2008-11-19 15:48:50

राधा के प्यारे, कृष्ण कन्हाई

ललिताः चाइना रेडियो इंटरनेशनल से आप सुन रहे हैं हिंदी फिल्मी गीत-संगीत पर आधारित कार्यक्रम आप की पसंद। यह कार्यक्रम प्रति सप्ताह शनिवार शाम को पौने सात बजे से सवा सात बजे तक और रविवार सुबह पौने नौ बजे से सवा नौ बजे तक प्रसारित किया जाता है।

राकेशः जो भी गीत आप सुनना चाहते हैं या अपने दोस्त या किसी प्रिय को हमारे माध्यम से कोई संदेश देना चाहते हैं तो भी हमें जरूर पत्र लिखें। आप की पसंद कार्यक्रम में हम जरूर आप की इच्छा पूरी करने की कोशिश करेंगे। ललिता जी, अब श्रोताओं को आप हमारा पता बताएं, ताकि उन्हें हमें पत्र भेजने में आसानी हो।

ललिताः प्रिय श्रोताओं, नोट कीजिए, हमारा पता हैः पी. ओ. बॉक्स न. 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040।

राकेशः आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पहली मंजिल, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057। और दूसरा पता है, चीनी दूतावास, हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पचास डी, शांति पथ, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली, पोस्ट-110021।

ललिताः यदि आप के पास इंटरनेट की सुविधा है, तो आप हमारी वेबसाईट अवश्य देखें hindi.cri.cn। हमारा ई-मेल का पता हैः hindi@cri.cn। हमें आप के पत्रों का इंतजार रहेगा।

राकेशः प्रिय श्रोताओ, यदि आप के गांव, शहर, कस्बे में इंटरनेट की सुविधा हो, तो आप अपना पत्र ई-मेल से हमें भेजें। उस से हम अपने श्रोताओं के पत्र तुरंत अगले कार्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। क्योंकि पत्रों को डाक से पहुंचने में कुछ समय लग जाता है और फिर इतने ढ़ेर सारे पत्रों में से कौन सा पत्र पहले पढ़ें यह समस्या बनी रहती है।

ललिताः यदि हमारे श्रोताओं के पास यह सुविधा न हो, तो आप अपना पत्र जैसे भेजते हैं वैसे ही भेजें। लेकिन लिफाफे पर "आप की पसंद" लिखना न भूलें।

राकेशः लीजिए सुनिए कार्यक्रम का अगला गीत। यह गीत है फिल्म "अमर" से।

गीत के बोलः

राधा के प्यारे

कृष्ण कन्हाई

तेरी दुहाई

हम भी हैं तेरे

कुछ तो दया कर

लाखों की तूने

बिगड़ी बनाई

राधा के प्यारे

तू उनका है कोईइ न जिनका

हो जग सागर है मैं तिनका

तूफ़ान से आज बचा ले

ओ मेरे पाहन काले

फ़रियाद मैं ले कर

तेरे द्वार आई

कृष्ण कन्हाई

मोरे कृष्ण कन्हाई

हम भी हैं तेरे

कुछ तो दया कर

लाखों की तूने

बिगड़ी बनाई

सनसार का तू है राजा

ओ निरधन के काम भी आ जा

प्रीतम का साथ न छूटे

बेक़स की आस न टूटे

मैं आशा की कलियाँ

चरनों में लाई

कृष्ण कन्हाई

मोरे कृष्ण कन्हाई

हम भी हैं तेरे

कुछ तो दया कर

लाखों की तूने

बिगड़ी बनाई

राधा के प्यारे

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी आप सब ने गांधी नगर, समाधान श्रोता संघ के श्री हरेराम पाडवी, श्रीराम पाडवी, अरुणकुमार पाडवी, छोटूलाल पाडवी, ममता पाडवी और सुजाता पाडवी और वार्ड नम्बर 6, गली न. 4, चांद खां चौक पुरानी आबादी, श्रीगंगानगर से श्री ओ. पी. वर्मा।

ललिताः आएं सुनें कार्यक्रम का अगला गीत। यह गीत है फिल्म "बूट पॉलिश" से।

गीत के बोलः

त: चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

आ: जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के

त: चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

त: छलकें मात-पिता की अँखियाँ

रोवे तेरे बचपन की सखियां

भैया करे पुकार हो

भैया करे पुकार ना जा घर-आंगन तज के

आ: जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के

त: चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

आ: दूर देश मेरे पी की नज़रिया

वो उनकी मैं उनकी संवरिया

बांधी लगन की डोर हो

बांधी लगन की डोर मैंने सब सोच-समझके

जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के

त: चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

त: दो दिन जग में धूम मचायें

जा के कोई वपस न आये

खोज खोज थक जायें हो

खोज खोज थक जायें दो नैना चाँद सुरज के

आ: जाऊँ पिया के देश ओ रसिया मैं सज-धज के

त: चली कौनसे देश गुजरिया तू सज-धज के

राकेशः इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी परमवीर हाउस आदर्श नगर, बठिंडा से अशोक ग्रोवर, प्रवीण ग्रोवर, नीति ग्रोवर, नवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और गांव भगता भाईका से हरिंद्र सिंह बराड़, कुलदीप कौर बराड़, डालर और रुबल बराड़ ने।

राकेशः श्रोताओ, कार्यक्रम का अगला गीत पेश है फिल्म "कश्मीर की कली" से, रफी की आवाज में।

गीत के बोलः

सुभान अल्लाह हाय हसीं चेहरा हाय

सुभान अल्लाह हसीं चेहरा ये मस्ताना अदाएँ

ख़ुदा महफ़ूज़ रखे हर बला से हर बला से

तुम्हें देखा हाय तो दिल बोला हाय

तुम्हें देखा तो दिल बोला तुमको दूँ दुआएँ

ख़ुदा महफ़ूज़ रखे

करे पूजा ज़माना जिसकी वो तस्वीर हो तुम

मिला करती है जन्नत जिससे वो तक़दीर हो तुम

क़मर पतली हाय नज़र बिजली हाय ज़ुल्फ़ें हैं या घटाएँ

ख़ुदा महफ़ूज़ रखे

न जाने किसकी क़िस्मत में है मुखड़ा चाँद सा ये

न जाने किसके घर चमकेगा टुकड़ा चाँद का ये

इजाज़त हो तो फिर हम भी मुक़द्दर आज़माएँ

ख़ुदा महफ़ूज़ रखे

बड़ी हसरत से तुमको देखता है ये ज़माना

सुनाना चाहता है हर कोई अपना फ़साना

कोई दिल हो कोई महफ़िल जहाँ भी आप जाएँ

ख़ुदा महफ़ूज़ रखे

ललिताः इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। आप की प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा। पत्र लिख कर आप जरूर बताएं यह कार्यक्रम आप को कैसा लगा। अगली बार तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

राकेशः नमस्कार।