ललिताः गायक महेंद्रकपूर को श्रद्धांजलि देते हुए हम उन का गाया हुआ यह गीत याद करते हैं।
गीत के बोलः
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या
कोई किसी का नहीं ये झूठे, नाते हैं नातों का क्या
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या
होगा मसीहा
होगा मसीहा सामने तेरे
फिर भी न तू बच पायेगा
तेरा अपना, आ
तेर अपना खून ही आखिर
तुझको आग लगायेगा
आसमान में
आसमान मे उड़ने वाले मिट्टी में मिल जायेगा
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या
सुख में तेरे
सुख में तेरे साथ चलेंगे
दुख में सब मुख मोड़ेंगे
दुनिया वाले
दुनिया वाले तेरे बनकर
तेरा ही दिल तोड़ेंगे
देते हैं
देते हैं भगवान को धोखा, इनसां को क्या छोड़ेंगे
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या
राकेशः यह गीत था फिल्म "उपकार" से और इसे सुनना चाहा था हमारे इन श्रोताओं ने वीनस रेडियो क्लब, गयाकुंजु, हथना गांव बांग्लादेश से मलिक अमीर बक्श। प्रेजीडेंट यूनिवर्सल लिस्नर्स क्लब, कायदे आजम रोड, मैलसी पंजाब पाकिस्तान से इस क्लब के सभी सदस्य। और प्रकाश चंद्र वर्मा अंबेदकर आर एल क्लब, कोटकासिम अलवर राजस्थान, भारत से। और चांद खांड चौक, पुरानी आबादी से श्री गंगा नगर, राजस्थान से श्री ओ. पी. वर्मा, वृंदावन मथुरा से राज किशोर पांडे, उमा पांडे, कुसुम पांडे और लज्जा पांडे।
ललिताः महेंद्रकपूर बंजाबी थे और उन का जन्म अमृतसर में हुआ था। बाद में वे मुंबई चले गए। गायन में उन्हें बचपन से ही दिलचस्पी थी। और वे मशहूर गायक मोहम्मद रफी से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अखिल भारतीय गीत प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार हासिल किया। इस से फिल्म दुनिया में उन के लिए द्वार खुल गए और वर्ष 1958 में बनी वी. शांताराम की फिल्म "नवरंग" में उन्हें अपने कैरियर का पहला गाना गाने का मौका मिला। यह गाना "आधा है चंद्रमा" बहुत प्रसिद्ध हुआ।
राकेशः महेंद्रकपूर ने अपने कैरियर में कुल 227 फिल्मों में गाने गाए, जिन फिल्मों में उन्होंने गाने गाए, उनमें से कुछ गाने बहुत हिट रहे। जैसे बी. आर. चोपड़ा की फिल्में "धूल का फूल", "गुमराह", "वक्त", "हमराज", "धुंध"। और उन्होंने एक्टर, प्रोडयुसर मनोज कुमार के लिए भी कुछ प्रसिद्ध गाने गाए, जैसे फिल्म "उपकार", "पूरब और पश्चिम" में। महेंद्रकपूर मराठी फिल्मों में भी एक जाना-पहचाना नाम है। मराठी फिल्मों में उन्होंने दादा कोंडके के लिए अपनी आवाज दी।
ललिताः आएं सुनें, महेंद्रकपूर का एक और लोकप्रिय गीत।
गीत के बोलः
चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनो
चलो इक बार फिर से
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्म-कश का राज़ नज़रों से
चलो इक बार फिर से
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं कि ये जलवे पराए हैं
मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माझी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई रातों के साये हैं
चलो इक बार फिर से
तार्रुफ़ रोग हो जाये तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो उसको तोड़ना अच्छा
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो इक बार फिर से
राकेशः इस गीत को सुनना चाहा था दुर्गा कालोनी हांसी से राजू मिगलानी, बबीता मिगलानी, बजरंग वर्मा, साधु राम वर्मा, सुभाष योगी और रामनाथपूरा राजकोट से अहमद हसन अजमेरी, खतीजा अजमेरी, इरफान अहमद और लियाकत अजमेरी।
ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है। यदि आप भी कोई गीत सुनना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखकर या ई-मेल से या हमारी वेइबसाइट के जरिए अपनी फरमाइश भेज सकते हैं।
राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिस, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।
ललिताः और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021। यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।
राकेशः कार्यक्रम का अगला गीत भी महेंद्रकपूर की आवाज में है, फिल्म "नील गगन की छांव" से।
गीत के बोलः
नील गगन की चाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आ
जब फूल कोई मुस्काता है, आ जाती है
नस-नस में भँवर सा उठता है
कहता है समय का उजियारा इक चन्द्र भी आने वाला है
इन जोत की प्यासी अंखियों को आँखों से पिलाने वाला है
जब पात हवा में झरते हैं हम चौँक के राहें तकते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आ
राकेशः कार्यक्रम के अंत में सुनिए महेंद्रकपूर की आवाज में ही एक और गीत। यह गीत है फिल्म "एक सपेरा, एत लुटेरा" से।
गीत के बोलः
हम तुमसे जुदा हो के मर जाएँगे रो-रो के
मर जाएँगे रो-रो के
दुनिया बड़ी ज़ालिम है दिल तोड़ के हँसती है
इक मौज किनारे से मिलने को तरसती है
कह दो न कोई रोके
हम तुमसे जुदा
वादे नहीं भूलेंगे कसमें नहीं तोड़ेंगे
ये तय है कि हम दोनों मिलना नहीं छोड़ेंगे
जो रोक सके रोके
हम तुमसे जुदा
सोचा था कभी दो दिल मिलकर न जुदा होंगे
मालूम न था हम यूँ नाक़ाम-ए-वफ़ा होंगे
क़िस्मत नें दिए धोखे
हम तुमसे जुदा
राकेशः इस के साथ ही हमारा आज का कार्यक्रम समाप्त होता है। आज्ञा दीजिए, नमस्कार।
ललिताः नमस्कार।