सरकार न विशेष तौरर पर जनसंख्या पर नियंत्रण रखने तथा जनसंख्या की गुणवत्ता उन्नत करने की नीति तैयार की और परिवार नियोजन कार्यक्रम को विस्तृत रूप से दिया.तथ्यों ने साबित किया कि चीन सरकार का यह विकल्प सही था.

इस नीति के तहत चीन ने जनसंख्या वृद्धि को आर्थिक व सामाजिक विसाक की समग्र योजना में शामिल कर जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न भिन्न लक्ष्य रखे गए और शहरों में एक दंपति एक बच्चा का नारा दिया गया.लेकिन पहले बच्चे के विकलांग होने या तलाकशुदा मर्द या महिला के पुनर्विवाह करने पर दूसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति भी है.ग्रामीण क्षेत्रो में पहले बच्चे के लड़की होने पर दूसरे बच्चे को जन्म देने की इज़ाज़त अब भी बरकरार है और अल्पसंख्यक जातियों की कम जनसंख्या को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया कि अल्पसंख्यक जातियों के दंपति दो से तीन तक बच्चे पैदा कर सकते हैं।

चीन में परिवार नियोजन लागू करने के क्रम में उस के महत्व व आवश्यकता को विज्ञापित करने के काम पर भी जोर दिया जा रहा है और परिवार नियोजन के संदर्भ में ज्ञान भी सुलभ।करीब 30 साल के अनवरत प्रयासों के फलस्वरूप अब कहा जा सकता है कि कि चीन का हर परिवार परिवार नियोजन के महत्व से वाकिफ हो गया है और सचेत रूप से स्वेच्छापूर्वक परिवार नियोजन में लगा हुआ है।इस कार्यक्रम के तहत गर्भ निरोधक दवाएं और कंडोम आदि नि:शुल्क वितरित किए जाते हैं तथा नसबन्दी की तकनीकें भी काफी प्रचलित हैं।

फिर चीन जल्दी शादी जल्दी बच्चे,अधिक पुत्र अधिक पुत्र,लड़की पर लड़के को वरीयता की पुरानी अवधारणाएं त्यागी जा रही हैं,जिन की जगह देर से शादी देर से बच्चा,कम पर स्वस्थ बच्चे तथा लड़के औऱ लड़की की बराबरी की नई अवधारणाएं प्रचिलत हो रही हैं।

गोरखपुर उत्तर प्रदेश के ब्रदी प्रसाद वर्मा पूछते हैं कि चीनी महिलाओ के त्यौहार का नाम क्या है और चीन में क्रिसमस कैसे मनाई जाती है?

चीनी महिलाओं के त्यौहार का नाम है आठ मार्च श्रमिक महिला दिवस।वास्तव में यह दिवस विश्व के सभी देशों की श्रमिक महिलाएं मनाती हैं।जी हां,अब आप समझ गए होंगे कि वह अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस है।यह दिवस विभिन्न देशों की महिलाओं को शांति,समानता और विकास की प्राप्ति के लिए प्ररेणा देने वाला दिवस है।पिछली एक शताब्दी से विश्व की व्यापक महिलाओं ने अपने अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए अथक कोशिशें की हैं।

8 मार्च 1909 को अमरीका के एलिनोस स्टेट के शिकागो शहर की महिला मजदूरों और राष्ट्रीय टेक्सटाइल व वस्त्र-उद्योग के मजदूरों ने वतन बढ़ाने,प्रतिदिन 8 घंटों की ड्यूटी करने का समय तय करने और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त करने के लिए आम हड़ताल की।

मानव के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब महिलाओं ने सांगठनिक जन संघर्ष में भाग लिया।इस संघर्ष से अमरीकी श्रमिक महिलाओं की बड़ी शक्ति जाहिर हुई।अमरीका के अन्य क्षेत्रों यहां तक कि दूसरे देशों की बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी इस संघर्ष का बड़ा साथ किया और अपने अपने क्षेत्रों व देशों में बड़े पैमाने पर तत्नुरूप प्रदर्शन किए।अंत में अमरीका में आम हड़ताल सफल रही।

अगस्त 1910 में डेमार्ग की राजधानी कोपेनहेगन में द्वितीय अंतर्राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस का आयोजन हुआ,जिस में सुप्रसिद्ध जर्मन समाजवादी क्रांतिकारी केलल.सेटकिंग के प्रस्ताव पर 8 मार्च को विश्व की सभी श्रमिक महिलाओ का दिवस निश्चित किया गया।अगले साल या 1911 की 8 मार्च को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस मनाया गया।

चीन ने 1922 में यह दिवस मनाना शुरू किया।दिसम्बर 1949 में चीनी जन सरकार ने औपचारित तौर पर प्रति वर्ष की 8 मार्च को चीनी महिला दिवस घोषित किया।

दोस्तो,जहां तक क्रिसमस का सवाल है,चीन में उसे बहुत कम ही लोग मनाते हैं।भारत की तरह चीन में भी वह राष्ट्रीय उत्सव नहीं है,सो इस अवसर पर सरकार की ओऱ से एक दिन की भी छुट्टी नहीं है।सभी संस्थाओं,स्कूलों और कारखानों में कामकाज आम दिनों की तरह चलता है।पूरे देश का माहौल आम दिनों जैसा लगता है।बेशक जो ईसाई धर्म मानते हैं,वे क्रिसमर्स मनाते हैं औऱ उन्हें सरकार की ओऱ से 3 दिनों की छुट्टी मिलती है।