2008-11-17 15:43:23

मेरा प्यारा पेइचिंग ओलंपिक

गोरखपुर उत्तर प्रदेश की श्रीमती शकुन्तला अनजान की एक कविता , शीर्षक है मेरा प्यारा पेइचिंग ओलंपिक

दुनिया के खेल समर में

पेइचिंग ओलंपिक की बारी है ,

मेरा प्यारा पेइचिंग ओलंपिक

सब से बढ़ा रहा यारी है ।

दुनिया भर के खेलों का ,

लगा यहां पर जमघट है ।

खेल भावना ले कर

यहां हर खिलाड़ी प्रघट ।

साझी दुनिया साझा सपना ,

इस ओलंपिक का नारा है ।

पांच शुभंकर की प्रतिमाएं हैं

लग रहा कितना प्यारा है ।

चीन देश की धरती ,

आज खुशी से झूम रही ।

प्यारा प्यारा गगन ,

आज इसे चुम रही ।

हर खिलाड़ी लगा रहा है ,

अपना सारा जी जान ।

हर कोई मिल बढ़ा रहा ,

ओलंपिक का शान ।

सफलतापूर्वक संपन्न होगा,

पेइचिंग ओलंपिक हमारा ।

किसी तरह विरोध और बाधा

नुकसान ना कर पाएगा हमारा ।

पेइचिंग ओलंपिक की गुंज रही है

दुनिया भर में आवाज ।

हर कोई कर रहा है

पेइचिंग ओलंपिक पर नाज।

ओलंपिक खेलों का

करो सभी सम्मान ।

सभी खिलाड़ी का

बढेगा इस से शान ।

गोल्ड ,सिल्वर , कांश्य पदक पा

हर खिलाड़ी झूम रहा है।

ओलंपिक खेल विजेता बन

आज धूम रहा है ।

आओ , मिल पेइचिंग ओलंपिक का

मिल कर मनाए जश्न।

नाच नाच और गा गा कर

खुश कर दे सब का मन ।

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