राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। आएं, आज के कार्यक्रम की शुरुआत करें "देवदास" फिल्म के इस एक गीत से।
गीत के बोलः
हे डोला रे डोला डोला रे डोला हे डोला रे
हाँ हो हूँ आ
हाँ हाँ हाँ हाँ
हई हई
ओ माई माई
चुकुम्म चुकुम्म चुकुम्म ता धिक
हे डोला रे डोला रे डोला रे डोला
हाय डोला दिल डोला मन डोला रे डोला
लग जाने दो नजरिया गिर जाने दो बिजुरिया
बिजुरिया बिजुरिया गिर जाने दो आज बिजुरिया
लग जाने दो नजरिया गिर जाने दो बिजुरिया
बाँध के मैं घुँघरू
पहन के मैं पायल
हो झूम के नाचूँगी घूम के नाचूँगी
डोला रे डोला रे डोला रे डोला
हाय डोला दिल डोला मन डोला रे डोला
देखो जी देखो देखो कैसी ये झंकार है
इन की आँखों में देखो पियाजी का प्यार है
इन की आवाज़ में हाय कैसी खनकार है
पिया की यादों में ये जिया बेकरार है
हाय हाय हाय ओय ओय
माथे की बिंदिया में वो है
पलकों की निंदिया में वो है चुकुम्म
मेरे तो तन मन में वो है चुकुम्म
मेरी भी धड़कन में वो है चुकुम्म
चूड़ी की छन छन में वो है
छन छन छन छन छनक छनक छन छनक छनक
कंगन की खन खन में वो है
खनक खनक खन खनक खन खन खन खन खन
बाँध के मैं घुँघरू
हाँ पहन के मैं पायल
हाँ झूम के नाचूँगी घूम के नाचूँगी
डोला रे डोला रे डोला रे डोला
हाय डोला दिल डोला मन डोला रे डोला
हे हे हे हे हे ए ये ए हे ये
डोला डोला डोला डोला डोला डोला डोला
चुकुम्म चुकुम्म
डोला डोला
ए डोला रे
राकेशः इस गीत को सुनना चाहा था आप सब ने इस्लामनगर बदायूं यू. पी. से रतनदीप आर्य, बिपिन गुप्ता, राघव आर्य, कपिल गुप्ता, अमित गुप्ता और जी. बी. धाकड़। मौहल्ला भूड़ा, कस्बा सैफनी से मौ. आरिफ, मौ. यूनुस और शहनाजपखीन।
ललिताः हमें आप के पत्र पा कर बहुत खुशी होती है। और कंम्युटर और इंटरनेट की सुविधा से मेल भेजना एकदम आसान हो गया है। ई-मेल पा कर हमें तुरंत आप की प्रतिक्रिया का पता चल जाता है। अभी हाल ही में पिछले कार्यक्रम के बारे में हमारे श्रोता चुन्नीलाल कैवर्त और उन के साथियों ने हमें एक ई-मेल भेजी है। उन के साथियों के नाम हैं बंधनसिंह भानू, हेमलाल प्रजापति, बीरनलाल भानू, राहुलकुमार कैवर्त, दीपककुमार कैवर्त, देवीप्रसाद भानू और राममिलन कश्यप।
राकेशः चुन्नीलाल कैवर्त जी और आप के सभी साथियों का ई-मेल भेजने के लिए और हमारा कार्यक्रम सुनने के लिए धन्यवाद। चुन्नीलाल कैवर्त जी और इन के साथियों ने अपनी ई-मेल में लिखा है कि 4 अक्तूबर को प्रसारित आप की पसंद कार्यक्रम हमने सुना। कार्यक्रम में नई फिल्मों के हिट गीतों को सुनकर हमारे दिलोदिमाग को तरोताजा कर दिया। "फना", "ओम शांति ओम", "लगान" और "जोधा अकबर" फिल्मों के गीतों को मुझे और मेरे क्लब के सदस्यों ने बहुत पसंद किया। चुन्नीलाल जी और आप के क्लब के सभी सदस्यों का ई-मेल भेजने के लिए और हमारा कार्यक्रम पसंद करने के लिए एक बार फिर धन्यवाद। हमें आशा है कि आइंदा भी आप पत्र लिख करके हमारा हौंसला बढ़ाते रहेंगे। तो लीजिए सभी श्रोताओं की पसंद पर पेश है फिल्म "लगान" का यह गीत।
गीत के बोलः
मधुबन में जो कन्हैया किसी गोपी से मिले
कभी मुस्काये, कभी छेड़े कभी बात करे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले
आग तन में लगे
राधा कैसे न जले, राधा कैसे न जले
मधुबन में भले कान्हा किसी गोपी से मिले
मन में तो राधा के ही प्रेम के हैं फूल खिले
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले
बिना सोचे समझे
किस लिये राधा जले, किस लिये राधा जले
गोपियाँ तारे हैं चान्द है राधा
फिर क्यों है उस को वि{ष}वास आधा
कान्हा जी का जो सदा इधर उधर ध्यान रहे
गोपियाँ आनी-जानी हैं
राधा तो मन की रानी है
साँझ सखारे, जमुना किनारे
राधा राधा ही कान्हा पुकारे
बाहों के हार जो डाले कोई कान्हा के गले
राधा कैसे न जले
मन में है राधे को कान्हा जो बसाये
तो कान्हा काहे को उसे न बसाये
प्रेम की अपनी अलग बोली अलग भाषा है
बात नैनों से हो, कान्हा की यही आशा है
कान्हा के ये जो नैना नैना हैं
छीनें गोपियों के चैना हैं
मिली नजरिया हुई बाँवरिया
गोरी गोरी सी कोई गुजरिया
कान्हा का प्यार किसी गोपी के मन में जो पले
किस लिये राधा जले, राधा जले, राधा जले
रधा कैसे न जले