2008-12-24 16:20:42

हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम

ललिताः यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी बहनों व भाइयों को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार।

ललिताः दोस्तो, इस माह क्रिसमस त्योहार है। मेरा ख्याल है आप लोग जरूर पूरी खुशी के साथ इस के स्वागत में व्यस्त होंगे। यहां मैं और राकेश जी पूरे सी. आर. आई. परिवार की ओर से आप सभी श्रोताओं को इस अवसर पर बधाई देना चाहते हैं मेरी क्रिसमस टू यू ऑल।

राकेशः तो आइए आज के कार्यक्रम की शुरुआत इस त्योहार को मनाने के लिए एक इसे गीत से करें।

गीत के बोलः

हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम

हम अनजान परदेसियों का सलाम

हवाओं पे लिख दो

शाख पर जब, धूप आई, हाथ छूने के लिये

छाँव छम से, नीचे कूदी, हँस के बोली आइये

ये भोले से चेहरे हैं मासूम नाम

हवाओं पे लिख दो

चुलबुला ये, पानी अपनी, राह बहना भूलकर

लेते लेते, आइना चमका रहा है फूल पर

यहाँ सुबह से खेला करती है शाम

हवाओं पे लिख दो

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की है ग्राम लुहारी, पोस्ट विचोली, जिला जालौन, यू. पी. से लल्लूराम कुशवाहा, सुखलाल, महेन्द्र, हरेन्द्र, आशीष, अवनीश, सुनीता, शांति, सन्दीप, अभिषेक एवं समस्त कुशवाहा परिवार।

राकेशः ललिता जी, क्या तुम्हें क्रिसमस त्योहार पंसद है? यह तो शायद तुम जानती ही होंगी कि क्रिसमस त्योहार इसाई धर्म का वैसे ही सबसे बड़ा त्योहार है जैसे चीन में वसंत का त्योहार और भारत में दीवाली का त्योहार।

ललिताः हालांकि मैं इसाई नहीं हूं, पर मैं भी क्रिसमस त्योहार को बहुत पसंद करती हूं। क्योंकि इस त्योहार के दौरान पेइचिंग का दृश्य बहुत सुन्दर होता है। हर जगह इस त्योहार को धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं। इस समय कई बड़ी दुकानों व होटलों के दरवाजों पर रंग-बिरंगे सजे हुए जगमगाते सुन्दर क्रिसमस के पेड़ खड़े दिखाई देने लगे हैं।

राकेशः जी हां। तुम्हरी बात बिलकुल ठीक है। मैं ने भी पेइचिंग में ऐसे कई दृश्य देखे हैं। सुपरमार्केट में आजकल क्रिसमस से जुड़ी शापिंग हो रही है।

ललिताः राकेश जी, इस बार आप क्रिसमस त्योहार कैसे मनाएंगे?

राकेशः मेरी कोई खास योजना नहीं है। लेकिन मुझे याद है कि हर एक साल पेइचिंग विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों व अध्यापकों के लिए एक बड़ा सा विशेष क्रिसमस कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में सभी लोगों को रात्रि भोज दिया जाता है। और इस त्योहार में कई सारे विदेशी छात्र गाते हैं, नाचते हैं। मैंने उस कार्यक्रम में कई बार भाग लिया है। इस बार भी यदि विश्वविद्यालय में ऐसा कार्यक्रम होगा, तो शायद मैं वहां जाऊं। और तुम?

ललिताः अभी तो कोई योजना नहीं है। शायद मैं अपने दोस्तों के साथ पार्क में जाकर क्रिसमस की खुशी मनाऊंगी। क्योंकि उस समय पार्क में जरूर विविध व रंग-बिरंगी गतिविधियां होंगी।

राकेशः अच्छा, आएं, अपने श्रोताओं के लिए एक और गीत पेश करें। यह गीत है फिल्म "मुझ से शादी करोगी" से और इसे सुनने की फरमाइश की है आप सब ने मुमताज मुहल्ला, नवगछिवा, बिहार से मु. जफर अन्सारी, मास्टर शौकत अन्सारी, भाई अजहर अन्सारी, मु. नूर अन्सारी और टीपू फरीश्ता। और आजाद रेडियो लिस्नर्स क्लब, भागलपुर, बिहार से इजराइल कस्तूरी, मिसाइल अंसारी, रंजीत कुमार, इसराइल अंसारी और इसमाइल अंसारी।

ललिताः मैं आप को सच बताऊं। मुझे क्रिसमस बहुत पसंद है। मेरे ख्याल से क्रिसमस एक बहुत मनोहर त्योहार है। जब कभी मैं क्रिसमस के बारे में सोचती हूं, तो मेरे दिमाग में यही चित्र उभरता है कि सजे संवरे एक कमरे में रंगबिरंगी चीजों से सजा एक बहुत सुन्दर क्रिसमस पेड़ खड़ा है, जिसके पास कई नन्हें-नन्हें बच्चे मुलायम गलीचे पर बैठे गाना गा रहे हैं और अपने अपने उपहार निहार रहे हैं। खिड़की के बाहर रुई के फायों की तरह बर्फ गिर रही है और आकाश से सैंटाक्लास अपने रथ पर दौड़ा चला आ रहा है।

राकेशः हां, सचमुच तुम बहुत कल्पनाशील हो। लेकिन यह बताओ क्या चीन में विदेशियों के अलावा चीनी लोग भी क्रिसमस मनाते हैं क्या?

ललिताः चीन में क्रिसमस इव या इस त्योहार की पूर्व संध्या पर बहुत से लोग, खास तौर पर चीनी युवा भी एक दूसरे को क्रिसमस कार्ड भेजने लगे हैं। हर जगह इस त्योहार को धूम धाम से मनाने का उन में शौक साफ दिखाई पड़ता है। रात होने पर ईसाई लोग चर्च से लौट कर अपने मित्रों के साथ पार्क में क्रिसमस की खुशी मनाते हैं।

राकेशः दरसअल युवाओं को तो खुशी मनाने का बहाना चाहिए।

ललिताः जी हां, यह बात तो है।

राकेशः पिछली बार कोआथ बिहार से हमारे श्रोता बेलाल बम्बईया, जीनत परवीन, सईद अली सयद, शबाना सयद, हेमाद खान और हेलाल खान ने "सूरज" फिल्म का गीत सुनने की फरमाइश की थी और हमने उन से वादा किया था कि इस कार्यक्रम में हम उन की पसंद का गीत सुनाएंगे। तो लीजिए सुनिए फिल्स "सूरज" का "बहारों फूल बरसाओ" यह गीत।

गीत के बोलः

बहारों फूल बरसाओ

मेरा महबूब आया है

हवाओं रागिनी गाओ

मेरा महबूब आया है

ओ लाली फूल की मेंहँदी लगा इन गोरे हाथों में

उतर आ ऐ घटा काजल, लगा इन प्यारी आँखों में

सितारों माँग भर जाओ

मेरा महबूब आया है

नज़ारों हर तरफ़ अब तान दो इक नूर की चादर

बडा शर्मीला दिलबर है, चला जाये न शरमा कर

ज़रा तुम दिल को बहलाओ

मेरा महबूब आया है

सजाई है जवाँ कलियों ने अब ये सेज उल्फ़त की

इन्हें मालूम था आएगी इक दिन ऋतु मुहब्बत की

फ़िज़ाओं रंग बिखराओ

मेरा महबूब आया है

बहारों