2008-10-21 10:49:35

डाक्टर सुन यात सेन का परिचय

भगलपुर बिहार की नाजनीं हसन, तमन्ना हसन, हमीदा हसन, सुलताना खातून ने यह अनुरोध किया कि डाक्टर सुन यात सेन के संदर्भ में बताया जाए.

डाक्टर सुन यात-सेन का जन्म सन् 1866 में दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत में हुआ था.डाक्टरी की शिक्षा पूरी करने के बाद 1892 में वे प्रेक्टिस करने लगे.1894 के अक्तूबर में उन्हों ने पहले होनलूलू फिर अमरीका जाकर एक क्रांतिकारी संगठन बनाया और सामंती व्यवस्था की समाप्ति कर गणराज्य की स्थापना करने का संकल्प किया.1895 से 1911 तक उन के नेतृत्व में चीन में छिंग राजवंश का तख्ता पलटने के लिए 11 विद्रोह हुए,लेकिन सब से सब विफल रहे.आखिरकार सन् 1911 में हुई क्रांति ने छिंग राजवंश को उखाड़ फेंका.उसी साल के अंत में डाक्टर सुन यात सेन स्वदेश लौटे और चीन गणराज्य के अस्थाई राष्ट्रपति निर्वाचित किए गए.पहली जनवरी 1912 को उन्हों ने पदग्रहण की शपथ ली.पर एक महीने के बाद उन्हों ने इस पद से इस्तीफा दे दिया.उस के बाद के दसेक वर्षों में चीन में सामंती व्यवस्था की बहाली की कुचेष्टाएं जारी रहीं और युद्ध-सरदारों के बीच सत्ता की छीनाझपटी के लिए युद्ध चलते रहे.इन षड़यंत्रों और युद्ध के विरोध में डाक्टर सुन यातसेन संघर्ष करते रहे.1924 में दक्षिणी चीन के क्वांगचो शहर में उन की अध्यक्षता मं कोमिंगतांग पार्टी की पहली राष्ट्रीय कांग्रेस हुई.इस में युद्ध-सरदारों को पराजित करने,चीन का एकीकरण करने तथा चीन में साम्राज्यवादी शक्तियों को नष्ट करने का लक्ष्य पेश किया गया.उसी साल दिसम्बर में वे पेइचिंग आए औऱ बारह मार्च 1925 को उन को पेइचिंग मं ही निधन हुआ,तब पूरा देश शोक के सागर में डूब गया.

मुजफ़्फरपुर बिहार के जसीम अहमद और रजिया सुलताना पूछते हैं कि धर्मचक्र क्या हैं?

धर्मचक्र तिब्बती बौद्ध अनुयाइयों द्वारा ईश्वर से प्रार्थना करने के समय यूज किए जाने वाला एक वस्तु है,जो देखने में कनस्तर सा लगता है.उस के उन्दर दीवार पर बौद्धसूत्र और बाहरी सतह पर विचित्र आकृतियां ऊत्कीर्ण है.इस वस्तु के बीच एक धुरी है.इस से यह वस्तु चक्रित हो सकती है.इसलिए उसे धर्मच्रक का नाम दिया गया है.इस का एक चक्र पूरा करना बौद्धसूत्रों का एक बाल जाप करने के बराबर है।

जयपुर राजस्थान की सुश्री विमला ठाकुर पूछती हैं कि क्या चीनी महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं?

जी हां,चीनी महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं,खासकर गांवों में अधिकत्तर बच्चों को मां का दूध नसीब होता है।चीन में ग्रामीम महिलाओं के लिए स्तनपान कराना आम बात है,पर शहरी महिलाओं के लिए अधिक समय तक ऐसा करना आसान नहीं है।शहरों में ज्यादातर महिलाएं कामकाजी हैं,सो चाहने पर भी वे समय रहते औऱ अधिक समय तक बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती हैं।वे खूब जानती हैं कि स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए लाभदायक है,पर बदलती जीवनशाली में भी स्तनपान कराने में उन के सामने समस्या जरूर आती हैं।

चीनी शहरों में भी ऐसी युवा माओं की संख्या कम नही है,जो सुन्दर और स्मार्ट दिखना चाहती

हैं।उन्हें चिन्ता है कि स्तनपान कराने से उन की काया विकृत हो जाएगी।सो वे स्तनपान से सावधानी बरतती हैं।इसे लेकर चीनी विशेषज्ञों ने दावा किया है कि स्तनपान कराने से महिलाएं सुन्दर औऱ स्वस्थ रहती है तथा छरहरी काया की धनी रहती हैं।उन का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान पेट में चिकनाई जमा हो जाता है,जो स्तनपान से निकल जाती है।अधिक समय तक स्तनपान करने वाले शिशु को मधुमेह व हृदय रोक नहीं होता है।इस के अलावा स्तनपान कराने वाली महिलाओ मं स्तन-कैंसर होने की आशंका में 30 प्रतिशत की कमी आती है।आशा है कि चीनी शहरों में अधिकाधिक महिलाएं स्तनपान कराने में सजग हो जाएंगी और अपनी चिन्ताओं व समस्याओं से निपटने की कोशिश करेंगी।