मुबारकपुर आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के दिलशाद हुसैन ने अपने पत्र में पूछा कि चीन के प्रथम अंतरिक्ष यात्री का क्या नाम है और चीन ने अपना भू-उपग्रह किस देश की मदद से भेजा है.
अब तक चीन ने कुल तीन बार छै अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा है और वे सभी सुरक्षित रूप से पृथ्वी में लौट आए । अभी कुछ दिन पहले आप ने हमारे रेडियो प्रसारण सुना होगा कि 25 सितम्बर 2008 को चीन ने शनचो नम्बर सात समानव अंतरिक्ष यान सुभीतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था, वह अंतरिक्ष में तीन दिन उड़ने के बाद 28 सितम्बर को सुरक्षित रूप से और सफलतापूर्वक पृथ्वी में लौटा। शनचो सात में तीन अंतरिक्ष यात्री सवार थे । वे वीर अंतरिक्ष यात्री श्री च्ये ची कांग , ल्यू पोमिंग और च्यांग हाई छुन हैं । 27 तारीख को श्री ल्यू पोमिंग की मदद में श्री च्ये ची कांग ने कक्षीय मॉड्युल से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में स्पेस वॉल्क का काम पूरा किया । यह चीनी अंतरिक्ष उड़ान में पहली बार हुआ है , जो मील का एक पत्थर का महत्व रखता है । इस सफलता के बाद चीन विश्व का ऐसा तीसरा देश बन गया है, जिस ने अंतरिक्ष यान से बाहर निकल कर स्पेस वॉल्क की तकनीकों पर महारत हासिल की है।
शनचो सात से पहले चीन ने शनचो एक से लेकर छै तक के अंतरिक्ष यान भेजे थे । पहले चार में अंतरिक्ष यात्री नहीं थे और शनचो नम्बर पांच में चीन का प्रथम अंतरिक्ष यात्री सवार थे , उन का नाम है यांग ली वी । वे चीन के अंतरिक्ष उड़ान के प्रथम यात्री बन गए हैं , शनचो पांच 15 अक्तूबर 2003 को प्रक्षेपित किया गया था, वे अंतरिक्ष में 21 घंटे रह गए थे । इस के बाद शनचो छै में दो अंतरिक्ष यात्री सवार थे , वे हैं फे च्वुन लुंग और न्ये हाई सङ हैं । वे दोनों एक साथ शनचो छै में अंतरिक्ष में यात्रा की थी और 12 अक्तूबर 2005 को अंतरिक्ष में गए और 17 अक्तूबर 2005 को सुरक्षित रूप से वापस लौटे, अंतरिक्ष में उन्हों ने 115 घंटे 32 मिनट तक रहते हुए वैज्ञानिक परीक्षण के काम किए । चीन की अंतरिक्ष उड़ान परियोजना के मुताबिक चीन तीन चरणों में अंतरिक्ष उड़ान कार्य का विकास कर रहा है। शनचो पांच तक चीन ने सफलतापूर्वक पहले चरण का काम पूरा किया , शनचो छै से दूसरे चरण की अंतरिक्ष योजना शुरू हुई और इस के तहत स्पेस वॉल्क और कक्षा में अंतरिक्ष यानों को एक दूसरे से जोड़ने का काम पूरा किया जाएगा और दूसरे चरण में चीन अंतरिक्ष में स्थाई स्पेस स्टेशन कायम करेगा ।
चीन का भू-उपग्रह और समानव अंतरिक्ष उड़ान आदि अंतरिक्ष संबंधी सभी परियोजनाएं खुद स्वतंत्र रूप से पूरी अपनी शक्ति के भरोसे की गयी हैं और की जा भी रही है । चीन भू-उपग्रह भेजने के लिए किसी भी देश से मदद नहीं ली थी , बेशक चीन दूसरे देशों के समुन्नतशील अनुभवों से जरूर सीखता है। लेकिन भू-उपग्रह , वाहक राकेट और समानव अंतरिक्ष उड़ान आदि अंतरिक्ष कार्य चीन खुद अपनी शक्ति पर निर्भर रहते हुए पूरा करता आया है ।