2008-12-17 15:29:44

मन रे तू काहे ना धीर धरे

ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है।

राकेशः जो भी गीत आप सुनना चाहते हैं या अपने दोस्त या किसी प्रिय को हमारे माध्यम से कोई संदेश देना चाहते हैं तो भी हमें जरूर पत्र लिखें। आप की पसंद कार्यक्रम में हम जरूर आप की इच्छा पूरी करने की कोशिश करेंगे। यदि आप पहली बार यह कार्यक्रम सुन रहे हो, तो हमारा पता नोट करे लें।

ललिताः प्रिय श्रोताओं, नोट कीजिए, हमारा पता हैः पी. ओ. बॉक्स न. 4216, सी. आर. आई. 7, पेइचिंग, चीन, 100040।

राकेशः आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिल, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057। और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021।

ललिताः यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतज़ार रहेगा।

राकेशः लीजिए सुनिए कार्यक्रम का अगला गीत। यह गीत है फिल्म "मैं ऐसा ही हूं" से और इसे सुनने की फरमाइश की है आप सब ने मालवा रेडियो श्रोता संघ, गांव हिंगड़ी त. आलोट, जिला रतलाम, म. प्र. से जगदीश धाकड़, नायमा, डॉ. शिव नारायण धाकड़, अर्जून धाकड़, किरण बेबी, श्रवण कुमार, जगदीश चन्द्र नन्देड़ा, भगवती लाल और उन के मम्मी पापा।

ललिताः यह पत्र है हमारे पुराने श्रोता श्री उमेश जा का। इन्होंने अपने पत्र में सुन्दर चीनी लिखावट में अपना नाम लिखा और इन का कहना है कि आप की पसंद कार्यक्रम अब मेरा प्रिय कार्यक्रम बन चुका है। इसमें नए व पुराने गीतों का अद्भुत संगम होता है। आप नए व पुराने दोनों तरह के गीत इसमें शामिल करते रहें।

राकेशः उमेश जी, पत्र लिखने और हमारा कार्यक्रम पसंद करने के लिए बहुत धन्यवाद। यह सच है कि हमारे कुछ श्रोताओं को पुराने गीत पसंद हैं, जबकि कुछ श्रोताओं को नए गीत पसंद हैं। इसलिए अब हम अपने कार्यक्रम में दोनों तरह के गीत शामिल करते हैं।

ललिताः कार्यक्रम समाप्त करने से पहले मैं एक ई-मेल पढ़ूंगी। यह ई-मेल गोल घर, कोआथ बिहार से हमारे श्रोता बेलाल बम्बइया, जीनत परवीन, सईद अली सयद, शबाना सयद, हेमाद खान और हेलाल खान ने भेजा है। और ये लिखते हैं कि हम कई सालों से आप की पसंद कार्यक्रम सुन रहे हैं। हमने बहुत से पत्र आप की पसंद कार्यक्रम में भेजें, मगर अफसोस है कि हमारा एक भी पत्र कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। आप से हमारा अनुरोध है कि फिल्म "सूरज" का गीत "बहारों फूल बरसाओं" सुनाएं।

राकेशः बेलाल बम्बईया जी और आप के सभी साथी, ई-मेल भेजने के लिए आप का बहुत बहुत शुक्रिया। आप का पत्र हमने कार्यक्रम में शामिल कर लिया है और अब आप की शिकायत दूर हो गई होगी। आप की पसंद का गीत हम अगले कार्यक्रम में जरूर पेश करेंगे। फिलहाल सुनिए मु. रफी की आवाज में यह सदाबहार गीत। इस गीत को सुनने की फरमाइश हमारे इन श्रोताओं ने भी की है चैंपियन रेडियो लिस्नर्स क्लब, मलिक ताहिर पुरा, मऊ यू. पी. से सलमान अहमद अन्सारी, अरमान अहमद अन्सारी, अदनान अहमद अन्सारी, फरमान अहमद अन्सारी, उमशन अहमद अन्सारी, रसा तसलीम, तुबा तसलीम और सूफिल तसलीम।

गीत के बोलः

मन रे तू काहे ना धीर धरे

वो निर्मोही मोह ना जाने, जिनका मोह करे

मन रे

इस जीवन की चढ़ती ढलती

धूप को किसने बांधा

रंग पे किसने पहरे डाले

रुप को किसने बांधा

काहे ये जतन करे

मन रे

उतना ही उपकार समझ कोई

जितना साथ निभा दे

जनम मरण का मेल है सपना

ये सपना बिसरा दे

कोई न संग मरे

मन रे

राकेशः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आप की प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा। पत्र लिख कर आप जरूर बताएं यह कार्यक्रम आप को कैसा लगा। अगली बार तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

ललिताः नमस्कार।