सुधकर कुमार जी , हम नए श्रोता के रूप में आप का हार्दिक स्वागत करते हैं और आगे आप को आप के पते पर सी .आर .आई की सामग्री भेज देंगे । आप ने जो पासपोर्ट साइज की अपनी तस्वीर को श्रोता वाटिका में छपाने का अनुरोध किया है , लेकिन आप को मालूम हुआ होगा कि श्रोता वाटिका में जो श्रोताओं की तस्वीर छपती है , वह बहुधा श्रोता संघ या कुछ श्रोताओं की गतिविधियों पर खींची गई तस्वीरें हैं , जो देखने में आकर्षक होती है । आशा है कि श्रोता वाटिका में छपने के लिए आप भी वैसी तस्वीर भेजेंगे ।
औरेया उत्तर प्रदेश के भरत कुमार वर्मा ने अपने पत्र के साथ दो कविताएं भेजी हैं , उन में से एक यहां पढ़ कर श्रोताओं को सुनाना चाहती हूं । कविता का नाम दीप शिखाः
वह अंधेरे में जुगनू सी दहकती है
बादलों में बिजली सी चमकती है .
मैं जानता नहीं उसे
वह कौन है कहां हैं ।
लेकिन वह मेरी प्रेरणा है , जो कहीं दूर ,
छिपी हुई मुझे निहारती है ।
मैं मौन बैठा हुआ अनुभव करता हूं ,
कि एक दिन वो आयेगी ,
कि इंद्रधनुषी सपनों को लाएगी ।
उस के इंतजार में
निष्कंप दीप शिखा की तरह जलता हूं ,
इस जलन में भी शीलतता है ,
शांति है
समर्पण का भाव है ।
मुझे पता नहीं ,
मेरे इस समर्पण के भाव को
वह कैसे समझती है ,
और मेरी अन्तर चेतना में
वह कैसे रहती है ,
मन का भाव ही समर्पण है ।
उस का आना ही जीवन है ,
क्योंकि दूर कहीं से पुकारती है
अंधेरी राह में रोशनी दिखलाती है ।
तो बहनो और भाइयो , भरत कुमार वर्मा की यह कविता कैसी लगी , पसंद आयी होगी , हम आप लोगों की नई नई रचनाओं का इंतरजार करते हैं ।
अब सामने है मऊ उत्तर प्रदेश के आमिर कमाल का पत्र है । उन्हों ने पत्र में कहा कि मैं एक छात्र हूं , बचपन से ही रेडियो सुनता आया हूं तथा रेडियो चाइना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं । मैं नियमित रूप से चाइना रेडियो इंटरनेशनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों को सुनता रहता हूं ।
इस के अलावा मुझे भूगोल विषय में अधिक रूचि होने के कारण विश्व के सभी देशों के बारे में जानकारी जुटाना रहता हूं । खास कर मुझे चीन की सभ्यता एवं संस्कृति से बेहद लगाव है । क्योंकि चीन की सभ्यता बहुत पुरानी है और भारत की सभ्यता की तरह ही पुरानी है । आप से निवेदन है कि उदारता का परिचय देते हुए मुझे भी अपनी श्रोता वाटिका में शामिल होने का अवसर प्रदान करें ।
महिला---, बहनो और भाइयो , अब आप के सामने है , केसिंग उड़ीसा के सुरेश अग्रवाल का पत्र , वे सी .आर.आई के पुराने श्रोता हैं और समय समय पर पत्र लिखते हैं । इस बार उन्हों ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रातःकालीन सभा में सांस्कृतिक जीवन सुन कर भारत चीन तेजी से प्रगाढ़ होते संबंधों के बारे में जान कर मन प्रफुल्लित हो गया । चीन द्वारा वर्ष 2006 को चीन भारत मैत्री वर्ष के रूप में घोषित किया जाना इस बात का परिचायक है कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों की मजबूती को तिकनी तरजीह देता है ।
सी .आर .आई के प्रसारणों को सुनते हुए सहज ही यह आभास हो जाता है कि चीन भारत दोनों ही अतीत की कटुता को भुला नए सिरे से रचनात्मक संबंध विकसित करने में लगे हैं । हाल ही का तेल समझौता इस की एक मिसाल है । पश्चिमी विश्लेषक इस का चाहे जो अर्थ निकालें , यह समझौता विश्व स्पर्धा के दौर में परस्पर सहयोग का नया नमूना है , जो कि दोनों देशों के लिए समान रूप से लाभदायक होगा ।
भारत चीन के बीच सीमा विवाद का मसला एक बड़ी रूकावट है , परन्तु वर्तमान प्रगति की रफ्तार को देखते हुए नहीं लगता है कि इस पर सुलह कोई बड़ी समस्या होगी । मुझे आशा ही नहीं , पूर्ण विश्वास है कि भारत चीन दोनों ही अपने ईमानदार प्रयासों के जरिए शीघ्र ही सभी समस्याओं से पार पा लेंगे ।
चीन भारत मैत्री के बारे में श्री सुरेश अग्रवाल ने अच्छी चर्चा की है और यह विश्वास भी जताया है कि चीन भारत दोनों ही अपने ईमानदारी प्रयासों के जरिए सभी समस्याओं को हर कर आपसी मैत्री को और आगे ले जा सकेंगे । यही हमारा भी विश्वास है । दोस्तो , आइये , हम साथ मिल कर चीन भारत मैत्री के लिए प्रयास करें ।