2008-12-31 10:12:18

आँखों की गुस्ताखियां माफ़ हों

ललिताः आप सुन रहे हैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल का नियमित कार्यक्रम आप की पसंद।

राकेशः यदि आप अपनी पसंद का कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो पत्र लिख करके हमें सूचित कीजिए। हम आप की पसंद पूरी करने की पूरी कोशिश करेंगे। और अगर आप का कोई सुझाव है, तो वह भी हमें लिख करके भेजें। हमें आप के सुझाव का और पत्रों का यहां हमेशा इंतजार रहता है। आज के कार्यक्रम का अगला गीत है फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" से और इससे सुनने की फरमाइश की है हमारे इन श्रोताओं ने कहकशां रेडियो श्रोता संघ, मदरसा रोड कोआथ से हाशिम आजाद, खेरून निसा, रजिया खातून, खाकसार अहमद और बाबू अकरम। और ग्राम आशापुर, पोस्त दर्शन नगर फैजावार उतर प्रदेश से देश प्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब के राम कुमार रावत, अमित कुमार रावत, ललित कुमार रावत, दीपक कुमार रावत , मनीष कुमार रावत, रवि कुमार गौड़, गीता रावत, मुन्ना अमित रावत और राजेन्द्र यादव भारती।

गीत के बोलः

आँखों की गुस्ताखियां माफ़ हों

इक टुक तुम्हें देखती हैं

जो बात कहना चाहे ज़ुबां

तुमसे ये वो कहती हैं

आँखों की शर्म-ओ-हया माफ़ हों

उठी आँखें जो बात ना कह सकीं

झुकी आँखें वो कहती हैं

आँखों की गुस्ताखियां

काजल का इक तिल तुम्हारे लबों पे लगा लूं

हां चंदा और सूरज की नज़रों से तुमको बचा लूं

ओ पलकों की चिलमन में आओ मैं तुमको छुपा लूं

ख्यालों की ये शोखियां माफ़ हों

हरदम तुम्हें सोचती हैं

जब होश में होता है जहाँ

मदहोश ये करती हैं

आँखों की शर्म-ओ-हया

ये ज़िंदगी आपकी ही अमानत रहेगी ऐ हे

दिल में सदा आपकी ही मुहब्बत रहेगी ऐ हे

इन साँसों को आपकी ही ज़रूरत रहेगी

हां इस दिल की नादानियां माफ़ हों

ये मेरी कहां सुनती हैं

ये पल पल जो होती हैं बेकल सनम

तो सपने नए बुनती हैं

आँखों की गुस्ताखियां

ललिताः दोस्तो, कई नई फिल्मों के गीतों को सुनने के बाद अब हम एक पुराना गीत प्रस्तुत करेंगे। यह हमारे कार्यक्रम का अंतिम गीत भी है।

राकेशः क्योंकि हमारे बहुत सारे श्रोता पुरानी फिल्में और पुरानी फिल्मों के गीत पसंद करते हैं। यह गीत है किशोर कुमार की आवाज में है और इसे सुनने की फरमाइश हमारे इन श्रोताओं ने की है स्वागतम इन्टरनेशनल रेडियो लिस्नर्स क्लब, फुलिया चटकातला नदीया से धीरेन वसाक और अनिता वसाक। करण दूर, गंगानगर राजस्थान से बालकरण सिंह और ढ़ोली सकरा, बिहार से दीपक कुमार दास, उज्जवल दास, चदंन दास, मिताली दास और हेम चन्द्र गुरू।

राकेशः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आप का पत्रों का हमें इंतजार रहेगा। यह कार्यक्रम आप को कैसा लगा हमें जरूर बताएं। अगली बार तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

ललिताः नमस्कार।

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