2008-10-29 16:11:18

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

ललिताः चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार। तो हम हाजिर हैं आप की पसंद के गीतों के साथ। तो आएं कार्यक्रम की शुरुआत करें इस गीत से।

गीत के बोलः

को: गुप-चुप गुप-चुप चुप-चुप

कु: दो दिल मिल रहे हैं

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

सबको हो रही है

हाँ सबको हो रही है ख़बर चुपके-चुपके

हो दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

साँसों में बड़ी बेक़रारी, आँखों में कई रतजगे

कभी कहीं लग जये दिल तो, कहीं फिर दिल ना लगे

अपना दिल मैं ज़रा थाम लूँ

जादू का मैं इसे नाम दूँ

जादू कर रहा है

जादू कर रहा है असर चुपके-चुपके

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

ऐसे भोले बन कर हैं बैठे, जैसे कोई बात नहीं

सब कुच नज़र आ रहा है, दिन है ये रात नहीं

क्या है, कुछ भी नहीं है अगर

होंठों पे है ख़ामोशी मगर

बातें कर रहीं है

बातें कर रहीं है नज़र चुपके-चुपके

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

कहीं आग लगने से पहले उठता है ऐसा धुआँ

जैसा है इधर का नज़ारा ओ वैसा ही उधर का समाँ

दिल में कैसी कसक सी जगी

दोनों जानिब बराबर लगी

देखो तो इधर से

देखो तो इधर से उधर चुपके-चुपके

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

सबको हो रही है

हाँ सबको हो रही है ख़बर चुपके-चुपके

हो दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके-चुपके

को: गुप-चुप गुप-चुप चुप-चुप

कु: मगर चुपके-चुपके

राकेशः यह गीत था फिल्म "परदेस" से और इसे सुनने की फरमाइश की थी इन सभी ने बाई पास कालपी यू. पी. से मनोज कुशवाहा, सन्तोष, अजय, विनीता, मीरा कुशवाहा, लक्ष्मी देवी और उन के मम्मी, पापा। ग्वालियर मध्य प्रदेश से ज्ञानसिंह कुशवाहा और सीवान बिहार से इरफान अहमद।

ललिताः मेरे पास यह एक पत्र है, जिसे लिखा है प्रदीप शर्मा जी ने जनपद बस्ती, उत्तर प्रदेश से।

राकेशः क्या लिखते हैं प्रदीप जी?

ललिताः इन्होंने लिखा है कि ये अभी-अभी हमारा कार्यक्रम सुनने लगे हैं। और ये आशा करते हैं कि इन के पत्र को हम कार्यक्रम में शामिल करें।

राकेशः प्रदीप जी कार्यक्रम को पसंद करने के लिए और पत्र लिखने के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद। आप का पत्र हमने कार्यक्रम में शामिल कर लिया है। क्या इन की कोई फरमाइश है?

ललिताः इन्होंने लिखा है कि अपनी पसंद का कोई भी गीत सुना दें।

राकेशः तो आएं मुकेश और लता की आवाज में सुनें यह सदाबहार गीत। इस गीत को महियारपुर मनिहारी, यू. पी. से मु. आफताब आशिक, एम वसीम राजा और मो. कौशर ने भी सुनना चाहा है।

गीत के बोलः

दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से

ये बात क्या है, ये राज़ क्या है

कोई हमें बता दे

धीरे से उठकर, होठों पे आया

ये गीता कैसा, ये राज़ क्या है

कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से

क्यों बेखबर, यूँ खिंचीसी चली जा रही मैं

ये कौनसे बन्धनों में बंधी जा रही मैं

कुछ खो रहा है, कुछ मिल रहा है

ये बात क्या है, ये राज़ क्या है

कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से

हम खो चले, चाँद है या कोई जादूगर है

या, मदभरी, ये तुम्हारी नज़र का असर है

सब कुछ हमारा, अब है तुम्हारा

ये बात क्या है, ये राज़ क्या है

कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से

आकाश में, हो रहें हैं ये कैसे इशारे

क्या, देखकर, आज हैं इतने खुश चाँद-तारे

क्यों तुम पराये, दिल में समाये

ये बात क्या है, ये राज़ क्या है

कोई हमें बता दे, दिल की नज़र से

ललिताः यह अगला पत्र मेरे हाथ में है प्रखंड ठाकुर गंगटी, ग्राम मधुआरा, जिला गोंडा, झारखंड से श्री भाई पवन प्रियदर्शी का।

राकेशः क्या लिखते हैं श्री भाई पवन प्रियदर्शी जी?

ललिताः इन्होंने लिखा है कि हम आप की पसंद कार्यक्रम के नियमित श्रोता हैं और आप का कार्यक्रम बहुत पसंद करते हैं। आशा है इस पत्र को आप कार्यक्रम में शामिल करेंगे और हमारी पसंद का यह गीत भी सुनाएंगे।

राकेशः पत्र लिखने के लिए आप का बहुत शुक्रिया। आप की पसंद का गीत हम ज़रूर पेश करेंगे। इससे पहले मैं यह पत्र पढ़ना चाहता हूं। यह पत्र है यंग स्टार रेडियो क्लब, गांव भकरोई, मथुरा, यू. पी. से। और इसे भेजा है श्री राजेश, किशोर कुमार, हरीश, मन्तोष, संतोष, संजय, महेंद्र, श्यामवीर और इन के साथियों ने। इन सब ने अपनी पसंद का गीत सुनने की फरमाइश की है।

ललिताः हम इन की फरमाइश जरूर पूरी करेंगे। लीजिए सुनिए फिल्म "हम तुम" का यह गीत।

गीत के बोलः चक दे, चक दे, चक दे, चक दे, सारे गय

राकेशः इसी गीत को सुनना चाहा था मनिहारी नवाब गंज से सूरज पासवान, अनुरोध यादव, मिथिलेश पासवान और साहिब पासवान। गांधी चौक रोपड़ पंजाब से मीका विरक, गुलजारी लाल, विनोद पुरी और हरदेव मीका और पोस्ट आफिस पनवाड़ी हाट, तहसील आरोन, जिला गुना, मध्यप्रदेश से सीताराम साहू।